संस्कृति उत्थान में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण योगदानः मामन खां

संस्कृति उत्थान में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण योगदानः मामन खां।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

अपनी संस्कृति को सहेजने का काम कर रहा है रत्नावली महोत्सवः प्रो. सोमनाथ सचदेवा।
रत्नावली समारोह की देन हूं मैंः जयदीप अहलावत।
कुवि में 28 से 31 अक्टूबर तक चलने वाले राज्य स्तरीय रत्नावली समारोह का हुआ शुभारंभ।

कुरुक्षेत्र, संजीव कुमारी 28 अक्टूबर : हरियाणवी संस्कृति के उत्थान व संरक्षण में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। यहां पर आकर मुझे बहुत अच्छा लगा। शिक्षा के साथ-साथ विश्वविद्यालय हरियाणवी संस्कृति को सहेजने अपना योगदान दे रहा है और उभरते कलाकारों को मंच प्रदान कर रहा है। यह विचार शनिवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के आडिटोरियम हॉल में 28 से 31 अक्टूबर तक चलने वाले राज्य स्तरीय रत्नावली समारोह के उद्घाटन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रपति से सम्मानित राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता हरियाणवी सारंगी वादक उस्ताद मामन खां ने व्यक्त किए। इससे पहले दीप प्रज्ज्वलित कर सभी अतिथियों ने विधिवत् रूप से कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
उस्ताद मामन खां ने कहा कि विश्वविद्यालय हरियाणवी संस्कृति को जीवित रखने तथा कलाकारों को जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहा है। हरियाणा दिवस के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष होने वाला रत्नावली बहुत भव्य है।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने सभी मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के लिए यह गर्व का विषय है कि विश्वविद्यालय संस्कृति, शिक्षा व खेल के क्षेत्र में देश भर में सबसे अग्रणी है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय देशभर में पहला विश्वविद्यालय है जिसने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को लागू किया है। हरियाणवी संस्कृति के संरक्षण व उसे सहेजने के लिए विश्वविद्यालय कई वर्षो से प्रयास कर रहा है। धरोहर हरियाणा संग्रहालय के माध्यम से हरियाणवी संस्कृति के दर्शन होते हैं वहीं रत्नावली समारोह के द्वारा लुप्त होती हरियाणवी विधाओं को पुनर्जीवित किया जा रहा है। इस बार रत्नावली के मंच पर लूर नृत्य, हरियाणवी बैंड व हरियाणवी फैशन शो को प्रस्तुत किया जाएगा। हर वर्ष एक नई विधा को जोडा जाता है ताकि हरियाणवी संस्कृति को समृद्ध किया जाएग। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के लिए गर्व की बात है कि जहां हम शिक्षा व संस्कृति के क्षेत्र में पूरे देशभर में अच्छा कार्य कर रहे हैं वहीं खेल के क्षेत्र में विश्वविद्यालय पूरे देश में माका ट्रॉफी में तीसरे स्थान पर रहा है। गत वर्ष अखिल भारतीय विश्वविद्यालय संघ के 36वें राष्ट्रीय सांस्कृतिक उत्सव में 18 विधाओं में से 16 विधाओं में पुरस्कार जीतकर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने पहली बार गवर्नमेंट यूनिवर्सिटीज में देशभर में पहला स्थान हासिल कर इतिहास रचा है। शिक्षा व शोध के क्षेत्र में विश्वविद्यालय ने इस वर्ष 53 पेटेंट दर्ज कर एक नया रिकॉर्ड कायम किया है।
बॉलीवुड अभिनेता जयदीप अहलावत ने कहा कि यदि आपको कामयाब होना है तो सबसे पहले आपका बौद्धिक स्तर उच्च स्तर का होना चाहिए क्योंकि तभी आपकी बात सुनी जाएगी। उन्होंने कहा कि अपनी माटी और मां भाषा को हमेशा सहेजकर रखना चाहिए। जब आप अपनी भाषा से जुड़े रहेंगे तभी आप जीवन में आगे बढ़ोगे। सबसे जरूरी है आपको हर दृष्टि से अपना बौद्धिक स्तर उंचा रखना। उन्होंने कहा कि मैं इसी मंच की देन हूं। रत्नावली समारोह में भाग लेने के लिए यहीं पर आते थे और यहीं से आगे बढ़ा हूं।
एसोसिएशन ऑफ हरियाणवीज इन आस्ट्रेलिया के प्रधान सेवा सिंह ने कहा कि हमारी एसोसिएशन हरियाणवी संस्कृति के उत्थान में लगी हुई व उसको जीवंत रखने का कार्य कर रही है। विदेशो में भी हरियाणवी की धूम मचने में कोई कसर नहीं रही है। हमारी एसोसिएशन का मुख्य कार्य हरियाणवी संस्कृति का संरक्षण करना है और जो छात्र भारत से ऑस्ट्रेलिया जा रहे हैं उनका सहयोग करना है। जिस तरीके से हम अपने तीज, त्यौहार व पर्व यहां पर मनाते हैं उसी तरीके से हम ऑस्ट्रेलिया में मनाते हैं।
युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग के निदेशक प्रो. महासिंह पूनिया ने रत्नावली उत्सव के बारे में बताते हुए कहा कि इस बार को समारोह बहुत खास है और बहुत सी चीजे पहली बार हो रही हैं। पहली बार रत्नावली समारोह में 71 संस्थानों का पंजीकरण हुआ है और पहली बार हरियाणवी वंदना, हरियाणवी बैंड, लूर नृत्य और फैशन शो का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने इस भव्य आयोजन के लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा का आभार प्रकट किया। अंत में सभी मेहमानों का आभार केयू कल्चरल काउंसिल के प्रधान डॉ. संदीप कंधवाल ने किया।
इस मौके पर डॉ. ममता सचदेवा, कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा, डॉ. सुमिता शर्मा, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. शुचिस्मिता, प्रॉक्टर प्रो. सुनील ढींगरा, कुरुक्षेत्र सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष डॉ. संदीप कंधवाल, संजय भसीन, लोक सम्पर्क विभाग के निदेशक प्रो. ब्रजेश साहनी, प्रो. डीएस राणा, प्रो. हरदीप लाल जोशी, प्रो. अनिल गुप्ता, प्रो. एसके चहल, प्रो. नीलम ढांडा, प्रो. विवेक चावला, प्रो. संजीव गुप्ता, प्रो. परमेश कुमार, डॉ. अजय अग्रवाल, सौरभ चौधरी, लोक सम्पर्क विभाग के उप – निदेशक डॉ. दीपक राय बब्बर, डॉ. रामप्रकाश, उपनिदेशक डीवाईसीए डॉ. गुरचरण सिंह, डॉ. रामनिवास, कुलपति के ओेएसडी पवन रोहिल्ला, डॉ. जितेन्द्र जांगडा, डॉ. सुशील टाया सहित बड़ी संख्या में शिक्षक, कर्मचारी व विद्यार्थी मौजूद थे।

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