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गुरुकुल कुरुक्षेत्र के वार्षिक महोत्सव का दूसरा दिन…शिक्षा, संस्कार और संस्कृति का अद्भुत संगम है गुरुकुल : गुलाब चन्द कटारिया

युवाओं को संस्कारवान् बनाना गुरुकुल का मुख्य लक्ष्य : आचार्य देवव्रत।

कुरुक्षेत्र, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक 16 अक्तूबर : गुरुकुल में आचार्य देवव्रत जी ने सही मायनों में शिक्षा को संस्कार और संस्कृति से जोड़ा है जिससे यहां पर युवा निर्माण के साथ- साथ सशक्त भारत का निर्माण हो रहा है। उक्त शब्द गुरुकुल के वार्षिक महोत्सव के दूसरे दिन मुख्य अतिथि के रूप में पधारे पंजाब के राज्यपाल श्री गुलाब चन्द कटारिया ने कहे। उन्होंने कहा कि मल्लखम्भ और घुड़सवारी जैसे हैरतअंगेज करतब जो गुरुकुल के ब्रह्मचारियों ने प्रस्तुत किये, ये हमें हमारी प्राचीन शिक्षा पद्धति के दर्शन कराते हैं, ये कलाएं अब दूसरे संस्थानों में नजर नहीं आती। इस अवसर पर कार्यक्रम के अध्यक्ष गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी, डॉ. राजेन्द्र विद्यालंकार, डॉ. प्रशान्त नरावणे, डॉ. निशिकान्त देशपांडे, गुरुकुल के प्रधान राजकुमार गर्ग, उप प्रधान सतपाल काम्बोज, निदेशक ब्रिगेडियर डॉ. प्रवीण कुमार, प्राचार्य सूबे प्रताप सहित अनेक महानुभाव मौजूद रहे।
श्री कटारिया ने कहा कि आचार्य देवव्रत धन्यवाद के पात्र है जिनके द्वारा सिंचित गुरुकुलरूपी यह पौधा आज विशाल वटवृक्ष के रूप में देश के निर्माण में अहम भूमिका अदा कर रहा है। गुरुकुल के एनडीए, नीट, आईआईटी के उत्कृष्ट परिणामों पर राज्यपाल महोदय ने खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि वे राजस्थान से आते हैं और सौभाग्य से महर्षि दयानन्द सरस्वती ने अमर ग्रन्थ की रचना नवलखा महल उदयपुर में की थी। आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद के मानसपुत्र स्वामी श्रद्धानन्द ने इस गुरुकुल की स्थापना की थी जो आज देश की अग्रणी शिक्षा संस्था में रूप में विख्यात है। प्राकृतिक कृषि का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री श्रभ् नरेन्द्र मोदी जी ने आचार्यश्री की प्राकृतिक कृषि मॉडल से प्रभावित होकर इसे पूरे देश में लागू किया क्योंकि आज इसकी महती आवश्यकता है। कीटनाशक और रासायनिक खादों के प्रयोग से आज हमारा खानपान दूषित हो चुका है जिससे कैंसर, हार्टअटैक जैसी गंभीर बीमारियां फैल रही है, इससे बचने का केवल एक ही उपाय है-प्राकृतिक खेती। इस अवसर पर राज्यपाल आचार्य देवव्रत सहित गुरुकुल के अधिकारियां ने पंजाब के राज्यपाल माननीय गुलाब चन्द कटारिया को शॉल और स्मृति-चिह्न भेंट कर सम्मानित किया।
कार्यक्रम की शुरुआत भव्य मार्च-पास्ट से हुई, जिसके बाद गुरुकुल के ब्रह्मचारियों द्वारा विभिन्न शारीरिक प्रदर्शन प्रस्तुत किए गए। विद्यार्थियों ने घुड़सवारी, मल्लखंभ, रस्सी चढ़ाई, लाठी नृत्य (लजियम), योग और जिमनास्टिक जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रत्येक प्रस्तुति विद्यार्थियों के कठिन परिश्रम, अनुशासन और गुरुकुल की श्रेष्ठ प्रशिक्षण परंपरा को दर्शाती थी।
निदेशक डॉ. प्रवीण कुमार ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए सत्र 2024-25 की उपलब्धियों का विवरण दिया। उन्होंने गर्वपूर्वक बताया कि 54 विद्यार्थियों ने एन.डी.ए. की प्रारंभिक परीक्षा, 28 उत्तीर्ण की है। इसके अतिरिक्त अनेक विद्यार्थियों ने राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर की खेलकूद और सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर गुरुकुल का नाम रोशन किया है। योग एवं कुश्ती प्रतियोगिताओं में भी विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय स्तर पर अनेक उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं।
राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी ने पंजाब के राज्यपाल का इस अवसर पर उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल और यादगार बनाने के लिए धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य बच्चों को केवल अक्षरज्ञान देना नहीं अपितु नैतिक मूल्यों और वैदिक संस्कारों से पोषित करता है। गुरुकुलों में एक-एक ब्रह्मचारी पर अध्यापकों व संरक्षकों की पैनी नजर रहती है जिससे उनका पूरा फोकस अपने लक्ष्य की ओर रहे। उन्होंने बताया कि गुरुकुलों में कॉम्पिटेटिव विंग के छात्रों के लिए अलग से फैकल्टी उपलब्ध करवाई गई है जिससे बच्चों को सही समय पर सटीक मार्गदर्शन मिले और वे सही केरियर का चुनाव कर उसमें सफलता हासिल करें। उन्होंने सभी अभिभावकों, शिक्षकों, वार्डनों और विद्यार्थियों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ दीं और प्रेम, प्रकाश एवं शिक्षा के संदेश का प्रसार करने का आह्वान किया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रीय गान और धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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