आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र ही नहीं, बल्कि सबसे युवा राष्ट्र भी है : नवीन जिंदल

एनएसएस का मूल सार सेवा : प्रो. करतार सिंह धीमान।
कुवि में राष्ट्रीय सेवा योजना के राष्ट्रीय एकता शिविर का पांचवा दिन सम्पन्न।
कुरुक्षेत्र, संजीव कुमारी 16 नवबर : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में चल रहे राष्ट्रीय सेवा योजना के राष्ट्रीय एकता शिविर के पांचवें दिन का शुभारंभ हर रोज कि तरह योग साधना से किया गया। प्रशिक्षित योगाचार्यों ने उन्हें प्राणायाम, ध्यान, आसन, सूर्यनमस्कार तथा मानसिक संतुलन बढ़ाने वाले अभ्यास करवाए। यह सत्र न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक एकाग्रता और आंतरिक शांति के लिए अत्यंत लाभकारी रहा। सभी प्रतिभागी एकता दौड़ में सहभागिता की।
इसमें कुरुक्षेत्र के सांसद नवीन जिंदल द्वारा स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि सरदार पटेल के अद्वितीय नेतृत्व और दूरदर्शिता के कारण ही देश की रियासतें एकता के सूत्र में बंध सकीं। उन्होंने कहा कि आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र ही नहीं, बल्कि सबसे युवा राष्ट्र भी है, और यह युवा शक्ति ही भारत को भविष्य में विश्व गुरु बनाएगी। उन्होंने स्वयंसेवकों को प्रेरित करते हुए कहा कि यदि युवा तय कर लें कि उन्हें भारत को विकसित राष्ट्र बनाना है, तो दुनिया की कोई ताकत हमें रोक नहीं सकती।”
दौड़ के दौरान स्वयंसेवकों ने “राष्ट्रीय एकता ज़िंदाबाद”, “युवा शक्ति-राष्ट्र शक्ति” जैसे जोशीले नारे लगाए तथा अनुशासित पंक्ति में दौड़ते हुए एकता, समर्पण और देशभक्ति का संदेश दिया। विद्यार्थियों ने रैली भी निकली जिसके माध्यम से पर्यावरण बचाने, भारत को विकसित भारत बनाने, स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने आदि विषयों पर नारे लगाते हुए समाज में जागरूकता संदेश देने का प्रयास किया। सभी स्वयंसेवकों ने ब्रह्मसरोवर, द्रौपदी कुंड, खाटू श्याम मंदिर, गीता जयंती स्थल, हरियाणा धरोहर संग्रहालय, तथा 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय का भ्रमण किया।
भ्रमण के माध्यम से स्वयं सेवकों ने भारतीय संस्कृति, इतिहास, आध्यात्मिक धरोहर, हरियाणा धरोहर एवं कुरुक्षेत्र की महत्ता से अवगत कराया गया। ब्रह्मसरोवर की पवित्रता, गीता उपदेश की ऐतिहासिक विरासत और 1857 के संग्रहालय में प्रदर्शित वीरों के संघर्ष ने स्वयंसेवकों के मन में गहरी छाप छोड़ी।
स्वयं सेवकों एवं कार्यक्रम अधिकारियों ने विभिन्न खेल प्रतियोगिताएँ में उत्साह, ऊर्जा और टीम भावना का प्रदर्शन किया। खेलकूद प्रतियोगिताएँ का उद्देश्य स्वयंसेवकों में सहयोग, सौहार्द, टीमवर्क और फुर्ती का विकास करना था। नींबू दौड़ में संतुलन और स्थिरता की परीक्षा हुई, जहाँ प्रतिभागियों ने अत्यधिक एकाग्रता दिखाते हुए फिनिश लाइन तक पहुँचने का प्रयास किया। थ्रीदृलेग रेस ने टीमवर्क और तालमेल का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया और स्वयं सेवकों ने एक-दूसरे के कदमों के साथ तालमेल बनाकर लक्ष्य तक पहुँचे। रूमाल झपट्टा ने मैदान में रोमांच और उत्सुकता बढ़ा दी; स्वयंसेवक तेजी, चपलता और रणनीति के साथ एक-दूसरे को मात देने की कोशिश करते रहे। विजेताओं का चयन उनके प्रदर्शन, फुर्ती और खेल भावना के आधार पर किया गया। मुख्य अतिथि का प्रेरणादायी संबोधन एवं सांस्कृतिक संध्या सायंकालीन सत्र में आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. करतार सिंह धीमान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए। प्रो. करतार सिंह धीमान ने एनएसएस का वास्तविक अर्थ, उद्देश्य और महत्व को सरल व प्रेरक ढंग से समझाया। उन्होंने कहा कि एनएसएस का मूल सार सेवा है, सेवा केवल एक कार्य नहीं, बल्कि जीवन शैली है। स्वयंसेवक स्वदेशी, समुदाय सेवा, और राष्ट्र के प्रति एक जिम्मेदार नागरिक के चरित्र की पहचान होते हैं। विशिष्ठ अतिथि समाजसेवी एवं भाजपा नेता सुभाष कलसाना ने युवाओं प्रेरित किया कि भारत के विकास मॉडल-विकसित भारत 2047” की प्राप्ति में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका युवाओं की है। यदि युवा राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखकर कार्य करें, तो भारत विश्व के अग्रणी राष्ट्रों में शामिल हो सकता है।उनके व्याख्यान ने स्वयंसेवकों में नई ऊर्जा, उद्देश्य बोध और प्रेरणा का संचार किया। सांस्कृतिक संध्या में स्वयंसेवकों ने लोकगीत, लोकनृत्य, नाटक, समूहगान तथा अन्य सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से भारत की विविधता, व्यापकता और सांस्कृतिक समृद्धि को मंच पर साकार किया। रंग-बिरंगी वेशभूषाएँ, राज्य विशिष्ट प्रस्तुतियाँ और देशभक्ति के गीतों ने सभागार के वातावरण को जीवंत और अविस्मरणीय बना दिया।
एनएसएस कार्यक्रम समन्वयक डॉ. आनंद कुमार द्वारा मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि एवं वक्ताओं का स्वागत किया और उप कार्यक्रम समन्वयक डॉ. नीरज बातिश ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम अधिकारी सविता मलिक, मीनू, अमनदीप, कुमारी नितु रानी, मोनिका, महेश कुमार शेट्टी, संजय, कुमार गौतम, जगदीप सिंह तुली, डॉ. वीर विकास, अमनदीप कौर, भुनेश्वर लाल साहू, महेश कुमार पी.वर्मा, शरबत हुसैन, नमनि भुइंयां, मंजू कुशवाह, समीर रॉय, विशाल एम. दशमुखा, कविता मेहता, स्वरित शर्मा, रामनिवास, डॉ. राजरतन, डॉ. सतीश, डॉ. ज्योति, डॉ. निधि माथुर, डॉ कविता, डॉ. तनु , स्वयंसेवक आदित्य, गरिमा,हरमन,अंकिता, कुलदीप,प्रश्न दीप, परम, रिया, सालवी, सुमित,मीनाक्षीकांत, जीतेल,आदि मौजूद रहे।




