Uncategorized

प्राकृतिक खेती कोई विकल्प नहीं, बल्कि भविष्य की अनिवार्यता है : राज्यपाल आचार्य देवव्रत

प्राकृतिक खेती कोई विकल्प नहीं, बल्कि भविष्य की अनिवार्यता है : राज्यपाल आचार्य देवव्रत

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
दूरभाष 9416191877

हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी बोले “प्राकृतिक खेती केवल कृषि पद्धति नहीं, सम्पूर्ण जीवन-दर्शन है”
विश्व पर्यावरण दिवस पर हरियाणा के हिसार में हुआ भव्य प्राकृतिक खेती सम्मेलन, हजारों किसान हुए सहभागी।

हिसार : विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में आयोजित प्राकृतिक खेती सम्मेलन में गुजरात के राज्यपाल एवं प्राकृतिक खेती के प्रबल समर्थक आचार्य देवव्रत ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती अब कोई विकल्प नहीं, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए अनिवार्यता बन चुकी है। उन्होंने रासायनिक खेती के गंभीर दुष्परिणामों पर चिंता जताते हुए कहा कि अंधाधुंध रासायनिक खाद और कीटनाशकों के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता नष्ट हो रही है और कैंसर, मधुमेह, हृदयघात जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि यदि हमें देश को एक स्थायी और लाभदायक कृषि पद्धति की दिशा में ले जाना है तो प्राकृतिक खेती को अपनाना ही होगा। उन्होंने बताया कि वे स्वयं 180 एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और रासायनिक खेती की तुलना में अधिक उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं।
राज्यपाल देवव्रत ने स्पष्ट किया कि प्राकृतिक खेती और जैविक खेती में महत्वपूर्ण अंतर है। जैविक खेती अत्यंत खर्चीली होती है और उसमें भी प्रदूषण की संभावनाएं होती हैं, जबकि प्राकृतिक खेती कम लागत वाली, प्रदूषण रहित और अधिक प्रभावी पद्धति है।
उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रारंभ किए गए राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन से जुड़ें, जिसका लक्ष्य वर्ष 2025-26 तक देश के एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ना है। इसके लिए केंद्र सरकार ने ₹2481 करोड़ का बजट निर्धारित किया है।
राज्यपाल ने कहा कि प्राकृतिक खेती स्वस्थ फसल उत्पादन, जल संरक्षण, उर्वरता वृद्धि और लागत में कटौती का माध्यम है। इससे न केवल किसानों की आय बढ़ती है, बल्कि उपभोक्ताओं को भी सुरक्षित और पोषणयुक्त आहार प्राप्त होता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्राकृतिक खेती अपनाने से उत्पादन में कोई कमी नहीं आती है।
उन्होंने किसानों, वैज्ञानिकों और नीति-निर्माताओं से मिलकर एक समग्र रणनीति तैयार करने का आह्वान किया ताकि देश को रासायनिक खेती के दुष्चक्र से बाहर निकाला जा सके और एक स्वस्थ व समृद्ध भारत का निर्माण हो।
मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने कहा – “प्राकृतिक खेती से मानव मूल्य और पर्यावरण दोनों की रक्षा होती है”
हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री नायब सिंह सैनी ने इस अवसर पर राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उनका मार्गदर्शन अत्यंत प्रेरणादायक है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती केवल एक कृषि पद्धति नहीं, बल्कि सम्पूर्ण जीवन-दर्शन है, जिसमें प्रकृति का शोषण नहीं होता, अपितु उसका संरक्षण होता है।
मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि हरियाणा सरकार इस अभियान को तेजी से राज्यभर में प्रसारित करेगी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसानों में जागरूकता फैलाने का कार्य तीव्र गति से किया जा रहा है और वर्ष 2025-26 तक राज्य की एक लाख एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में नियमित रूप से प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए जाते हैं ताकि किसान आधुनिक तकनीकों को समझ सकें। ब्रांडिंग और पैकेजिंग के लिए किसानों को ₹20,000 की सहायता दी जाती है, जबकि देसी गाय की खरीद पर ₹30,000 की सब्सिडी भी उपलब्ध कराई जाती है।
किसान कल्याण हेतु हरियाणा सरकार की योजनाएं और कठोर कदम।
मुख्यमंत्री ने बताया कि, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अंतर्गत 20 लाख किसानों को अब तक ₹563 करोड़ वितरित किए गए हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत पिछले 10 वर्षों में ₹15,145 करोड़ किसानों के खातों में जमा किए गए हैं। नकली खाद, बीज और कीटनाशक बेचने वाली कंपनियों पर रोक लगाने हेतु विधानसभा में कानून लाकर कड़े प्रावधान लागू किए गए हैं। अंग्रेजों के समय से चली आ रही किसानों की ₹133 करोड़ की देनदारी को समाप्त कर दिया गया है। पट्टेदार किसानों को मालिकाना हक देने के लिए कृषि भूमि पट्टा नियम लागू किया गया है।
मुख्यमंत्री श्री सैनी ने घोषणा की कि गुरुग्राम में प्राकृतिक एवं ऑर्गेनिक उत्पादों के लिए विशेष बाजार (मार्केट) की स्थापना की जाएगी। इसमें बागवानी विभाग द्वारा एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला स्थापित की जाएगी जहाँ शाकभाजी एवं अन्य फसलों की निःशुल्क गुणवत्ता जाँच की जा सकेगी। साथ ही, प्राकृतिक उत्पादों के उचित मूल्य निर्धारण हेतु एक विशेष समिति भी गठित की जाएगी।
सम्मेलन में अनेक विशिष्टजन और वैज्ञानिक रहे उपस्थित।
इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में हरियाणा के कृषि मंत्री श्री श्याम सिंह राणा, जनस्वास्थ्य मंत्री श्री रणबीर सिंह गंगवा, विधायक श्री रणधीर पनिहार एवं श्री विनोद भायाना, कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. राजशेखर वृंद्रु, चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.आर. कम्बोज, महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.के. मल्होत्रा, लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेश जिंदल समेत अनेक वरिष्ठ अधिकारी एवं हजारों की संख्या में किसान भाई-बहन उपस्थित रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Compare Listings

Title Price Status Type Area Purpose Bedrooms Bathrooms
plz call me jitendra patel