उत्तराखंड: वन तस्करों द्वारा लगातार सौगान आदि की बेशकीमती लकड़ी काटी जा रही है,

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लालकुआं तराई केन्द्रीय वन प्रभाग में वन तस्करों द्वारा लगातार सागौन आदि की बेशकीमती लकड़ी काटी जा रही है लेकिन वन तस्कर अभी तक विभाग की पकड़ से दूर हैं। बता दें कि वन विभाग की धरपकड़ के दौरान वन विभाग के हाथों केवल वन से काटी गई लकड़ी और तस्करी में इस्तेमाल वाहन तो पकड़े जा रहे हैं लेकिन दबिश के दौरान हर बार लकड़ी तस्कर फरार हो जाने में सफल रहते हैं ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या वास्तव में आरोपी फरार हो रहे हैं या फिर वन विभाग और वन तस्करों की मिलीभगत के चलते यह सबकुछ चल रहा है। यहां एक दो मामलों को छोड़ दें तो तस्कर हमेशा वन विभाग के तेज-तर्रार अधिकारियों और कर्मियों के हाथ नहीं आते हैं।वन विभाग के बेशकीमती जंगल धीरे धीरे खाली होते जा रहे हैं। लेकिन वन अधिकारी जंगल को काटे जाने पर अंकुश लगाने में पूरी तरह से नाकाम साबित होते दिखाई दे रहे हैं विभागीय लापरवाही का ही परिणाम है कि जंगल में अवैध लकड़ी कटान में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। इधर बीते एक माह पूर्व तराई केन्द्रीय वन प्रभाग की टाड़ा रेंज में वन तस्करों द्वारा काटे गए अवैध सगौन के गिल्टों पर वन विभाग ने कार्रवाई करते हुए गिल्टों से लदी पिकअप तो पकड़ी ली लेकिन वन कर्मी आज तक लकड़ी तस्करों तक पहुंचने में नाकाम रही है इसके अलावा और भी ऐसे कई मामले हैं जिनमें आज तक वन विभाग लकड़ी तस्करों को पकड़ने में नाकाम रहा है इसे वन विभाग की कमजोरी माना जाये या फिर मिलीभगत जिसके चलते अवैध लकड़ी और तस्करी में प्रयुक्त वाहन तो पकड़ लिए जाते हैं लेकिन लकड़ी तस्कर फरार हो जाते हैं। वहीं विभागीय सूत्रों की माने तो यह सब मिलीभगत का नतीजा है और इसमें मोटी कमाई की जाती है” कहावत है कि जब बाड़ ही खेत खा रही हो तो उसे रोकेगा कौन ? ऐसे में सबसे बड़ी और अहम बात यह है कि ऐसे मामलों में वन विभाग के उच्च स्तरीय अधिकारी आगे क्या कार्यवाही करते हैं यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। बता दें कि बीते एक महिने पहले तराई केन्द्रीय वन प्रभाग के टाड़ा रेंज में वन तस्करों ने जंगल में घुसकर बेशकीमती सगौन के पेड़ों पर जमकर आरी चलाई जिसके बाद वन तस्कर रात के अधेंरे में ही काटे गए सगौन के गिल्टो को पिकअप में लादकर ले जा रहे थे जिसे वन विभाग की टीम ने पकड़ लिया इसमें दिलचस्प बात यह है कि वन विभाग ने जिस वाहन को पकड़ा उसमें बैठे लकड़ी तस्कर और चालक पिकअप छोड़ कर भाग निकले जबकि वन विभाग के तेज-तर्रार अधिकारी और कर्मचारियों की पूरी टीम मौके पर मय असहलों के मौजूद थी। फिर वन तस्कर फरार हो गये जो सबसे बड़ा सवाल है वही वन विभाग की टीम द्वारा पकड़ी गई पिकअप और उसमें सगौन के गिल्टों को जब्त कर टाड़ा रेंज कार्यालय में लाकर खड़ा कर दिया गया जिसके बाद वन विभाग ने अज्ञात वन तस्करों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कार्यवाही करने का दावा किया था।लेकिन एक माह से अधिक का समय बीत चुका है परंतु वन विभाग के हाथ अभी तक वन तस्कर नहीं लगे हैं‌ जो कहीं ना कहीं वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहा है वैसे रेंज में प्रदेश के तेज तर्रार अधिकारी भी तैनात हैं उसके बावजूद वन तस्करों का फरार रहना कहीं ना कही अधिकारियों की तेजतर्रारी और ईमानदारी पर भी सवाल खड़े कर रही है।

लालकुआं तराई केन्द्रीय वन प्रभाग में वन तस्करों द्वारा लगातार सागौन आदि की बेशकीमती लकड़ी काटी जा रही है लेकिन वन तस्कर अभी तक विभाग की पकड़ से दूर हैं।


बता दें कि वन विभाग की धरपकड़ के दौरान वन विभाग के हाथों केवल वन से काटी गई लकड़ी और तस्करी में इस्तेमाल वाहन तो पकड़े जा रहे हैं लेकिन दबिश के दौरान हर बार लकड़ी तस्कर फरार हो जाने में सफल रहते हैं ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या वास्तव में आरोपी फरार हो रहे हैं या फिर वन विभाग और वन तस्करों की मिलीभगत के चलते यह सबकुछ चल रहा है। यहां एक दो मामलों को छोड़ दें तो तस्कर हमेशा वन विभाग के तेज-तर्रार अधिकारियों और कर्मियों के हाथ नहीं आते हैं।
वन विभाग के बेशकीमती जंगल धीरे धीरे खाली होते जा रहे हैं। लेकिन वन अधिकारी जंगल को काटे जाने पर अंकुश लगाने में पूरी तरह से नाकाम साबित होते दिखाई दे रहे हैं विभागीय लापरवाही का ही परिणाम है कि जंगल में अवैध लकड़ी कटान में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है।
इधर बीते एक माह पूर्व तराई केन्द्रीय वन प्रभाग की टाड़ा रेंज में वन तस्करों द्वारा काटे गए अवैध सगौन के गिल्टों पर वन विभाग ने कार्रवाई करते हुए गिल्टों से लदी पिकअप तो पकड़ी ली लेकिन वन कर्मी आज तक लकड़ी तस्करों तक पहुंचने में नाकाम रही है इसके अलावा और भी ऐसे कई मामले हैं जिनमें आज तक वन विभाग लकड़ी तस्करों को पकड़ने में नाकाम रहा है इसे वन विभाग की कमजोरी माना जाये या फिर मिलीभगत जिसके चलते अवैध लकड़ी और तस्करी में प्रयुक्त वाहन तो पकड़ लिए जाते हैं लेकिन लकड़ी तस्कर फरार हो जाते हैं।
वहीं विभागीय सूत्रों की माने तो यह सब मिलीभगत का नतीजा है और इसमें मोटी कमाई की जाती है” कहावत है कि जब बाड़ ही खेत खा रही हो तो उसे रोकेगा कौन ? ऐसे में सबसे बड़ी और अहम बात यह है कि ऐसे मामलों में वन विभाग के उच्च स्तरीय अधिकारी आगे क्या कार्यवाही करते हैं यह तो आने वाला समय ही बतायेगा।
बता दें कि बीते एक महिने पहले तराई केन्द्रीय वन प्रभाग के टाड़ा रेंज में वन तस्करों ने जंगल में घुसकर बेशकीमती सगौन के पेड़ों पर जमकर आरी चलाई जिसके बाद वन तस्कर रात के अधेंरे में ही काटे गए सगौन के गिल्टो को पिकअप में लादकर ले जा रहे थे जिसे वन विभाग की टीम ने पकड़ लिया इसमें दिलचस्प बात यह है कि वन विभाग ने जिस वाहन को पकड़ा उसमें बैठे लकड़ी तस्कर और चालक पिकअप छोड़ कर भाग निकले जबकि वन विभाग के तेज-तर्रार अधिकारी और कर्मचारियों की पूरी टीम मौके पर मय असहलों के मौजूद थी। फिर वन तस्कर फरार हो गये जो सबसे बड़ा सवाल है वही वन विभाग की टीम द्वारा पकड़ी गई पिकअप और उसमें सगौन के गिल्टों को जब्त कर टाड़ा रेंज कार्यालय में लाकर खड़ा कर दिया गया जिसके बाद वन विभाग ने अज्ञात वन तस्करों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कार्यवाही करने का दावा किया था।लेकिन एक माह से अधिक का समय बीत चुका है परंतु वन विभाग के हाथ अभी तक वन तस्कर नहीं लगे हैं‌ जो कहीं ना कहीं वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहा है वैसे रेंज में प्रदेश के तेज तर्रार अधिकारी भी तैनात हैं उसके बावजूद वन तस्करों का फरार रहना कहीं ना कही अधिकारियों की तेजतर्रारी और ईमानदारी पर भी सवाल खड़े कर रही है।

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साग़र मलिक उतराखंड प्रभारी(वी वी न्यूज़)

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