Uncategorized

मकर संक्रांति का पर्व प्रतीक है परिवर्तन का, सामाजिक समरसता का, एकता व बंधुत्व का : डा. श्रीप्रकाश मिश्र

मकर सक्रांति का पर्व न केवल भारत राष्ट्र का बल्कि सम्पूर्ण मानवता का उत्सव है।
मकर सक्रांति एवं मातृभूमि सेवा मिशन के 22 वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा त्रिदिवसीय कार्यक्रम के समापन अवसर श्रीराम कुष्ठ आश्रम में नारायण सेवा संवाद कार्यक्रम संपन्न।

कुरुक्षेत्र, प्रमोद कौशिक 14 जनवरी : भारत के सभी पर्व उत्सव प्रकृति संरक्षण और सामाजिक समरसता की भावना से युक्त हैं। जहाँ एक ओर प्रकृति के संरक्षण और समानता का संदेश है, वहीं दूसरी ओर सामाजिक समरसता का संदेश है। मकर संक्रांति भी इसी प्रकार का पर्व है। मकर संक्रांति भारत में विविध रूप से मनायी जाती है। इसमें भारतीय संस्कृति की विविधता झलकती है। लेकिन भाव भूमि समान है। यह विचार मकर सक्रांति एवं मातृभूमि सेवा मिशन के 22 वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा आयोजित त्रिदिवसीय कार्यक्रम के समापन अवसर श्रीराम कुष्ठ आश्रम में आयोजित नारायण सेवा संवाद कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ श्रीराम हरि संकीर्तन से हुआ। मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा श्रीराम कुष्ठ आश्रम के प्रत्येक परिवार को कम्बल, राशन सामग्री आदि वितरित की गई। श्रीराम कुष्ठ आश्रम समिति को मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने भगवान श्रीराम का स्वरूप भेंट किया।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कुष्ठ रोगियों के समूह को सम्बोधित करते हुए कहा मकर संक्रांति का महत्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भी है। इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे उत्तरायण की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है। मकर संक्रान्ति के साथ अनेक पौराणिक तथ्य जुड़े हुए हैं जिसमें से कुछ के अनुसार भगवान आशुतोष ने इस दिन भगवान विष्णु जी को आत्मज्ञान का दान दिया था। इसके अतिरिक्त देवताओं के दिनों की गणना इस दिन से ही प्रारम्भ होती है। महाभारत की कथा के अनुसार भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिये मकर संक्रान्ति का दिन ही चुना था। मकर संक्रांति का पर्व प्रतीक है परिवर्तन का, सामाजिक समरसता का, एकता व बंधुत्व का।
डा.श्रीप्रकाश मिश्र ने मकर सक्रांति के महत्व को बताते हुए कहा
आज जब देश में सामाजिक एकता के ताने बाने को छिन्न-भिन्न करने का प्रयास चल रहा है, जातिवाद, सांप्रदायिकता के नाम पर एक वर्ग को दूसरे से लड़ाने के प्रयास हो रहे हैं उस ऐसे में मकर संक्रांति का पर्व हमें सामाजिक समरसता का संदेश देता कि। मकर सक्रांति का पर्व न केवल भारत राष्ट्र का बल्कि सम्पूर्ण मानवता का उत्सव है। मकर संक्रांति एक ऐसा पर्व है, जो ऋतु परिवर्तन, धार्मिक आस्था, और सामाजिक समरसता का प्रतीक है। यह केवल एक पर्व नहीं, बल्कि सकारात्मकता, अध्यात्म और शुभता का संदेश देता है। श्रीराम कृष्ठ आश्रम के प्रधान रुदल पासवान ने मातृभूमि सेवा मिशन का मकर सक्रांति के पर्व पर कुष्ठ आश्रम में कार्यक्रम आयोजित करने एवं कुष्ठ रोगियों का सम्मान करने के लिए आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन धर्मपाल सैनी एवं आभार ज्ञापन सुरेंद्र सिंह ने किया। कार्यक्रम में कुष्ठ आश्रम के सचिव राजेंदर,दुःखी प्रसाद, मनोहर,भोला प्रसाद,रघुनन्दन सहित कृष्ठ आश्रम के परिवारों के सभी सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन भारतमाता के उद्घोष से हुआ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button