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पौराणिक एवं ऐतिहासिक अष्टकोसी यात्रा के कच्चे मार्ग को पक्का बनाने का प्रस्ताव होगा तैयार : धुमन सिंह

पौराणिक एवं ऐतिहासिक अष्टकोसी यात्रा के कच्चे मार्ग को पक्का बनाने का प्रस्ताव होगा तैयार : धुमन सिंह।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

बाहरी से पिपली तक सरस्वती नदी के किनारे बनेगा 6 से 8 फीट चौड़ा मार्ग, करीब 29 करोड़ के बजट का किया प्रावधान, पहली बार सामूहिक रूप से श्रद्धालुओं ने पूरी की अष्टकोसी यात्रा।

कुरुक्षेत्र 31 मार्च : हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने कहा कि पौराणिक एवं ऐतिहासिक अष्टकोसी यात्रा के मार्ग को पक्का करने की योजना तैयार की गई है। इस योजना की सरकार से अनुमति मिलने के बाद अमलीजामा पहनाया जाएगा। इस प्रस्ताव के अनुसार सरस्वती नदी के किनारे गांव बाहरी से पिपली तक 6 से 8 फीट मार्ग को चौड़ा किया जाएगा। अहम पहलू यह है कि हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड की तरफ से 29 करोड़ के बजट में से पूरा करवाने का प्रयास किया जाएगा।
बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने आज यहां बातचीत करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के मार्गदर्शन में कुरुक्षेत्र को धाम के रूप में विकसित किया जाएगा। इस कुरुक्षेत्र धाम में पौराणिक एवं ऐतिहासिक अष्टकोसी यात्रा अहम भूमिका अदा करेगी। इस यात्रा को मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के आदेशानुसार केडीबी, हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड के साथ-साथ शहर की सामाजिक और धार्मिक संस्थाओं के सहयोग से गांव बाहरी से पिपली तक निकाला गया और करीब 125 लोगों ने इस यात्रा को पूरा किया। यह अष्टकोसी यात्रा लगभग 30 किलोमीटर की बनती है। इस यात्रा का मार्ग कच्चा है जिसके कारण श्रद्धालुओं को परेशानी भी हुई।
उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं की परेशानी को जहन में रखते हुए आगामी चैत्र माह तक अष्टकोसी यात्रा के मार्ग को पक्का करवाया जाएगा। इस मार्ग को बकायदा 6 से 8 फीट चौड़ा भी करवाया जाएगा। इस मार्ग का बजट बोर्ड की तरफ से खर्च किया जाएगा। इस मार्ग को पक्का करने के साथ-साथ ग्रिल भी लगवाई जाएगी और जो श्रद्धालु बुर्जुग है या यात्रा को पूरा करने में असमर्थ है उनके लिए ई-रिक्शा जैसे वाहन का प्रबंध भी किया जाएगा। उनका प्रयास है कि केडीबी और बोर्ड के सहयोग से इस पौराणिक और ऐतिहासिक अष्टकोसी यात्रा को निरंतर जारी रखा जाए और देश विदेश के श्रद्घालु भी इस यात्रा को पूरा करके पुण्य की प्राप्ति कर सके। इस कार्य में मुख्यमंत्री के कार्यालय प्रभारी कैलाश सैनी, केडीबी के मानद सचिव उपेन्द्र सिंघल का अहम योगदान रहा। इस यात्रा को ऐतिहासिक और यादगार बनाने के लिए गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा।

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