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भारतीय संस्कृति नई पीढ़ी को सौंपने का कार्य करें कार्यकर्ता : देशराज शर्मा

भारतीय संस्कृति नई पीढ़ी को सौंपने का कार्य करें कार्यकर्ता : देशराज शर्मा

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक

हमारा अभियान मनुष्य को मनुष्य बनाना : डॉ. गोस्वामी।
तीन दिवसीय संस्कृति बोध परियोजना अखिल भारतीय कार्यगोष्ठी का समापन।

कुरुक्षेत्र, 25 जून : विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के महामंत्री देशराज शर्मा ने कहा कि विद्या भारती का चिंतन मानवीय मूल्यों के आधार पर, भारत के गौरवशाली इतिहास को उजागर करना, अपनी प्राचीन संस्कृति को बनाए रखकर युगानुकूल बनाना है। ये भविष्य की पीढ़ी तक कैसे पहुंच सकते हैं, तो पिछले आधार पर वर्तमान को जोड़कर नई पीढ़ी को सौंपने का कार्य हमें करना है। देशराज शर्मा विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान में संस्कृति बोध परियोजना के क्षेत्र, प्रांत संयोजकों एवं सह-संयोजकों की तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यगोष्ठी में देशभर से आए प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे। सत्र का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। उनके साथ मंचासीन संस्थान के अध्यक्ष डॉ. ललित बिहारी गोस्वामी एवं सचिव वासुदेव प्रजापति रहे। मंचासीन अतिथियों का परिचय संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने कराया। उन्होंने भारत की अतुलनीय संस्कृति का बोधगम्य मार्गदर्शन करने पर श्री अवनीश भटनागर का धन्यवाद करते हुए कहा कि तीन दिवसीय कार्यगोष्ठी में संस्कृति बोध परियोजना से जुड़े अनेक विषयों पर विद्या भारती के अधिकारियों का जो मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है, उससे सभी को नई दिशा मिली है। उन्होंने संस्कृति ज्ञान परीक्षा कराने की विस्तृत जानकारी दी एवं संस्थान के इतिहास से सभी को परिचित कराया। सं.बो.परियोजना के संयोजक दुर्ग सिंह राजपुरोहित ने 12 सत्रों में चली कार्यगोष्ठी का वृत्त निवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने प्रतिभागियों से संस्कृति बोध अभियान को समाज में प्रभावी बनाने के लिए सुझाव मांगे और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
देशराज शर्मा ने आगे कहा कि संस्कृति बोध परियोजना के निर्धारित लक्ष्यों को लेकर भावी पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए योजनाओं का खाका तैयार करने की नितान्त आवश्यकता है। विश्व के कल्याण की भारत की जो सोच है, यह हमारे इस विषय में इतनी बड़ी मात्रा में झलकती है कि हमारे बाकी सारे विषय गौण बन जाते हैं। उन्होंने कहा कि हम एकत्रित बैठकर विचार, चर्चा करते हैं, अपने मन, अनुभव के आधार पर विषय को प्रस्तुत करके निष्कर्ष निकालते हैं। उसे वर्ष भर करने के बाद सफल परिणाम आने पर चर्चा करते हैं। यही हमारे ज्ञान एवं संस्कृति का प्रवाह है। नई परियोजना और अभियानों को जोड़कर कार्यकर्ताओं के आगे जितनी चुनौतियां आएंगी, उनका समाधान और आगे बढ़ने की प्रेरणा देने वाली टीम यहां तैयार है। संस्कृति बोधमाला की पुस्तकों में वह आकर्षण है कि उनका अध्ययन करने पर हमें गौरव की अनुभूति होती है। उन्होंने प्रतिभागियों को क्षेत्र, प्रांत से विद्यालय स्तर तक लक्ष्य निर्धारित कर लिखित कार्य योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने पर बल दिया।
संस्थान के अध्यक्ष डॉ. ललित बिहारी गोस्वामी ने कहा कि हमारा अभियान मनुष्य को मनुष्य बनाना है। जितनी हमारी भारतीय संस्कृति है, ज्ञान है, प्रेम और भक्ति है ये सब मनुष्य को मनुष्य बनाने का अभियान है। ‘मैन मेकिंग’ के इस अभियान में मानव के गुण धीरे-धीरे उसमें आते जाते हैं। भारतीय पद्धति कहती है कि धीरे-धीरे विकृतियों को निकालते जाओ। मनुष्य होना है तो ‘मैं’ से अलग हटना पड़ेगा। जब वह सही अर्थों में मनुष्य बनेगा तो वह एकांकी नहीं रहेगा। मित्र खोजेगा और समाज में जाकर समाज को साथ जोड़ेगा। उन्होंने कहा कि हम साधना के द्वारा स्वयं धीरे-धीरे व्यक्तिगत आसक्तियों को छोड़ते हुए शुद्ध समाजसेवा की ओर जा सकते हैं। ज्ञान की आंधी आती है तो हमारी सारी आसक्तियां समाप्त हो जाती हैं। अपने मत, अपने ईष्ट के प्रति दृढ़ता ठीक है, कट्टरता नहीं। मैं ही ठीक हूं दूसरा गलत है, यह भाव जहां प्रेम होगा, भक्ति होगी वहां आ ही नहीं सकता। उन्होंने संस्कृति बोध अभियान से जुड़े संयोजकों का उत्साहवर्द्धन करते हुए कहा कि छोटी-छोटी आसक्तियों से मुक्त होकर धर्म धारण करके उत्साहपूर्वक इस कार्य को करें। यह काम मेरा दायित्व है, इसे मुझे करना ही है। इस उत्साह से समन्वित होकर जब हम समाज में जाएंगे तो इस कार्य को ठीक से कर पाएंगे।
कार्यगोष्ठी में देश के लगभग राज्यों से 80 प्रतिभागियों ने सहभागिता की। समापन पर राजस्थान क्षेत्र के संगठन मंत्री श्री गोविंद कुमार भी उपस्थित रहे। मुक्त चिंतन के सत्र में प्रांत संयोजकों ने संस्कृति बोध परियोजना को और प्रभावी बनाने के लिए सुझाव भी दिए। विशेष सत्र में संस्कृति महोत्सव के दौरान प्रश्न मंच के आयोजन को प्रतिभागियों को माध्यम से प्रात्यक्षिक करके दिखाया गया।
संस्कृति बोध परियोजना अखिल भारतीय कार्यगोष्ठी के समापन अवसर पर संबोधित करते विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के महामंत्री देशराज शर्मा।
देशभर से आए प्रतिभागी।

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