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भारतीय संस्कृति के मूल प्राण में है नारी मर्यादा की रक्षा=डॉ श्याम सुंदर

भारतीय संस्कृति के मूल प्राण में है नारी मर्यादा की रक्षा=डॉ श्याम सुंदर

=श्री कृष्ण जन्मोत्सव की भावपूर्ण प्रस्तुति से श्रोता हुए भाव विभोर।

=प्रदेश सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर और दारा चौहान ने नवाया शीश।
सगड़ी ० (आजमगढ़): भारतीय संस्कृति और संस्कारों में नारी मर्यादा की रक्षा के लिए ईश्वर ने भी बेहिचक शस्त्र उठाया है। धर्म की रक्षा और अधर्म के विनाश के लिए परमात्मा अनेक रूपों में पृथ्वी पर अवतरित हुए। श्री कृष्ण जन्मोत्सव की भावपूर्ण प्रस्तुति से श्रोता भाव विभोर हो गए।
सगड़ी तहसील के हरसिंहपुर में स्थित मां शीतला धाम में चल रही ज्ञान यज्ञ और भागवत कथा में नारी की मर्यादा और भगवान कृष्ण के जन्म का वृतांत सुनाते हुए डॉ श्याम सुंदर पाराशर ने कहा कि हमारी संस्कृति में नई सर्वथा पूजनीय है। दंडक वन में सीता के सामने ही सूर्णपखा ने जब प्रभु श्री राम से कहा कि तुम सम पुरुष न मो सम नारी। यह संजोग विधि रचा बिचारी। शादी का प्रस्ताव कर मर्यादा का उल्लंघन किया तो प्रभु श्री राम ने लक्ष्मण से उसके नाक और कान कटवा लिए। माता जानकी की मर्यादा की रक्षा के लिए रावण सहित पूरे उसके परिवार का विनाश कर दिया
माखन चोर श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का मनोहारी चित्रण करते हुए कथावाचक पाराशर ने श्रद्धालुओं को सुनाया की कृष्ण का जन्म होते ही देवकी और वासुदेव के हाथ और पैर की बेड़ियां टूट गई, पहरेदार सो गए, वासुदेव जी उन्हें लेकर गोकुल नंद बाबा के घर पहुंचे, वहां प्रभु को रखकर कन्या लेकर फिर मथुरा लौट आए। राजा कंस ने आदि शक्ति को मारने की कोशिश की लेकिन उसके हाथ से छुड़ाकर आकाशवाणी करती हुई कन्या बिजली की चमक के बीच विलुप्त हो गई।
कथा के अंत में प्रदेश सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर, दारा सिंह चौहान, आयोजन धर्मेंद्र कुमार सिंह, पूर्व विधायक वंदना सिंह ,क्षेत्रीय उपाध्यक्ष अरविंद कुमार जायसवाल, श्री राम श्री विश्वकर्मा, संतोष सिंह टीपू, सोनू सिंह, राजेश सिंह आदि लोगों ने कथा पीठ की आरती कर शीश नवाया।

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