ओंकार ही सनातन धर्म का मूल आधार है : समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया

कुरुक्षेत्र, प्रमोद कौशिक 7 नवंबर : समर्थगुरू धारा हिमाचल के ज़ोनल कॉर्डिनेटर और श्री दुर्गा देवी मन्दिर के पीठाधीश ज्योतिष व वास्तु आचार्य डॉ. सुरेश मिश्रा ने सरस्वती कालोनी, बीड पिपली में आयोजित संकीर्तन में बताया कि वैदिक शास्त्रों और विद्वानों के अनुसार सनातन धर्म में भगवान श्री गणेश जी की पूजा का विषय महत्त्व है। जो अपने माता पिता, आचार्य, गुरु और देवी देवताओं का आदर और सेवा करते है। उनकी श्रद्धा और भावना सहित की गई पूजा ही स्वीकार होती है। भगवान सभी जीव जंतुओं को उनके कर्म अनुसार ही फल देते है। अच्छे कर्म से ही अच्छे भाग्य का निर्माण होता है। डॉ. मिश्रा ने मुद्रा विज्ञान और ध्यान और भक्ति के बारे में सत्संग दिया। मुख्य यजमान राम सुमेर, जानत्रि देवी, दर्शन लाल, उर्मिला देवी, गुरगेश, प्रियंका, मीनल, शुभम और आकृति को आदरणीय समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया द्वारा रचित श्रीमद् भगवदगीता भेंट की गई। इस शुभ अवसर पर सुमित्रा पाहवा, शिमला, निशा, सोनू, बेबी, फूलकली, सुरेन्द्र कौर और आशा कवातरा आदि ने मां दुर्गा और भगवान शिव और भगवान राम और भगवान कृष्ण की सुंदर भेंटे गाई।
समर्थगुरु धारा , मुरथल, हरियाणा के मुख्य संस्थापक समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया जी ने ट्विटर के माध्यम से बताया कि निराकार के प्रति जागना ध्यान है। आकार के प्रति जागना द्रष्टा है। एक साथ दोनों के प्रति जागना साक्षी है। भीतर आनंद और बाहर प्रेम घटित हुआ, तो समझो कि साक्षी सिद्ध हुआ।
साक्षी क्या है? एक तरफ अपने निराकार के प्रति, अकंप के प्रति जागना होता है, दूसरी तरफ कंप के प्रति, आकार के प्रति भी जागना होता है।
धर्मचक्र सत्संग समर्थगुरु धारा लाइव यूट्यूब चैनल सप्ताह में दो बार सायं 6 बजे से 7 बजे होता है। प्रत्येक शनिवार को आचार्य दर्शन जी श्री सिद्धार्थ रामायण पर और प्रत्येक रविवार को आचार्य कुलदीप जी गोरख वाणी पर अद्भुत सत्संग करते हैं। पूरी धरती पर ऐसा तात्विक सत्संग शायद ही कहीं और हो रहा है। सभी सनातन धर्म के भक्तों के लिए भगवान , ध्यान, योग और भक्ति का अनुभव और ज्ञान सहित सत्संग आवश्यक है।




