बरेली: भारतीय पशु-चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर

भारतीय पशु-चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज्जतनगर

दीपक शर्मा (संवाददाता)

बरेली : भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के संयुक्त निदेशालय (प्रसार शिक्षा) एवं पशुधन उत्पाद प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा अनुसूचित जाति उप योजना के अंतर्गत ‘दूध प्रसंस्करणमें उद्यमिता के अवसर’ विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण में अनुसूचित जाति के 17 प्रतिभागिओं ने भाग लिया।

प्रशिक्षण के समापन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ.रूपसी तिवारी, संयुक्त निदेशक (प्रसार शिक्षा), भारतीय पशु चिकित्सा अनुसन्धान संस्थान ने अपने संबोधनमेंदूध और दूध उत्पादों की उचित पैकेजिंग, लेबलिंग एवं मार्केटिंगके महत्वपर बल दिया और इन क्षेत्रों में विभिन्न ICT टूल्स के इस्तेमाल का सुझाव दिया। उन्होंने बताया की किस प्रकार से नवीन पद्यतियों को अपनाकर हम अपने उत्पाद की बाजार में मांग एवं बिक्री बढाकर अधिक से अधिक मुनाफा कम सकते हैं।उन्होंने वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई प्रशिक्षण पुस्तिका का विमोचन किया एवं इसकी सराहना की । किसानों को उत्साह्वार्धित करते हुए उन्होंने FPO बनाने पर जोर दिया । किसानोके लाभ हेतु उपयुक्त परियोजना बनाने हेतुप्रशिक्षण देने का भी आश्वासन दिया।
पशुधन उत्पाद प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष एवं पाठ्यक्रम निदेशक डा. ए. आर. सेन ने पाठ्यक्रम में अभिरूचि के लिए सहभागियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने दूध के स्वच्छ उत्पादन एवं दूध उत्पादों के समुचित उपयोग के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए प्रतिभागियों से अनुरोध किया कि वे इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में अर्जित ज्ञान का उपयोग कर अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाएं। उन्होंनेदूध उत्पादन एवं प्रसंस्करण द्वारा किसानों के सशक्तिकरण के महत्व पर बल देते हुए कहा कि इस क्षेत्र में नए उद्यमियों की सहभागिता बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने प्रतिभागिओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा चलाई जाने वाली इन योजनाओं का लाभ लेकर हम अपने समाजिक एवं आर्थिक स्तर को ऊँचा उठा सकते हैं। उन्होंने सामूहिक स्तर पर दूध उत्पादन एवं प्रसंस्करण पर जोर देते हुए कहा कि हमें दूध प्रसंस्करण की वैज्ञानिक पद्यतिओं को अपनाने की आवश्यकता है, जिससे हम छोटे स्तर पर भी उच्च गुणवत्ता वाले दूध उत्पादों का निर्माण एवं विपणन कर सकते हैं।
कार्यक्रम के दौरान पाठ्यक्रम समन्वयक, डा. देवेन्द्र कुमार ने प्रशिक्षण के दौरानकी रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए घरेलू स्तर पर दूध उत्पादों के प्रसंस्करण द्वारा आजीविका उपार्जन के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में दूध उत्पादन एवं प्रसंस्करण से सम्बंधित विभिन्न पहलुओं जैसे स्वच्छ दूध उत्पादन, दूध एवं दूध उत्पादों का गुणवत्ता परीक्षण, दूध का संग्रहण एवं परिवहन, प्राथमिक प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धित दूध उत्पादों का निर्माण, उपउत्पादों का समुचित उपयोग इत्यादि विषयों पर प्रशिक्षण दिया जायेगा।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए डा. सुमन तालुकदार ने पाठ्यक्रम से जुड़े सहभागियों एवं विभाग के वैज्ञानिकों का परिचय कराया। कार्यक्रम सह समन्वयक डा. सागर चन्द ने सभी के प्रति धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया। इस अवसर पर पशुधन उत्पाद प्रौद्योगिकी विभाग के वैज्ञानिक डॉ गीता चौहान,डॉ आई. प्रिंस. देवदासन, डॉ अशीम कुमार बिश्वास, एवं डॉ. तनबीर अहमद भी उपस्थित रहे।

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