भगवान श्री राम के बाराती बने थे ऋषि मारकंडेय : प. कमल कुश।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877
श्री मारकंडेश्वर महादेव मंदिर में चल रही है श्री मारकंडेय पुराण कथा।
कुरुक्षेत्र, 26 अक्तूबर : ऋषि मारकंडेय प्राकट्योत्सव के अवसर पर मारकंडा नदी के तट पर श्री मारकंडेश्वर महादेव मंदिर ठसका मीरां जी में अखिल भारतीय श्री मारकंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत जगन्नाथ पुरी के सानिध्य में आयोजित श्री मारकंडेय पुराण कथा के तीसरे दिन व्यासपीठ से कथा वाचक प. कमल कुश ने बताया कि आदिकाव्य वाल्मीकि रामायण के अनुसार ऋषि मारकंडेय महाराज दशरथ के ऋत्विज (यज्ञ कराने वाला) थे और भगवान श्रीराम के विवाह में बाराती बन मिथिला गए थे। रामायण के बालकाण्ड के अनुसार वशिष्ट, वामदेव, जाबालि, दीर्घजीवी मारकंडेय तथा कात्यायन सभी ब्रह्मर्षि थे और इनका रथ राजा दशरथ के रथ के आगे-आगे चलकर राम के विवाह में अयोध्या से मिथिला पहुंचा था। इतना ही नहीं, ऋषि मारकंडेय माता सीता के रसातल में प्रवेश के भी साक्षी बने थे।
कथा में प. कमल कुश ने आगे बताया कि विश्व के सबसे बड़े महाकाव्य महाभारत में महाऋषि मारकंडेय अनेक जगह उपस्थित हैं। उन्होंने धृतराष्ट्र को त्रिपुराख्यान सुनाया तो भीष्म को भगवान श्रीकृष्ण की कथा सुनाई थी। वे युधिष्ठिर की राजसभा में आए थे। कथा समाप्ति पर आरती की गई। इस अवसर पर स्वामी पृथ्वी पुरी स्वामी संतोषनंद, विनोद राणा, सोनिया, सरला देवी, सोनू सैनी, प्रीतम सैनी, अमरनाथ दास, शामू रानी, हरदीप, राकेश राणा, शिव राणा, मनदीप रंगा, विजय राणा, कविता राणा, लक्की राणा, राकेश, भगत दर्शन, बलजीत गोयत, दलबीर संधू, भाना राम नागरा इत्यादि मौजूद रहे।
व्यासपीठ पर कथा वाचक प. कमल कुश करते हुए।