उड़ती पतंग में लेखक ने सम्पूर्ण समाज को समझाया है अनुशासन का पाठ: श्रीपाल शर्मा ईदरीशपुरी

दीपक शर्मा (जिला संवाददाता)
बरेली : बहजोई (सम्भल) मंचीय कवि दीपक गोस्वामी ‘चिराग’ की पुस्तक उड़ती पतंग के विमोचन में कई दिग्गज साहित्यकार शामिल हुए जिन्होंने विसंगतियों पर चिंता जताते हुए उनके समाधान का दर्शन प्रस्तुत किया।
बीएमबीएल काॅलेज ऑफ फार्मेसी में, मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हाथरस से आए प्रोफेसर डाॅ. राजेश कुमार ने कहा कि साहित्य एक साधना है, असली साहित्यकार अपना दर्द भूलकर समाज की पीड़ाओं को उजागर करता है। उड़ती पतंग पुस्तक भी इसी सोच का नमूना है। अध्यक्षीय संबोधन में वरिष्ठ कवि रूपकिशोर गुप्ता ने कहा कि एक गुरु के लिए सबसे बड़ी सफलता यह है कि उसका शिष्य अपने गुरु से आगे निकल जाए। उड़ती पतंग के लेखक दीपक गोस्वामी ने भी ऐसा ही सराहनीय काम किया है। हरिद्वार से पधारे दिव्य गंगा सेवा मिशन के राष्ट्रीय संयोजक केशव पाण्डेय ने कहा कि अच्छा बाल साहित्य समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है। उड़ती पतंग भी नई पीढ़ियों को ध्यान में रखकर लिखी गई है।
मुरादाबाद से आए बी.एम. बी. एल. जैन सेवा न्यास के अध्यक्ष पवन जैन ने कहा कि साहित्य की कला ईश्वर प्रदत्त होती है। इसको पैदा नहीं किया जा सकता, केवल निखारा जा सकता है। गोरखपुर से आए नंदलाल मणि त्रिपाठी ने कहा कि अनुशासन के बिना समाज तरक्की नहीं कर सकता। उड़ती पतंग पुस्तक हमें अनुशासन सिखाती है। यह शिक्षकों, अभिभावकों और बच्चों सभी के लिए उपयोगी है।अलीगढ़ से पधारे गाफिल स्वामी ने कहा “नभ को छूना चहती उड़ती हुई पतंग। इसको उड़ता देख कर मन में उठे उमंग।” रामपुर से आए शिवकुमार चंदन ने कहा कि दीपक गोस्वामी चिराग की कृति, उड़ती पतंग यह बताती है कि अनुशासन की सीढ़ी से से ही सफलता के शिखर पर चढ़ा जा सकता है। बागपत से पधारे श्रीपाल शर्मा ईदरीशपुरी ने बताया कि लेखक ने अपनी पुस्तक के माध्यम से अनुशासन का महत्व सम्पूर्ण समाज के बीच प्रस्तुत किया है। ओंकार सिंह विवेक ने कहा कि दीपक गोस्वामी की इस उड़ती पतंग के उपसंहार में रामचरित मानस को माध्यमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने की वकालत की है ,जो पूर्णतया उचित है। डाॅ. शिवेश्वर दत्त पाण्डेय ने कहा कि चिराग की उड़ती पतंग की उड़ान अनवरत जारी रहे, ऐसी मंगलकामनाएं हैं क्योंकि यह पुस्तक समाजोपयोगी है। कालेज के निदेशक सम्भव जैन ने कहा कि दीपक गोस्वामी चिराग ने उड़ती पतंग में विख्यात बाल कहानी खरगोश और कछुए की दौड़ को अनुशासन के संदर्भ में एक नए आयाम में प्रस्तुत किया है। छड़ी वाली कथा , विभिन्न ग्रंथों गीता, रामायण से भी श्लोक, चौपाइयों के माध्यम से विषय को रोचक बना दिया,जिसे एक सूक्ष्म शोध की संज्ञा दी जा सकती है।कार्यक्रम के दूसरे चरण में कविगणों ने वर्तमान परिवेश पर अपनी रचनाएं प्रस्तुत करते हुए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कविगणों में विशेष रूप से संभव जैन, सत्यवीर उजाला, डॉ सुनीता शंकवार, विष्णु असावा, ज्ञानप्रकाश उपाध्याय, शबनम शर्मा, कुमार अवधेश विद्यार्थी, रमेश मिश्रा, राजेश तन्हा, नीरज शर्मा ने काव्यपाठ किया।इस अवसर पर विद्यालय परिवार के साथ ही राममूर्ति नाथ, वंश कुमार,विमला देवी, अनुराधा गोस्वामी, वंशिका, मंजू शर्मा आदि लोग उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन अरशद रसूल, अतुल कुमार शर्मा और डॉ संदीप सचेत ने किया।