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निःस्वार्थ सेवा मानवता का सर्वाेच्च रूप : डॉ. वीरेन्द्र पाल

ब्यूरो चीफ – संजीव कुमारी।

कुवि के वाईआरसी प्रशिक्षण शिविर में युवाओं को दिया निःस्वार्थ सेवा का संदेश।

कुरुक्षेत्र, 11 नवम्बर : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में चल रहे यूथ रेड क्रॉस (वाईआरसी) प्रशिक्षण शिविर के तीसरे और चौथे दिन निःस्वार्थ सेवा, सांस्कृतिक चेतना, स्वास्थ्य जागरूकता और स्वच्छता के समग्र संदेश की प्रेरणादायक गूंज सुनाई दी। शिविर में युवा स्वयंसेवकों ने आत्मिक जागरण, सामाजिक जिम्मेदारी और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के माध्यम से सेवा के सिद्धांत को जीवंत रूप में अनुभव किया।
तीसरे दिन के कार्यक्रम की शुरुआत वाईआरसी कार्यक्रम समन्वयक प्रो. डी.एस. राणा द्वारा अतिथियों के स्वागत और दीप प्रज्ज्वलन से हुई। मुख्य सत्र में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार लेफ्टिनेंट (डॉ.) वीरेन्द्र पाल और डॉ. प्रीतम सिंह, निदेशक, डॉ. बी.आर. अंबेडकर अध्ययन केंद्र, ने युवाओं को प्रेरणादायक मार्गदर्शन दिया।
इस अवसर पर कुलसचिव लेफ्टिनेंट (डॉ.) वीरेन्द्र पाल ने कहा कि निःस्वार्थ सेवा मानवता का सर्वाेच्च रूप है और यही रेड क्रॉस की आत्मा है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे करुणा, संवेदना और सेवा के मूल्यों को जीवन में अपनाकर समाज हित में सक्रिय हों। उन्होंने कहा कि किसी राष्ट्र की वास्तविक शक्ति उसके युवाओं के चरित्र में निहित होती है।
डॉ. प्रीतम सिंह ने भारत की सभ्यतागत विरासत और कुरुक्षेत्र की धर्म और ज्ञानभूमि के रूप में पहचान पर प्रकाश डालते हुए युवाओं को अपनी संस्कृति, मूल्य और जड़ों से जुड़े रहने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि भारत की आत्मा उसकी ज्ञान परंपरा और जीवन-दर्शन में स्थित है और भविष्य उन्हीं युवाओं का है जो परंपरा और नवाचार दोनों को संतुलित कर आगे बढ़ते हैं।
दिन का आरंभ ब्रह्माकुमारी बहनों मधु और पूनम द्वारा राजयोग ध्यान सत्र से हुआ, जिसमें प्रतिभागियों ने सच्ची खुशी और आत्मिक शांति के महत्व को अनुभव किया। इसके बाद विश्वविद्यालय स्वास्थ्य केंद्र के मेडिकल ऑफिसर डॉ. आशीष अनेजा ने रोकथाम आधारित स्वास्थ्य देखभाल पर जोर देते हुए कहा कि संतुलित जीवनशैली ही स्वस्थ जीवन का आधार है। दिन के दौरान आयोजित तात्कालिक भाषण और सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में स्वयंसेवकों ने नेतृत्व कौशल, अभिव्यक्ति और सांस्कृतिक विविधता का सुंदर प्रदर्शन किया।
चौथे दिन प्रो. डी.एस. राणा के नेतृत्व में “स्वच्छ मन, स्वस्थ शरीर, स्वच्छ पर्यावरण” संदेश के साथ विशाल स्वच्छता अभियान आयोजित किया गया। सुबह का जुम्बा और एरोबिक्स सत्र, जिसे सुश्री सोनम ने संचालित किया, ने शिविर में ऊर्जा और जोश भर दिया। इसके बाद प्रो. डी.एस. राणा ने स्वयं सफाई अभियान की शुरुआत की और युवाओं को सक्रिय रूप से शामिल करते हुए कहा कि स्वच्छता केवल एक दिन का कार्यक्रम नहीं बल्कि जीवनशैली का हिस्सा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि “स्वच्छ मन, स्वस्थ शरीर और स्वच्छ पर्यावरण यही एक सशक्त राष्ट्र की पहचान है।” सैकड़ों स्वयंसेवकों ने विश्वविद्यालय परिसर में सफाई कर “स्वच्छ परिसर, स्वस्थ जीवन” और “परिवर्तन बनो जिसकी तुम कामना करते हो” का संदेश फैलाया।
इन दो दिनों के अनुभव ने युवाओं में सेवा, अनुशासन, सांस्कृतिक मूल्यों और पर्यावरणीय जिम्मेदारी की भावना को और मजबूत किया। वाईआरसी प्रशिक्षण शिविर विश्वविद्यालय में युवा ऊर्जा के सकारात्मक, प्रेरणादायी और राष्ट्र निर्माणकारी रूप का सशक्त उदाहरण बनकर सामने आया।

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