हरियाणवी संस्कृति को संजोने का कार्य कर रहा है केयू : प्रो. रमेश चंद्र भारद्वाज

हरियाणवी संस्कृति को संजोने का कार्य कर रहा है केयू : प्रो. रमेश चंद्र भारद्वाज।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

हरियाणवी संस्कृति का आईना है रत्नावली : डॉ. राजेश गुप्ता।
केयू राज्य स्तरीय रत्नावली समारोह में दूसरे दिन अतिथियों ने सांस्कृतिक गतिविधियों को सराहा।

कुरुक्षेत्र, 29 अक्टूबर : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय हरियाणवी संस्कृति को संजोने व संरक्षित करने का कार्य कर रहा है। हरियाणा की लोक संस्कृति सबसे प्राचीन व समृद्ध है कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय बधाई का पात्र है कि वह रत्नावली के माध्यम से हरियाणा की समृद्ध लोक संस्कृति को पुनः जीवित करने के प्रयास में लगा है और यह विश्वविद्यालय का दायित्व भी बनता है क्योंकि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय प्रदेश का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय है। यह विचार महर्षि वाल्मीकि संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रमेश चंद्र भारद्वाज ने केयू ऑडिटोरियम हॉल में चल रहे चार दिवसीय राज्य स्तरीय रत्नावली समारोह में दूसरे दिन बतौर मुख्यातिथि व्यक्त किए। इससे पहले कुवि कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने समारोह में पहुंचने पर उनका स्वागत किया तथा विशिष्ट अतिथि हरियाणा लोकल ऑडिट के निदेशक डॉ. राजेश गुप्ता व उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कंचन गुप्ता, पूर्व मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा, विजय नरूला सहित अतिथियों का स्वागत किया व उन्हें स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।
प्रो. रमेश चंद्र भारद्वाज ने कहा कि हमारे लिए गौरव का विषय है कि हमारी संस्कृति बहुत प्राचीन है लेकिन विदेशी आक्रमण के कारण यह लुप्त हो गई थी। लुप्त हुई अपनी लोक संस्कृति को पुनः जीवित करने के पुनीत कार्य में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय लगा हुआ है। यह विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है। हरियाणा प्रदेश का आर्थिक विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक पक्षों का पिछले 9 वर्षों से विकास हो रहा है और इस विकास में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का महत्वपूर्ण योगदान है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ व उनकी टीम हरियाणवी संस्कृति को पुनः जीवित कर देश-विदेश में पहुंचाने के कार्य में लगी है।
हरियाणा लोकल ऑडिट के निदेशक डॉ. राजेश गुप्ता ने कहा कि रत्नावली समारोह हरियाणा की संस्कृति का आईना है और विश्वविद्यालय के प्रयासों से रत्नावली समारोह की धूम विदेशों में भी मची है। उनकी बहुत इच्छा थी कि यह समारोह अंतरराष्ट्रीय स्तर का हो। इस बार समारोह में विशेष रूप से सेवा सिंह की अगुवाई में ऑस्ट्रेलिया का प्रतिनिधि मंडल आया है तथा विदेशों ऑनलाइन माध्यम से इसका प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। रत्नावली समारोह के भव्य आयोजन से युवाओं को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का मौका मिल रहा है। यह एक ऐसा मंच है जहां नई प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का मौका मिलता है। श्रीमती कंचन गुप्ता ने कहा कि रत्नावली एक रत्नों की माला है जोकि हरियाणवी संस्कृति के मोतियों को अपने अंदर पिरोये हुए है। हर कामयाब के पुरुष के पीछे महिला का योगदान होता है।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि पूर्व मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा ने कहा कि हरियाणवी संस्कृति के प्रचार प्रसार में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का विशेष योगदान है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा काफी समय से विजन कुरुक्षेत्र से जुडे़ है जोकि हरियाणा की लोक संस्कृति व खासतौर से कुरुक्षेत्र के विकास में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा, केयू छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. शुचिस्मिता, प्रो. रामविरंजन, प्रो. अनिल गुप्ता, डॉ. आनन्द कुमार, केयू कल्चरल काउंसिल के प्रधान डॉ. संदीप कंधवाल, डीवाईसीए निदेशक डॉ. महासिंह पूनिया, उपनिदेशक गुरचरण सिंह, डॉ. दीपक राय बब्बर, सहायक कुलसचिव डॉ. जितेन्द्र जांगड़ा, डॉ. सुशील टाया सहित गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।
हिन्दी से करें प्रेम : चार्ल्स थॉमस ( ऑस्ट्रेलिया )
केयू ऑडिटोरियम हॉल में दूसरे दिन समारोह में विशेष रूप से ऑस्ट्रेलिया से आए चार्ल्स थॉमस ने कहा कि यदि व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ना है तो उसे हिन्दी भाषा से प्रेम करना चाहिए तथा उसे छोड़ना नहीं चाहिए। थॉमस द्वारा हिन्दी भाषा में दिए गए भाषण पर दर्शकों ने खूब तालियां बजाई व उनका हिन्दी के प्रति प्रेम देखकर सब आश्चर्य चकित रह गए। उन्होंने कहा कि हिन्दी हमें जड़ों से जोडे़ रखती है तथा हिन्दी में बोलने व हिन्दी में कार्य करने पर प्रत्येक व्यक्ति को गर्व होना चाहिए। उनका जन्म ऑस्ट्रेलिया में हुआ है लेकिन वे गर्व से हिन्दी बोलते है। उन्होंने भारत के कुछ संस्थानों में अंग्रेजी में काम-काज होने पर चिंता व्यक्त की।
महावीर गुड्डू की शिव स्तुति ने मोह लिया सबका मन।
हरियाणा के प्रसिद्ध लोक कलाकार महावीर गुड्डू द्वारा राज्य स्तरीय रत्नावली समारोह के दूसरे दिन ऑडिटोरियम हॉल के मंच पर प्रस्तुत की गई शिव स्तुति ने सभी अतिथियों व दर्शकों को मन मोह लिया। महावीर गुड्डू ने कहा कि वह इसी मंच की पैदाइश है तथा रत्नावली ने देश को प्रसिद्ध लोक कलाकार व अभिनेता दिए है। उन्होंने युवा कलाकारों को प्रेरित करते हुए कहा कि कलाकार इमानदारी से अपना कला का प्रदर्शन करें और कला के क्षेत्र में आगे बढ़े। उन्हें दुनिया की कोई भी ताकत आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती। जरूरत है कि कलाकार ईमानदारी व कड़ी मेहनत, सच्ची निष्ठा से अपना कार्य करें।

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