मौनी अमावस्या पर पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करें : डॉ. सुरेश मिश्रा
मौनी अमावस्या पर पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करें : डॉ. सुरेश मिश्रा।
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
कुरुक्षेत्र : कॉस्मिक एस्ट्रो, पिपली (कुरुक्षेत्र) के डायरेक्टर व श्री दुर्गा देवी मंदिर के पीठाधीश डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या मौनी अमावस्या के रूप में मनाई जाती है। इस वर्ष मौनी अमावस्या 29 जनवरी 2025 बुधवार को है। इस दिन मौन व्रत रहकर स्नान करना चाहिए। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान आदि कर पूरे दिन मौन रहकर उपवास करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु के साथ पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माघ अमावस्या के दिन संगम तट और गंगा पर देवी-देवताओं का वास होता है। इस समय प्रयागराज में महाकुंभ भी चल रहा है। मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में अमृत स्नान भी होगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाकुंभ के अमृत स्नान के समय में गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना अति शुभ रहता है। जो व्यक्ति इस समय गंगा स्नान या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। महाकुंभ के समय अमृत स्नान करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
सुख शान्ति हेतु विशेष पूजा विधि और उपाय :
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इस दिन पवित्र नदी या सरवोर में स्नान करने का महत्व बहुत अधिक होता है। आप घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर भी स्नान कर सकते हैं।
स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। सूर्य देव को अर्घ्य दें।
अगर आप उपवास रख सकते हैं तो इस दिन उपवास भी रखें। इस दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए।
पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें।
इस पावन दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
इस पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व होता है।
इस दिन विधि विधान से भगवान शिव की पूजा-अर्चना भी कर सकते है।
प्रकृति को सुंदर और शुद्ध बनाने हेतु पीपल के वृक्ष, नीम के पेड़, बड़ के पेड़ और हरे वृक्ष को लगाए।
गायों को हरा घास खिलाए। जीव जंतुओं की सेवा के साथ गरीबों को भोजन खिलाएं।
अपनी सामर्थ्य अनुसार श्रेष्ठ संतो और विद्वान ब्राह्मणों को अपनी श्रद्धा अनुसार भोजन दान, वस्त्र दान, फल दान , स्वर्ण दान,भूमि दान आदि कर सकते है। जिससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है।