प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के बीच सामंजस्य को रेखांकित करेगी इंटर्नशिप परियोजना : डॉ. रामेन्द्र सिंह

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान आई. के. एस. के अंतर्गत इंटर्नशिप परियोजना- 2025 पर करेगा कार्य।
भारतीय त्योहारों के माध्यम से प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के बीच सामंजस्य को रेखांकित करेगी परियोजना।
भारतीय संस्कृति, परंपराओं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने वाली कई परियोजनाओं में महत्वपूर्ण योगदान दे चुकी है विद्या भारती।
कुरुक्षेत्र, 4 जून : विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान, कुरुक्षेत्र को भारतीय ज्ञान प्रणाली (आई.के.एस.) के अंतर्गत इंटर्नशिप परियोजना 2025 प्राप्त हुई है। यह परियोजना “भारतीय त्योहारों और उनके वैज्ञानिक व सांस्कृतिक महत्व” पर कार्य करेगी, जो भारतीय ज्ञान प्रणाली को समकालीन शिक्षा और अनुसंधान में एकीकृत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस विषय में जानकारी देते हुए विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने बताया कि छह माह की यह परियोजना भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित है और इसे स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज इन टीचर एजुकेशन (सियास्ते), कुरुक्षेत्र के सहयोग से संचालित किया जाएगा। यह परियोजना राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत भारतीय ज्ञान प्रणाली को शिक्षा और अनुसंधान में एकीकृत करने के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में एक और कदम है। विद्या भारती और सियास्ते के संयुक्त प्रयासों से यह परियोजना भारतीय संस्कृति और विज्ञान के बीच सेतु बनाएगी, जो युवाओं को अपनी विरासत के प्रति गर्व और जागरूकता प्रदान करेगी। उन्होंने बताया कि परियोजना के प्रधान अन्वेषक सियास्ते, कुरुक्षेत्र के सहायक प्रोफेसर डॉ. संदीप कुमार होंगे। सह-अन्वेषक एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अतुल यादव, सहायक प्रोफेसर डॉ. सुमंत गोयल और सहायक प्रोफेसर डॉ. अनिल होंगे।
डॉ. रामेन्द्र सिंह ने बताया कि विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान भारतीय ज्ञान प्रणाली मिशन की शुरुआत के बाद से इस क्षेत्र में सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है। संस्थान ने भारतीय संस्कृति, परंपराओं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने वाली कई परियोजनाओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह नवीनतम परियोजना भारतीय त्योहारों के माध्यम से प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के बीच सामंजस्य को रेखांकित करेगी। डॉ. रामेंद्र सिंह एवं एसआईएएसटीई (सियास्ते) के निदेशक डॉ. ऋषि गोयल ने डॉ. संदीप कुमार और उनकी टीम को इस महती कार्य के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह परियोजना हमारी सांस्कृतिक विरासत को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने का एक अनूठा प्रयास है साथ ही भारतीय ज्ञान प्रणाली को वैश्विक मंच पर और सशक्त भी करेगी। यह शोध हमारी समृद्ध परंपराओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
डॉ. रामेन्द्र सिंह।