गुरुकुल में आर्य वीरांगना दल के प्रान्तीय शिविर का भव्य समापन


गुरुकुल में आर्य वीरांगना दल के प्रान्तीय शिविर का भव्य समापन
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
वैचारिक क्रांन्ति से ही संभव होगा नारी सशक्तिकरण- विद्यालंकार।
समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंची डिप्टी डीईओ संतोष चौहान। युवतियों से शिविर की दिनचर्या को जीवन में आत्मसात करने का आह्वान किया।
कुरुक्षेत्र, 6 जून : संसार में विचारों की शक्ति सबसे महत्त्वपूर्ण है, यदि आपका चिन्तन, आपके विचार उच्च श्रेणी के हैं तो एक न एक दिन दुनिया आपकी इस विशेषता को अवश्य पहचानेगी और समाज में सकारात्मक बदलाव के लिए आपके विचार महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। उक्त शब्द आज गुरुकुल कुरुक्षेत्र में चल रहे आर्य वीरांगना दल के प्रान्तीय योग एवं जीवन निर्माण के समापन समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में पहुंचे विख्यात वैदिक प्रवक्ता एवं गुजरात के राज्यपाल के ओएसडी डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार ने कहे। उन्होंने कहा कि नारी सशक्तिकरण की परिकल्पना वैचारिक क्रान्ति के बिना संभव नहीं है, जब कि हमारे विचारों में बदलाव नहीं होगा, हम समाज में बदलाव नहीं कर सकते। महर्षि दयानन्द का चिन्तन, उनका दर्शन नारी सशक्तिकरण का प्रबल पक्षधर रहा है उन्होंने ही सर्वप्रथम नारी को समान शिक्षा और समान अधिकार के कथन को मजबूती से समाज में रखा था। इस अवसर पर गुरुकुल के प्रधान राजकुमार गर्ग, प्राचार्य सूबे प्रताप, व्यवस्थापक रामनिवास आर्य, प्रशिक्षण प्रमुख संजीव आर्य, शिविर संयोजक जयपाल आर्य, वेद प्रचारक मनीराम आर्य, रामनिवास आर्य, जसविन्द्र आर्य सहित मुख्य शिक्षिका बहन अभिलाषा आर्या, बहन सुमेधा आर्या सहित अन्य सभी शिक्षिकाएं मौजूद रहीं। आर्य प्रतिनिधि सभा के अंतरंग सदस्य राममेहर आर्य भी समारोह में विशेष रूप से उपस्थित रहे।
समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंची उप जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती संतोष चौहान ने कहा कि बेटियां समाज का आभूषण होती है, यदि एक बेटी का जीवन सुधरता है तो वह कई कुलों के जीवन को सुधारने की क्षमता रखती है। ऐसे में बेटियों को शिक्षित और सबल होना बहुत जरूरी है। उन्होंने शिविर में पहुंची सभी बेटियों से शिविर की दिनचर्या और शिविर के दौरान मिली शिक्षाओं को अपने जीवन में आत्मसात करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सफलता का कोई शार्टकट नहीं होता, अनुशासित जीवन और नियमित परिश्रम करने वाले जीवन में उच्च शिखर पर अवश्य पहुंचते हैं। उन्होंने नवयुवतियों को समाज में फैले पाखण्ड, अंधविश्वास से स्वयं भी दूर रहने और दूसरों को भी किसी के बहकावे में न आने के लिए प्रेरित किया। समारोह में युवतियों द्वारा किये गये नियुद्धम और लाठी संचलन के प्रदर्शन की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि सभी बेटियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण अवश्य लेना चाहिए ताकि वे विकट परिस्थितियों में स्वयं की रक्षा कर सके। उन्होंने शिविर के सफल आयोजन पर महामहिम राज्यपाल आचार्य श्री देवव्रत जी सहित समस्त गुरुकुल प्रबंधन को बधाई दी।
इससे पूर्व शिविर में आयीं आर्य वीरांगनाओं ने सर्वांगसुन्दर व्यायाम, सूर्य नमस्कार, भूमि नमस्कार, नियुद्धम्, डम्बल, लेजियम, लाठी संचलन, योगासन और स्तूप निर्माण का शानदार प्रदर्शन किया जिसे देखकर अतिथियों सहित विभिन्न स्कूलों से पधारे अध्यापक एवं अभिभावकगण आश्चर्यचकित रह गये।
गुरुकुल प्रबंधन की ओर से मुख्य अतिथि श्रीमती संतोष चौहान को शॉल एवं स्मृति-चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया, वहीं शिविर में सहयोग देने वाले विभिन्न स्कूलों के अध्यापक- अध्यापिकाओं को स्वामी दयानन्द जी का चित्र और वैदिक साहित्य देकर सम्मानित किया। इसके अलावा शिविर में आयीं लगभग 200 आर्य वीरांगनाओं को दैनिक हवन करने के लिए एक-एक हवन कुण्ड और आर्य साहित्य से पुरस्कृत किया गया। इन आर्य वीरांगनाओं ने शिविर के उपरान्त अपने घरों में प्रतिदिन हवन करने और दूसरे लोगों को भी हवन हेतु प्रेरित करने का संकल्प लिया है।