गुरु बिना न आत्म-दर्शन होता और न परमात्म-दर्शन : महंत जगन्नाथ पुरी

गुरु बिना न आत्म-दर्शन होता और न परमात्म-दर्शन : महंत जगन्नाथ पुरी।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

अखिल भारतीय श्री मार्कंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट द्वारा गुरु पूर्णिमा की तैयारी।

कुरुक्षेत्र, 30 जून : अखिल भारतीय श्री मारकंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत जगन्नाथ पुरी ने भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा करते हुए बताया कि श्री मारकंडेश्वर महादेव मंदिर ठसका मीरां जी में 3 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर भव्य गुरु सम्मान समारोह के आयोजन की तैयारियां की जा रही है। इस कार्यक्रम में दूर दूर से श्रद्धालु पहुंचेंगे।
गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम के लिए टीमों का गठन कर दिया गया है एवं सेवक मंडल की जिम्मेदारी लगाई गई है। महंत जगन्नाथ पुरी ने कहा कि गुरु की सन्निधि, प्रवचन, आशीर्वाद और अनुग्रह जिसे भी भाग्य से मिल जाए उसका तो जीवन कृतार्थता से भर उठता है। क्योंकि गुरु बिना न आत्म-दर्शन होता और न परमात्म-दर्शन। इन्हीं की प्रेरणा से आत्मा चैतन्यमय बनती है।
महंत जगन्नाथ पुरी ने कहा कि गुरु भवसागर पार पाने में नाविक का दायित्व निभाते हैं। वे हितचिंतक, मार्गदर्शक, विकास प्रेरक एवं विघ्नविनाशक होते हैं। उनका जीवन शिष्य के लिए आदर्श बनता है। उनकी सीख जीवन का उद्देश्य बनती है। उन्होंने बताया कि अनुभवी आचार्यों ने भी गुरु की महत्ता का प्रतिपादन करते हुए लिखा है- गुरु यानी वह अर्हता जो अंधकार में दीप, समुद्र में द्वीप, मरुस्थल में वृक्ष और हिमखण्डों के बीच अग्नि की उपमा को सार्थकता प्रदान कर सके।
महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि आषाढ़ महीने की समाप्ति और श्रावण के आरंभ की संधि को आषाढ़ी पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा अथवा गुरु पूर्णिमा कहते हैं। गुरु पूर्णिमा आत्म-बोध की प्रेरणा का शुभ त्यौहार है। यह त्यौहार गुरु-शिष्य के आत्मीय संबंधों को सचेतन व्याख्या देता है। इस अवसर पर स्वामी संतोषानंद, बिल्लू पुजारी, नाजर सिंह, सुक्खा सिंह व मनोज कुमार इत्यादि भी मौजूद रहे।
महंत जगन्नाथ पुरी।

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