बायोडाइवर्सिटी संरक्षण के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन के कारण वायु प्रदुषण कारक, प्रभाव
दीपक शर्मा (संवाददाता)
बरेली : उत्तर भारत में जलवायु परिवर्तन के कारण आप ने अचानक मौसम में ठंडक और गर्मी दोनों का अनुभव किया होगा। सुबह और शाम होते ही धुंध के साथ धूल के कण मिलकर “महा-फाग” में बदल जाते हैं यह फाग के निर्माण की अवस्था कहलाती है राजधानी दिल्ली के साथ कई अन्य राज्यों AQI बढ़ता जा रहा है वहीं यदि हम छोटे शहरों की बात करें तो बरेली महानगर जैसे भी शहरअछूते नहीं है दो-तीन दिन के अंतर्गत बरेली सिविल लाइंस, सुभाष नगर जैसे कई स्थानों परAQI 100 से 125 एक तक पहुंच गया है आने वाले समय में और भी बढ़ सकता है ।
वायु प्रदूषण बायोडायवर्सिटी को हानि पहुंचाने का सबसे बड़ा कारक है क्योंकि जैविक चक्र बायोटिक और एबायोटिक फैक्टर (जल स्रोत,फसल चक्र,जीव-जंतु, पेड़-पौधे,पक्षी के एवं मानव में भी शारीरिक, मानसिक एवं रासायनिक परिवर्तित) के कारण मानसिक स्ट्रेस,थकान,श्वास रोग, इरिटेट, गुस्सा आना आदि लक्षणों दिखाई देने लगते हैं । तकनीकी का उपयोग करते हुए । बायोडायवर्सिटी को सुरक्षित रखने के लिए सरकार, वैज्ञानिक अनुसंधान एवं शैक्षिक क्षेत्र को ठोस कदम उठाने होंगे। लेकिन हम छोटे-छोटे प्रयासों से कहीं न कहीं बचाओ और सुरक्षा के दृष्टि से जन -जागरूक अभियान का हिस्सा बन सकते हैं।