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कुरुक्षेत्र के कलाकारों ने पटियाला में दिखाए अभिनय के कौशल, हास्य नाटक पंचलाइट का किया मंचन

मुनरी से ब्याह की शर्त पर गोधन ने जलाई पंचलाइट।
हंसी के रंग में डूबो गया नाटक पंचलाइट, कलाकारों ने बटोरी वाहवाही।

कुरुक्षेत्र, प्रमोद कौशिक 9 नवम्बर : उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा प्रत्येक माह दूसरे शनिवार आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में नवम्बर माह का दूसरा शनिवार कुरुक्षेत्र के कलाकारों के नाम रहा। जिसमें न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप के कलाकारों द्वारा विकास शर्मा के निर्देशन में फणीश्वर नाथ की कहानी पर आधारित हास्य नाटक पंचलाइट मंचित किया गया। विरसा विहार केंद्र के कालिदास सभागार में मंचित हुए नाटक पंचलाइट के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री प्राण सब्रवाल उपस्थित रहे। उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक एम फुरकान खान तथा सचिव जगजीत भाटिया के दिशा-निर्देश में मंचित हुए नाटक पंचलाइट ने सभी का मन मोहा।
बिहारी बोली के कायल हुए पटियालावासी, नाटक पंचलाइट ने मोहा मन।
विकास शर्मा के निर्देशन में फणीश्वरनाथ रेणु की बहुचर्चित कहानी पंचलाइट बिहार के गांव के भोले-भाले लोगों के इर्द-गिर्द घूमती है। जहां गांव में बिजली न होने के कारण महतो टोली के लोग दण्ड और जुर्माने के पैसे इकट्ठे करके पंचलाइट खरीद लेते हैं। जब शहर से पंचलाइट गांव में आती है तो खूब खुशियां मनाई जाती हैं। लेकिन बाद में पता चलता है कि गांव के किसी भी व्यक्ति को पंचलाइट जलानी नहीं आती। टोला वाले पंचलाइट न जलाने के लिए एक दूसरे को कहते हैं, किंतु कोई भी पंचलाइट जलाने में सफल नहीं हो पाता। लेकिन गांव का एक आवारा लड़का गोधन जो पढ़ा लिखा है तथा जिसे टेक्नोलॉजी का ज्ञान है, उसे ही पंचलाइट जलानी आती है। गोधन गांव की ही लड़की मुनरी से प्यार करता था। लेकिन मुनरी से प्यार करने वाले कल्लू को उन दोनों का मिलना पसंद नहीं था और वह मुनरी की अम्मा को सब बता देता है। मुनरी की अम्मा पंचायत बुला लेती है, जिसमें फैसला होता है कि गोधन का हुक्का पानी बंद कर दिया जाए। इस प्रकार गोधन और मुनरी का मिलना जुलना बंद हो जाता है और गोधन को गांव से निकाल दिया जाता है। लेकिन पंचलाइट आने पर मुनरी सबको बताती है कि गोधन को ही पंचलाइट जलानी आती है। इज्जत बचाने के चक्कर में सरपंच गोधन को बुलाकर पंचलाइट जलाने के लिए कहता है, लेकिन गोधन शर्त रखता है कि यदि मुनरी से उसकी शादी करवाई जाए, तभी वह पंचलाइट जलाएगा। पंचायत उसकी बात मान लेती है और गोधन का मुनरी से ब्याह करवाने का वादा करती है। तब गोधन पंचलाइट जला देता है और पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ पड़ती है। इस प्रकार हंसी के फव्वारे छोड़ते नाटक का खुशी-खुशी समापन होता है। नाटक में डॉ राजीव कुमार, मनू महक माल्यान, निकेता शर्मा, शिवकुमार किरमच, चंचल शर्मा, कंचन यादव, विकास शर्मा, गौरव दीपक जांगड़ा, राजकुमारी, सुनैना, पार्थ शर्मा, साहिल खान, सूर्यांश चावला, निखिल पारचा, प्रियांशु बंसल, राजवीर राजू, चमन चौहान व देवीदत्त ने सहयोग दिया। नाटक के अंत में विकास शर्मा ने उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक एम फुरकान खान तथा सचिव जगजीत भाटिया का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर रंगकर्मी राजेश शर्मा, गोपाल, सुनील दत्त, जोगा सिंह आदि भी उपस्थित रहे।

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