आज का विद्यार्थी भौतिकवादी प्रवृत्ति का बन चुका है : डा. श्रीप्रकाश मिश्र

आज का विद्यार्थी भौतिकवादी प्रवृत्ति का बन चुका है : डा. श्रीप्रकाश मिश्र
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा शिक्षा में संस्कार का महत्व विषय पर परिचर्चा कार्यक्रम संपन्न।
कुरुक्षेत्र, 29 मई : शिक्षा में संस्कार का महत्व बहुत अधिक होता है। यह न केवल व्यक्ति के ज्ञान को बढ़ाता है बल्कि उसके चरित्र, नैतिकता और सामाजिक मूल्यों को भी विकसित करता है। संस्कार व्यक्ति को सही और गलत के बीच अंतर करना सिखाते हैं और उसे समाज में सही ढंग से रहने के लिए तैयार करते हैं। यह विचार मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा शिक्षा में संस्कार का महत्व विषय पर आयोजित परिचर्चा कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ माँ सरस्वती वंदना से हुआ। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा प्राचीन काल से ही भारत में संस्कारों का पाठ पढ़ाया जा रहा है। विद्यार्थी को सबसे पहले मातृदेवो भव, पितृदेवो भव, आचार्य देवो भव एवं अतिथि देवो भव की शिक्षा दी जाती थी, ताकि वह उम्रभर नेकी के रास्ते पर चल कर एक मर्यादित इंसान बने और अपने बड़ों का नाम रोशन करे, लेकिन आज की स्थिति बहुत गंभीर हो चुकी है। आज का विद्यार्थी भौतिकवादी प्रवृत्ति का बन चुका है। वह केवल पढ़ाई इसलिए करता है ताकि आने वाले समय में अपने जीवन में कुछ पैसे कमा सके। संस्कार उसको बाजारी शिक्षा से नहीं, बल्कि संस्कारों की शिक्षा से मिलेंगे और वह शिक्षा उसको अपने घर पर ही मिलेगी।
परिचर्चा कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली के प्रसिद्ध समाजसेवी रामेश्वर दास गर्ग ने कहा आज के विद्यार्थी में वे संस्कार नहीं हैं, जो देश और समाज का कल्याण कर सकें। भ्रष्ट आचरण का कारण भी शायद इसी प्रकार की संस्कारहीन शिक्षा है, जो समाज में व्यक्ति को सिर्फ धन अर्जन करने के लिए मजबूर करती है। शिक्षा का बाजारीकरण होने से उस पैसे को वापस पाने की चाहत में उसका आचरण भ्रष्ट होता जा रहा है। अत: मनुष्य के जीवन में पढ़ाई ही सब कुछ नहीं, संस्कारों का भी महत्वपूर्ण स्थान है और संस्कार कहीं से खरीदे नहीं जाते। संस्कार किसी बड़े शिक्षा केंद्र या बाजार में किसी दुकान पर भी नहीं मिलते, बल्कि अच्छे संस्कार तो बच्चों को परिवार, अच्छे स्कूल व अच्छे वातावरण में रहकर ही मिलते हैं। कार्यक्रम में विद्यर्थियों ने विभिन्न विधाओं में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। परिचर्चा कार्यक्रम में श्रीमती शकुंतला गर्ग, श्रीमती सोनिया गर्ग, कुमारी यशिका, पुलकित सहित विद्यार्थी एवं शिक्षक आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन वन्देमातरम से हुआ।