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दुख और उदासी से मुक्त होने का उपाय ध्यान है : समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

कुरुक्षेत्र : समर्थगुरू धाम मुरथल, हरियाणा के संस्थापक आदरणीय समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया की कृपा से समर्थगुरु धाम के अनुभवी आचार्य गोपाल ने बहुत ही प्रभावशाली एवं मनमोहक ढंग से सभी साधकों को भक्ति भाव में रहने के गहरे सूत्र बताते हुऐ कीर्तन ध्यान का प्रयोग करवाया।
हिमाचल एवं विश्व के सभी जगहों से, मित्रों ने ध्यान एवं सत्संग का आनंद लिया।
समर्थगुरु संघ हिमाचल की ओर से हर सप्ताह बुधवार को निशुल्क ध्यान व सत्संग का आयोजन होता हैं
समर्थगुरु मैत्री संघ हिमाचल प्रदेश के कोऑर्डिनेटर आचार्य कुंजबिहारी ने समर्थगुरु धाम के अगामी प्रोग्रामों के लिए मित्रों को निमंत्रण दिया।
सभी साधकों का, स्वामी केतन, स्वामी ऋषभ, मां प्रार्थना और टीम हिमाचल का बहुत-बहुत धन्यवाद किया। समर्थगुरु मैत्री संघ हिमाचल प्रदेश के ज़ोनल कोऑर्डिनेटर आचार्य डा. सुरेश मिश्रा ने बताया कि सनातन धर्म में जीवित सद्गुरू और गुरु की सता का महत्वपूर्ण भूमिका है। हम सभी साधक भाग्यशाली है जो कि आदरणीय समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया के सान्निध्य में निरन्तर साधना कर रहे है।
ट्विटर के माध्यम से समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया ने बताया कि दुख और उदासी से मुक्त होने का एकमात्र उपाय है ध्यान, क्योंकि ध्यान से ही तुम जानते हो कि तुम आत्मा हो। आत्म स्मरण में जीना ही साक्षी है।
वस्तुतः साक्षी ही दुख और उदासी की असली
औषधि है। सनातन धर्म का मूल तत्त्व ओंकार है। जहाँ ओंकार है, वहाँ सनातन धर्म है और जहाँ ओंकार नहीं है वहाँ सनातन धर्म नहीं है। गुरु की सत्ता से ही ज्ञान है, भक्ति है। गुरु की सत्ता से ही साधना है। गुरु की सत्ता से ही सनातन धर्म की जीवंतता है।

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