रास रस के आनंद का केंद्र है शरद पूर्णिमा : स्वामी ज्ञानानंद

रास रस के आनंद का केंद्र है शरद पूर्णिमा : स्वामी ज्ञानानंद।

सेंट्रल डेस्क संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
संवाददाता – महेश्वर गुरागाई।

वृन्दावन : परिक्रमा मार्ग स्थित श्रीकृष्ण कृपा धाम में त्रिदिवसीय दिव्य व भव्य शरदोत्सव अत्यंत श्रद्धा एवं धूमधाम के साथ प्रारम्भ हो गया है।महोत्सव का शुभारंभ अनेक प्रख्यात संतों व विद्वानों ने श्रीराधाकृष्ण के चित्रपट के समक्ष वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य दीप प्रज्ज्वलित करके एवं पुष्प अर्पित करके किया। इस अवसर पर आयोजित वृहद संत सम्मेलन में श्रीकृष्ण कृपा धाम के अधिष्ठाता महामंडलेश्वर गीतामनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा ग्रीष्म ऋतु से शरद ऋतु में प्रवेश का द्वार है।इसे भक्ति व प्रेम के रस का सागर भी माना गया है।शरद पूर्णिमा कन्हैया की वंशी का प्रेम नाद एवं जीवात्मा व परमात्मा के रास रस के आनंद का केंद्र है। इसीलिए इसे लोक कथाओं से लेकर शास्त्रों तक में शुभ व मंगलकारी बताया गया है।
भानपुरा पीठाधीश्वर ज्ञानानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि शरद पूर्णिमा जितनी पावन व पुनीत किसी भी ऋतु की कोई रात्रि नहीं है।शरद पूर्णिमा महालक्ष्मी का भी पर्व है।ऐसी मान्यता है कि धन संपति की अधिष्ठात्री महालक्ष्मी शरद पूर्णिमा की रात्रि में पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं।अत: यह लक्ष्मी पूजा का भी पर्व है।
मलूक पीठाधीश्वर स्वामी राजेंद्रदास देवाचार्य महाराज व आचार्य पीठाधीश्वर वैष्णवाचार्य मारुति नंदन वागीश ने कहा कि शरद पूर्णिमा जीवन को एक नई प्रेरणा देने के साथ-साथ जीवन के उत्थान का आधार और उसे सही दिशा दिखाने का माध्यम भी है। इसी लिए इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
चतु:संप्रदाय के श्रीमहंत फूलडोल बिहारीदास महाराज व भागवताचार्य श्रीराम मुद्गल ने कहा कि शरद पूर्णिमा शीत ऋतु का विशिष्ट पर्व है।शरद पूर्णिमा का चंद्रमा और उसकी उज्ज्वल चंद्रिका सभी को माधुर्य व आनंद की अनुभूति कराती है। शरद पूर्णिमा की दिव्य व भव्य रात्रि के चंद्रमा की चांदनी में अमृत समाहित होकर पृथ्वी पर बरसता है।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व आचार्य नेत्रपाल शास्त्री ने कहा कि शरद पूर्णिमा की महिमा इतनी अधिक है कि इस तिथि को देवराज इंद्र तक ने मां महालक्ष्मी की स्तुति की थी।क्योंकि महालक्ष्मी धन के अतिरिक्त यश, उन्नति, सौभाग्य व सौंदर्य आदि की भी देवी हैं।
संत सम्मेलन में डॉ. रमेश चंद्राचार्य विधिशास्त्री, पण्डित देवकीनंदन शर्मा संगीताचार्य, युवराज श्रीधराचार्य महाराज, भजन गायक रतन रसिक, वासुदेव शरण, शक्ति स्वरूप ब्रह्मचारी, डॉ. राधाकांत शर्मा, बालशुक पुंडरीक आचार्य महाराज, अशोक चावला आदि उपस्थित थे।
रात्रि में सरस भजन संध्या का आयोजन सम्पन्न हुआ। जिसमें प्रख्यात भजन गायक बाबा चित्र-विचित्र महाराज ने अपनी सुमधुर वाणी में श्रीराधा-कृष्ण की महिमा से ओतप्रोत भजनों की प्रस्तुति देकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

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