Uncategorized

आनन्दशाला में शिक्षा जगत की हस्तियों ने किया मंथन

मुख्यातिथि के रूप में युवा सशक्तिकरण एवं उद्यमिता राज्य मंत्री श्री गौरव गौतम ने कहा, आनन्दशाला के निष्कर्षों एवं संस्तुतियों पर विचार करेंगी सरकारें।
कुलगुरु प्रोफेसर दिनेश कुमार ने की आनंदशाला की अध्यक्षता, देश भर से कई कुलगुरु, कुलसचिव और शिक्षाविद हुए सम्मिलित।

पलवल, प्रमोद कौशिक 13 अगस्त : श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय एवं भारतीय शिक्षण मंडल के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को आयोजित एक दिवसीय आनन्दशाला में देश भर से पधारे कुलगुरु, शिक्षाविद और अकादमिक विद्वानों ने ‘शैक्षणिक नेतृत्व और प्रशासन की पुनर्कल्पना के संबंध में भारतीयता से प्रेरित व्यहारिक दृष्टिकोण’ पर मंथन किया। उद्घाटन सत्र में मुख्यातिथि के रूप में पहुंचे युवा सशक्तिकरण एवं उद्यमिता राज्य मंत्री श्री गौरव गौतम ने देश भर से आए विद्वानों का अभिनन्दन करते हुए कहा कि इस आनन्दशाला से निकले निष्कर्षों को राज्य एवं देश की सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के साथ समन्वित करने पर विचार करेंगी। विश्वविद्यालय पहुंचने पर कुलगुरु प्रोफेसर दिनेश कुमार ने राज्य मंत्री श्री गौरव गौतम एवं शिक्षा जगत की सुप्रसिद्ध विभूतियों एवं कुलगुरुओं का भव्य स्वागत किया। दीप प्रज्ज्वलन एवं मंत्रोच्चार के साथ आनन्दशाला प्रारंभ हुई।
मुख्यातिथि के रूप में राज्यमंत्री श्री गौरव गौतम ने आनन्दशाला में शिक्षा जगत की विभूतियों को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया तेजी से बदल रही है, यह ज्ञान युवा पीढ़ी को चुनौतियों से पार पाने में सहायक होगा और देश का युवा कौशल एवं चरित्र के बल पर अपना वर्चस्व कायम करेगा। श्री गौरव गौतम ने कहा कि देश के युवा कौशल से सुसज्जित होंगे तो देश को शक्तिशाली बनने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने आनन्दशाला में भारतीय ज्ञान संपदा की अलख जगाने के लिए भारतीय शिक्षण मंडल एवं श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की सराहना की।
मुख्य वक्ता के रूप में भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बी. आर. शंकरानन्द ने कहा कि भारत ग्लोबल लीडर बनने जा रहा है। विश्व को जोड़ने की क्षमता और सोच सिर्फ भारत के पास है, किन्तु शिक्षा क्षेत्र को बचाए बिना यह संभव नहीं है। हमारे भारतीय मूल्य हमें सिखाते हैं कि दूसरों के लिए हितकर एवं अच्छे कार्य करना हमारा स्वभाव बन जाना चाहिए। बी. आर. शंकरानन्द ने कहा कि भारतीय ज्ञान संपदा अद्भुत है और इसी से हमारी परम्परा और संस्कृति समृद्ध है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में नैक के चेयरमैन प्रोफेसर अनिल डी. सहस्रबुद्धे ने कहा कि शिक्षा में भारतीय जीवन मूल्यों का समावेश अत्यंत अनिवार्य है। मैकाले के मॉडल को निरस्त कर भारतीय ज्ञान परम्परा ही विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त करती है। भारत की प्राचीन शिक्षा पद्धति का वैशिष्ट्य अद्भुत है। प्रोफेसर सहस्रबुद्धे ने त्रिभाषी सूत्र का उल्लेख करते हुए शिक्षा जगत में सहानुभूति और समानुभूति को आत्मसात करने का आह्वान किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर दिनेश कुमार ने कहा कि शिक्षा जगत एवं प्रशासनिक नेतृत्व में भारतीयता का समावेश जरूरी है। समाज में परिवर्तन के लिए शिक्षा में भारतीय जीवन मूल्यों को शामिल करना नितांत आवश्यक है। कुलगुरु प्रोफेसर दिनेश कुमार ने कहा कि शैक्षणिक नेतृत्व करने वाले शिक्षकों और विद्यार्थियों के लिए संवेदनशील बनें। युवाओं में संयम का संस्कार बहुत जरूरी है। कुलगुरु प्रोफेसर दिनेश कुमार ने कहा कि आनन्दशाला की संस्तुतियों से विश्वविद्यालयों के वातावरण में बदलाव अवश्यंभावी है।
प्रख्यात वक्ता के रूप में मुख्यमंत्री के विशेष कर्तव्य अधिकारी डॉ. राज नेहरू ने कहा कि स्वधर्म को समझना नेतृत्व का सबसे बड़ा गुण है। भारतीय ज्ञान परम्परा में कर्तव्य निर्वहन के आदर्श निहित हैं। डॉ. राज नेहरू ने शैव दर्शन का उल्लेख करते हुए निस्वार्थ भाव से कार्य करने का आह्वान किया। भारतीय ज्ञान संपदा आयाम के अखिल भारतीय प्रमुख प्रोफेसर राजेन्द्र अनायत ने प्रशासनिक नेतृत्व एवं भारतीयता के दार्शनिक पहलुओं पर प्रकाश डाला। आनन्दशाला में तकनीकी सत्रों का भी आयोजन किया गया।
श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रोफेसर ज्योति राणा एवं भारतीय शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष डॉ. तेजेंद्र शर्मा ने अतिथियों का आभार ज्ञापित किया।
इस अवसर पर भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संयुक्त महामंत्री सुनील शर्मा, प्रांत अध्यक्ष डॉ. जितेंद्र भारद्वाज, आनन्दशाला की आयोजन सचिव एवं एसवीएसयू की उप कुलसचिव चंचल भारद्वाज, भारतीय शिक्षण मंडल की प्रान्त टोली, चौधरी बंसीलाल यूनिवर्सिटी की कुलगुरु प्रोफेसर दीप्ति धर्माणी, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर बीआर कंबोज, चौधरी देवी लाल यूनिवर्सिटी के कुलगुरु प्रोफेसर विजय कुमार, डीक्रस्ट के कुलगुरु प्रोफेसर श्री प्रकाश सिंह, डॉ. बीआर आंबेडकर नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के कुलगुरु प्रोफेसर देवेंद्र सिंह, आयोजन समिति में शामिल एसवीएसयू के अकादमिक अधिष्ठाता प्रोफेसर सुरेश कुमार, प्रोफेसर ऊषा बत्रा, ग्रीन टेक्नोलॉजी के चेयरपर्सन डॉ. सुनील कुमार गर्ग, डॉ. रवींद्र कुमार, संयुक्त निदेशक शिखा गुप्ता, डॉ. नकुल, डॉ. मिनाक्षी, कुलपति के विशेष कर्तव्य अधिकारी संजीव तायल और विधि अधिकारी केशव शर्मा उपस्थित रहे।
अधिष्ठाता प्रोफेसर आरएस राठौड़, प्रोफेसर ऋषिपाल, प्रोफेसर विक्रम सिंह, प्रोफेसर आशीष श्रीवास्तव, प्रोफेसर कुलवंत सिंह, उप कुलसचिव अंजु मालिक, सहायक कुलसचिव डॉ. राजेश कुमार, सोमबीर सिंह और प्रवीण कुमार के अलावा कई अन्य विश्वविद्यालयों के कुलसचिव, अकादमिक अधिष्ठाता और शिक्षाविद ने आनन्दशाला में भागीदारी की।
आनंदशाला को संबोधित करते मुख्यातिथि युवा सशक्तिकरण एवं उद्यमिता राज्य मंत्री श्री गौरव गौतम।
मुख्यातिथि युवा सशक्तिकरण एवं उद्यमिता राज्य मंत्री श्री गौरव गौतम को सम्मानित करते कुलगुरु प्रोफेसर दिनेश कुमार।
आनन्दशाला को संबोधित करते भारतीय शिक्षण मंडल के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बी. आर. शंकरानन्द।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Compare Listings

Title Price Status Type Area Purpose Bedrooms Bathrooms
plz call me jitendra patel