दिव्या ज्योति जागृती संस्थान की ओर से साप्ताहिक सत्संग कार्य कर्म, बसंत पंचमी का किया गया आयोजन
दिव्या ज्योति जागृती संस्थान की ओर से साप्ताहिक सत्संग कार्य कर्म, बसंत पंचमी का किया गया आयोजन
फिरोजपुर 02 फरवरी {कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता}=
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान फिरोजपुर की ओर से साप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम वसंत पंचमी के विषय पर किया गया। कार्यक्रम के दौरान सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की परम शिष्य साध्वी करमाली भारती जी ने संगत को वसंत पंचमी के विषय मे बताया कि वसंत में संस्कृत शब्द ‘वस ‘का अर्थ है ‘चमकना’ अर्थात वसंत ऋतु प्रकृति की पूर्ण यौवन अवस्था है। ऐसा लगता है, मानो वसंतोत्सव पर प्रकृति ने रंग-बिरंगी सुन्दर ओढ़नी को धारण कर लिया हो। इस सुंदरता के साथ और भी बहुत सारी गहरी प्रेरणाएं लेकर आता है यह बसंत पंचमी का पर्व । हर युग में वसंत पंचमी की गूंज रही है। यह पर्व हमें अपने भीतर उस ईश्वरीय सत्ता से जुड़ने का संदेश भी देता है। जैसे प्रकृति बाहर इस दिन से चमकने लगती है वैसे ही हमारे भीतर जब गुरु कृपा से ईश्वर का प्रकाश होता है तो हमारे जीवन में वसंत पंचमी का पर्व होता है।
जैसे हम जानते है कि बसंत पंचमी को विद्या, बुद्धि व ज्ञान की देवी माँ सरस्वती के आविर्भाव का मंगल दिवस जाना है, इसी के साथ यह देवी लक्ष्मी की आराधना का भी पुण्य दिवस है। पुराणों के अनुसार बसंत पंचमी के पावन पुनीत अवसर पर ही सिंधु-सुता माँ रमा ने भगवान विष्णु को वर रूप में प्राप्त किया था। इसी दिन सम्पूर्ण सृष्टि के संरक्षक का शक्ति से, पुरुष का प्रकृति से महासंगम हुआ था। शायद यहीं कारण होगा कि आज के दिन प्रकृति अपनी पूर्ण कांति और छटा बिखेरती दिखती है।
उन्हेंने आगे बताया के अध्यात्म की भाषा का, सतयुग का यह मंगल मिलन लक्ष्य प्राप्ति का द्द्योतक है। हर मानव तन प्राप्त जीवात्मा के जीवन का लक्ष्य है, ईश्वर से चिर मिलन। बसंत पंचमी का पर्व हमें याद दिलाता है कि हम हर संभव प्रयास करें कि हमारे कदम ईश्वर की ओर शीघ्रता से बढ़ें। इस के लिए हमें एक पूर्ण सतगुरु की आवश्यकता होती है जो हमारा ईश्वर से साक्षात्कार करवा देते हैं । तभी हमारे जीवन में भी असल में वसंत पंचमी का पर्व होता है। अंत में साध्वी रमन भारती जी ने सुमधुर भजनों का गायन किया।