अहसन मियां की सदारत में गौस-ए-पाक की याद में सजी महफ़िल

दीपक शर्मा (जिला संवाददाता)
बरेली : ग्यारहवी शरीफ पर बड़े पीर शेख अब्दुल कादिर जिलानी बगदादी गौस-ए-पाक की याद में सैलानी रज़ा चौक से निकलने वाला जूलूस-ए-गौसिया इस साल नहीं निकाला गया। बरेली के हालात को मद्देनजर रखते हुए दरगाह से फैसला लिया गया था कि जुलूस नहीं निकाला जाएगा। गौरतलब है कि इस जुलूस में नए और पुराने शहर की लगभग 80 अंजुमने शिरकत करती है।
दरगाह के नासिर कुरैशी ने बताया कि सज्जादानशीन व बानी-ए-जुलूस मुफ़्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) की सदारत में सैलानी रज़ा चौक स्थित हाजी शरिक नूरी के घर पर महफिल सजाई गई। अंजुमन गौसो रज़ा (टीटीएस) के तत्वाधान में बाद नमाज़-ए-फज्र कुरान ख्वानी निवास पर हुई। दिन में महफ़िल का आगाज़ तिलावत-ए-कुरान से मुफ्ती अज़हर रज़ा ने किया। नात-ओ-मनकबत का नज़राना जमन रज़ा,मौलाना मुनीर रज़ा ने पेश किया। कायद-ए-जुलूस मुफ़्ती अहसन मियां के पहुंचने पर अंजुमन गौस-ओ-रज़ा(टीटीएस) के सदर हाजी शरिक नूरी ने फूलों से स्वागत कर दस्तारबंदी की। मुफ्ती जईम रज़ा ने गौस-ए-पाक की करामत बयान करते हुए कहा कि शेख अब्दुल कादिर बगदादी ने हमें बताया कि कितनी ही बड़ी मुश्किल आ जाए लेकिन कभी सच और सब्र का दामन न छोड़ें। अपने मज़हब पर सख्ती से कायम रहते हुए अल्लाह और उसके रसूल के बताए रास्ते पर चले। जुल्म इस्लाम का हिस्सा नही है। न ही हम किसी पर जुल्म करे और न खुद पर जुल्म सहे।
निजामत(संचालन) करते करते हुए मौलाना अज़हर रज़ा ने करते हुए आला हज़रत का ये शेर पढ़ा “ये दिल ये जिगर ये आँखे ये सिर जहाँ चाहो रखों कदम गौसे आज़म।
फातिहा मौलाना बिलाल रज़ा,हाफिज फुरकान रज़ा ने पड़ी तोशा शरीफ की फातिहा हुई। इसके बाद सभी को लंगर तकसीम किया गया। इस मौके पर राशिद अली खान,अंजुमन के उपाध्यक्ष परवेज़ नूरी,सचिव अजमल नूरी,शाहिद नूरी,औरंगजेब नूरी,वामिक रज़ा,नासिर क़ुरैशी,अफजाल उद्दीन,जमाल ख़ान,ताहिर अल्वी,मंज़ूर खान,मुजाहिद रज़ा,वसीम रज़ा,हाजी फैयाज,फिरोज खान,शोएब रज़ा आदि लोग मौजूद रहे।