उत्तराखंड चंडी मंदिर विवाद: महंत की गिरफ्तारी और घरेलू विवाद के बाद हुई थी रिसीवर की नियुक्ति,

सागर मलिक
*चंडी मंदिर विवाद- हाईकोर्ट के आदेश के बाद बीकेटीसी ने रिसीवर नियुक्त किया था
अब सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद हलचल हुई तेज
चंडी देवी के महंत रोहित गिरी छेड़छाड़ के मामले में मई में हुए थे गिरफ्तार*
देहरादून/हरिद्वार। प्रसिद्ध चंडी मन्दिर में बद्री केदार मन्दिर समिति के रिसीवर की नियुक्ति पर बेशक सुप्रीन कोर्ट ने राज्य सरकार का जवाब तलब किया है।
लेकिन मन्दिर के महंत रोहित गिरी के छेड़छाड़ के मामले में जेल जाने और पहली पत्नी और बेटे के मंदिर की गद्दी पर अधिकार को लेकर उपजे विवाद के बाद हाईकोर्ट नैनीताल ने 25 जून को रिसीवर नियुक्त करने के आदेश दिए थे।
इस मामले में महंत के साथ लिव इन में रह रही एक अन्य महिला का विवाद भी चर्चा में रहा था। इस महिला से महंत का छह महीने का बेटा भी है। जबकि पहली पत्नी से 19 साल का एक लड़का।
यह आदेश हाईकोर्ट के जज राकेश थपलियाल ने दिया था। इसी आदेश को सेवायत ने सुप्रीन कोर्ट में चुनौती दी गयी।
गौरतलब है कि महंत रोहित गिरी को पंजाब पुलिस ने एक महिला की शिकायत पर 14 मई 2025 को गिरफ्तार किया था। छेड़छाड़ की यह शिकायत लुधियाना में दर्ज की गई थी।
इधऱ, सोमवार को सुप्रीन कोर्ट के नोटिस पर बीकेटीसी के सीईओ विजय थपलियाल ने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल में विचाराधीन प्रार्थना पत्र सं० 692/2025 में पारित आदेश दिनांक 25 जून 2025 के अनुपालन में 2 जुलाई, 2025 को श्री बदरीनाथ केदारनाथ मन्दिर समिति द्वारा मॉ चण्डी देवी मन्दिर परमार्थ ट्रस्ट हरिद्वार का अधिग्रहण करते हुए संचालन / प्रबन्धन का पर्यवेक्षण कार्य शुरू कर दिया गया था।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मन्दिर समिति ने 6 कर्मचारियों एवं एक प्रशासनिक अधिकारी की तैनाती कर मॉ चण्डी देवी मन्दिर हरिद्वार की व्यवस्था का उत्तरदायित्व संभाला।
सम्बन्धित कर्मचारी / अधिकारी मौका स्थल पर ही कार्य कर रहें हैं। इसके साथ ही प्रभारी अधिकारी, श्री बदरीनाथ मन्दिर व बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल, भी बार-बार निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा ले रहे हैं।
यही नहीं, मॉ चण्डी देवी मन्दिर में श्रद्धालुओं द्वारा दान दिये जाने के लिए QR कोड की व्यवस्था की गयी एवं मन्दिर परिसर में श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु प्रसाधन कक्षों की मरम्मत करवा दी गयी है।
दर्शन पथ पर मैटिंग की व्यवस्था की गयी है। मन्दिर की सुरक्षा व्यवस्था हेतु सीसीटीवी कैमरे लगवा दिये गये हैं और अग्रिम व्यवस्थाओं का कार्य गतिमान है।
इधऱ, मंदिर के सेवायत (पुजारी) की ओर से रिसीवर नियुक्त करने सम्बन्धी नैनीताल हाईकोर्ट के 25 जून के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी थी।
इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को हुई सुनवाई में जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला और एसवीएन भट्ट की खंडपीठ ने उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह के अंदर जवाब देने का निर्देश दिया।
वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ डेव और अधिवक्ता अश्विनी दुबे ने हरिद्वार के मां चंडी देवी मंदिर के महंत भवानी नंदन गिरी की ओर से याचिका दायर की थी।
गिरी की याचिका में कहा गया कि उत्तराखंड हाई कोर्ट ने बिना किसी साक्ष्य व शिकायत के मंदिर का नियंत्रण एक समिति को सौंप दिया, जबकि पहले से ही 2012 में हाई कोर्ट द्वारा हरिद्वार के डीएम और एसएसपी की एक समिति गठित की गई थी।
याचिका में कहा गया है कि रिसीवर नियुक्त करने का आदेश एक आपराधिक मामले में एक आरोपित की अग्रिम जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान पारित किया गया था। रिसीवर नियुक्त करने सम्बन्धी यह आदेश हाईकोर्ट के जज राकेश थपलियाल ने 25 जून को दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि
मां चंडी देवी मंदिर, हरिद्वार की स्थापना 8वीं शताब्दी में जगद्गुरु श्री आदि शंकराचार्य द्वारा की गई थी और तब से याचिकाकर्ता के पूर्वज इसकी सेवायत के रूप में देखरेख कर रहे हैं। “सेवायत” का अर्थ है वे पुजारी जो मंदिरों के दैनिक अनुष्ठानों और प्रबंधन में सक्रिय रूप से शामिल होते हैं।
चंडी मन्दिर के महंत रोहित गिरी की गिरफ्तारी के बाद रिसीवर नियुक्ति के मसले पर सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद राज्य सरकार को अगस्त महीने में जवाब दाखिल करना होगा।