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मोहर्रम:हर मोमिन को हाजी बना काबे शरीफ़ की ज़ियारत करवा दे…ऐ खुदा

दीपक शर्मा (जिला संवाददाता)

बरेली : मोहर्रम की नवीं रात को 1937 का नक्शा ए हरम शरीफ की ज़्यारत की अकीदतमंदों ने,मोहम्मद शुऐब ने बताया कि मलूकपुर में पूर्व पार्षद मरहूम मो.नासिर की गली में पुश्तेनी रस्म अदा करते हुऐ अपने लकड़दादा हाजी अमीर उल्लाह साहब जब हज से वापस लौटे तब यह 1937 के काबा शरीफ का नक्शा लेकर आये और मोहर्रम की 9 तारीख को नक्शा बनाया,तब से लेकर आज 88 वर्ष बीतने के बाद भी रोज़ा ए मुबारक को सजाया जा रहा है इसी कड़ी को बदस्तूर आज भी हर साल की तरह मोहर्रम की नवीं रात को काबे शरिफ का वो मंज़र देखने को आज भी बड़ी तादात में अक़ीदतमंद दूरदराज़ से देखने आते है रोज़ा ए मुबारक 1937 की यादों तारोताज़ा करता है,अकीदतमंद दुआँ कर सुब्हान अल्लाह और माशा अल्लाह कहकर मन मे काबे शरीफ को महसूस किया।इस मौक़े पर बरेली हज सेवा समिति के संस्थापक पम्मी खां वारसी को भी बुलाकर दिखाया गया,पम्मी वारसी ने कहा कि हर मोमिम के नसीब में अल्लाह हज लिखे यही दुआँ हैं हमारी।
इस दौरान सपा नेता इंजीनियर अनीस अहमद ख़ाँ अपनी टीम के साथ रोज़ा ए मुबारक पर पहुँचे और काबे शरीफ़ के नक्शे की तारीफ़ की और दुआ की हज़रत इमाम हुसैन एवं कर्बला के 72 शहीदों के वसीले से अल्लाह हमारे मुल्क और आवाम की खुशहाली, तरक़्क़ी हो,अमन भाईचारा कायम हो,बेरोजगारों की बेरोजगारी दूर हो। इस मौके पर मो0 शोएब, इंजीनियर अनीस अहमद ख़ाँ,पम्मी ख़ाँ वारसी,हाजी उवैस खान,हाजी शोएब खान,मो रुशेद,मुजाहिद खां भूरा, अशफ़ाक़ अहमद,इसरार वली ख़ाँ, मोहम्मद जावेद, मोहसिन, गुल मोहम्मद, मो आसिफ, मो इलमान आदि का सहयोग रहा।

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