देश की सांस्कृतिक विरासत को हमेशा जिंदा रखने के लिए समाज के महापुरुषों और संतों के पद चिन्हों पर चलने की जरूरत : सुभाष सुधा

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
प्रजापति धर्मशाला में गुरु पूर्णिमा पर मनाई गई गुरु दक्ष प्रजापति जयंती।
पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा ने शिरकत की गुरु दक्ष प्रजापति जयंती समारोह में।
जयंती समारोह में हरियाणा के विभिन्न जिलों से श्रद्घालुओं ने की शिरकत।
कुरुक्षेत्र 10 जुलाई : हरियाणा के पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा ने कहा कि देश व प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को हमेशा जिंदा रखने के लिए समाज के महापुरुषों और महान संतों के पद चिन्हों पर चलने की जरूरत होगी। इस देश की संस्कृति को संजोने के उद्देश्य और संतों और महापुरुषों के विचारों को जन जन तक पहुंचाने के उद्देश्य से ही संत महापुरुष सम्मान एवं विचार विमर्श योजना को अमलीजामा पहनाने का काम किया है।
हरियाणा के पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा वीरवार को प्रजापति धर्मशाला में गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर प्रजापति समाज और धर्मशाला की तरफ से गुरु दक्ष प्रजापति जयंती समारोह पर बोल रहे थे। इससे पहले पूर्व राज्यमंत्री सुभाष सुधा, प्रधान पवन कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया और गुरु दक्ष प्रजापति को याद किया। पूर्व राज्य मंत्री सुभाष सुधा ने गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर गुरु दक्ष प्रजापति की जयंती पर बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार की तरफ से 13 जुलाई को गुरु दक्ष प्रजापति की जयंती को प्रदेश स्तर पर भिवानी में सरकार की तरफ से मनाया जा रहा है। इस जयंती समारोह में कुरुक्षेत्र से भी हजारों की संख्या में श्रद्घालु भिवानी पहुंचेंगे और महान पुरुषों व संतों के आदर्शों को जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित होंगे।
धर्मशाला के प्रधान पवन कुमार ने मेहमानों का स्वागत करते हुए उपलब्धियों और विकास कार्यों को सबके समक्ष रखा और कहा कि समाज की तरफ से समय-समय पर युवाओं को प्रेरित करने के उद्देश्य से महापुरुषों की जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है ताकि समाज के लोग प्रदेश की संस्कृति से हमेशा जुड़े रहे। इस मौके पर महासचिव सतीश सरोहा, सह सचिव विनोद प्रजापति, कोषाध्यक्ष हरिओम, उपाध्यक्ष शिव लाल सरवारा, कृष्ण सिरसमा, काला राजौंद, पाली राम धनखड, सतपाल पदाना, रामचरण रत्तेवाल, नरेश पबनावा, रिम्पी, प्रदीप, राजेन्द्र, शिशपाल क्योडक़, ओमपाल, जय भगवान, मोहन, पृथ्वी, रामलाल, मनोज, राम मेहर आर्य आदि उपस्थित थे।