वैश्विक स्वास्थ्य कल्याण और सकारात्मक कार्य करने की दिशा में आगे बढ़ रही पारंपरिक चिकित्सा पद्धति : प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान।
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
कुरुक्षेत्र : केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय और दुबई के स्वास्थ्य प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में दूसरे अंतरराष्ट्रीय आयुष कॉन्फ्रेंस का आयोजन 13 से 15 जनवरी को दुबई के ट्रेड सेंटर में किया गया। जिसमें श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के रस शास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रो. डॉ. रविराज द्वारा रोल ऑफ आयुर्वेद इन ट्रीटमेंट ऑफ ऑटोइम्यून डिसऑर्डर विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किया गया। कुलपति प्रो. करतार सिंह धीमान ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व करने और शोधपत्र प्रस्तुति पर डॉ. रवि राज को बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धतियों में से एक है और अब यह अन्य देशों की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के साथ वैश्विक स्वास्थ्य कल्याण और सकारात्मक कार्य करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। वह दिन दूर नहीं जब भारत पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में अन्य राष्ट्रों का अगुआ देश बनकर उभरेगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मंच के माध्यम से भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति को प्रोत्साहन मिल रहा है। जिसके जरिए विश्वभर में आयुर्वेद, योग, होम्योपैथीभारतीय एक्यूप्रेशर, यूनानी और सिद्धा को विश्वभर में मान्यता मिली है।