फिरोजपुर 21 अप्रैल {कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता}=
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा स्थानीय आश्रम में सप्ताहिक सत्संग प्रोग्राम का आयोजन किया गया। जिसमें सर्व श्री आशुतोष महाराज जी के शिष्य साध्वी संदीप भारती जी ने आई हुई संगत को संबोधित करते हुए कहा कि इतिहास गवाह है कि जिसने अपनी प्रीति ईश्वर से जोड़ी, उसका जीवन नवीनता के सांचे में ढल गया। प्रभु- प्रेम की राह पर बड़े उसके कदम पूर्णतः निर्माणकारी व कल्याणकारी सिद्ध हुए। उदाहरणतः पत्नी के मोह में उलझे हुए तुलसीदास जी एक भी पल अपनी पत्नी को देखे बगैर रह नहीं पाते थे। इस कारण उपहास का विषय बने हुए थे। परंतु जब संत नरहरिदास जी की कृपा से प्रभु की ओर उन्मुख हुए,तभी सच्ची प्रीत से अवगत हो पाए। ईश्वर-प्रेम की राह पर चलकर फिर यही तुलसीदास जी सबकी नज़रों में पूजनीय बन गए। रामचरितमानस के रचनाकर-महान गोस्वामी तुलसीदास कहलाए। दूसरे उदाहरण में उन्होंने राजा अशोक का जिक्र किया। उसी प्रीति थी राज्य से,धन-संपत्ति से! इसकी चाह में उसने ना जाने कितने ही कत्ल किए, कितनी लाखों स्त्रियों की मांग उजाड़ दी, कितने बच्चों को अनाथ कर डाला और फिर विशाल राज्य का स्वामी बन गया। कदमों में उसके धन-संपदा का अंबार लग गया। लेकिन अंदर से वह दु:खी वह अशांत ही रहा। फिर एक दिन एक बौद्ध भिक्षु उसके जीवन में आए। उन्होंने उसकी प्रीत का रुख संसार से हटाकर करतार की ओर मोड़ दिया। परमात्मा से प्रीत जोड़कर फिर वही ‘हिंसक’ अशोक,’महान’ अशोक कहलाया। इसीलिए संतो महापुरुषों ने चेताया है-हे मनुष्यों, अपना प्रियतम चुनने में भूल ना करना। संसार को अपने प्रेम का पात्र ना बनाना। केवल प्रेम का सागर ईश्वर ही है। उससे जोड़ी गई प्रीत ही हमारा निर्माण व कल्याण करती है। उसी की प्रीत सुखदाई है। अंत में सुमधुर भजनों का गायन किया गया।