हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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मकर संक्रांति पर डा. महेंद्र शर्मा से विशेष बातचीत।
पानीपत :- काशी बनारस आदि पूर्व मध्य भारत के कुछ ज्योतिषाचार्य यह कह रहे हैं कि मकर संक्रान्ति भले ही संक्रान्ति 14 जनवरी को घटित होगी लेकिन उस पर्व का पुण्यकाल 15 को है लेकिन यह हमारे क्षेत्र में नहीं है। सनातन धर्म प्रिय भक्तों के ध्यानार्थ यह बताना भी आवश्यक है कि इस के नियम क्या हैं ? यह तो ब्रह्म विचारणीय अन्वेषण का विषय है और नियमन आप श्री को यह गद्य ( script) समर्पित कर रहा हूं कि संक्रान्ति विषयक भ्रांति दूर हो। सब से पहले तो यह बताना चाहूंगा कि ज्योतिष के नियमन तो शाश्वत हैं परंतु यह उस क्षेत्र के अक्षांश और देशान्तर स्थानीय सूर्योदय सूर्यास्त पर निर्भर करते हैं न कि यह सार्वभौम होते हैं कि जो गणना वहां आ रही है , यहां भी वही आये। इस लिये ब्राह्मण महापुरुषों को इस गणना फल को उन्हीं क्षेत्रों में लागू करवाना चाहिये जिस स्थान से वह गणानांक लिए गए हैं। अब कुछ विद्वान काशी बनारस की गणना को दिल्ली में लागू करवाना चाहते हैं ,जो कदापि सम्भव और स्वीकार्य कैसे हो सकता है।
मेरे पास उपलब्ध 9 पंचांगों में मकर संक्रान्ति 14 जनवरी 2022 को दी गई। सूर्य भगवान क्षेत्रीय अक्षांश देशांतर के एक या दो मिनट के अंतराल से 14/29 (राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली) से मकर राशि में प्रविष्ट होंगे।
- पञ्चाङ्ग दिवाकर जालन्धर
सूर्य मकर में 14/29
2 वाणी भूषण पञ्चाङ्ग देहरादून सूर्य मकर में 13/16
3 मार्तण्ड पञ्चाङ्ग हल्द्वानी सूर्य मकर में 14/29
4 श्री गीता पञ्चाङ्ग कैथल सूर्य मकर में 17/10
5 श्री ब्रजभूमि पञ्चाङ्ग दिल्ली सूर्य मकर में 14/30
6 श्री राजधानी पञ्चाङ्ग दिल्ली सूर्य मकर में 14/30
7 श्री मार्तण्ड पञ्चाङ्ग कुराली सूर्य मकर में 14/29
8 श्री ऋषिकेश पञ्चाङ्ग बनारस सूर्य मकर में 20/49 - वैद्यकीय धूतपापेश्वर पञ्चाङ्ग उज्जैन सूर्य मकर में 14/29
उपरोक्त उपलब्ध 9 पंचांगों में केवल श्री ऋषिकेश पञ्चाङ्ग ही सूर्य मकर में रात्रि 20/49 बता रहा है। उत्तर भारत के शेष पञ्चाङ्ग नहीं।
सूर्य संक्रान्ति के पुण्य काल के निर्धारण के 2 नियम हैं ज्योतिषीय गणना का एक साधारण नियमन के अनुसार 16 घटी पूर्व और परा का है। इस नियम के अनुसार उत्तर भारत में पञ्चाङ्ग दिवाकर जालन्धर के अनुसार मकर सूर्य संक्रान्ति का पुण्य काल प्रातः 8/05 से प्रारम्भ होगा और रात्रि को 20/53 तक रहेगा अर्थात कल 14 जनवरी को लगभग सारा दिन संक्रान्ति का पुण्य काल व्याप्त रहेगा। डॉ. विद्याधर गौड़ के निर्णय सिन्धु के पृष्ट संख्या 441 पर और प0 मिहिर चन्द के निर्णय सिन्धु के 324 पृष्ट पर संक्रान्ति का पुण्यकाल ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार परा 40 घटी माधव मत के अनुसार 20 घटी बताया गया है। यह भी लिखा गया है कि यदि सूर्यास्त से पहले संक्रान्ति हो तो पहली ही पुण्यकाल है। रात्रि में प्रदोष व अर्धरात्रि में मकर की संक्रान्ति हो तो माधव मत के अनुसार पुण्यकाल दूसरे दिन होगा।
विचारणीय बिन्दु तो यह है कि समस्त उत्तर भारत में सूर्य मकर राशि में लगभग अपराह्न काल 14/29 पर प्रविष्ठ हो रहे हैं और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और श्री प्रयागराज के सूर्योदय और सूर्यास्त में 21 मिनट का ही अन्तर है, जब सूर्य 14/29 पर मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं वहां सूर्य का मकर राशि में प्रवेश -/+ 21 मिनट 24 सेकण्ड से होना चाहिए न कि 317 मिनट।
(दिल्ली और प्रयागराज के मध्य समयान्तर 21/08 से लेकर 21/54 मिनट सेकण्ड्स का है जो पूरी राष्ट्रीय राजधानी अक्षांश और रेखान्तर जो प्रयागराज के 82.30 में से घटाये जाते हैं।)
20 / 49 बनारस
14/ 29 दिल्ली
6 / 20 घण्टे/ मिनट
यह एक ज्योतिषीय अन्वेषण का विषय है। मान लो कि काशी बनारस में यदि सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं तो पुण्यकाल के दूसरे नियम (40 घटी) के अनुसार केवल काशी बनारस या उससे पूर्वी भारत में पुण्य काल अगले दिन होगा न कि इधर काशी से पश्चिमी उत्तर भारत में …। इस तरह वीडियो उपलोड कर के फेसबुक पर या व्हाट्सअप विश्व विद्यालय के माध्यम से प्रतिष्ठित होने वाले महानुभाव अन्य क्षेत्र के ब्राह्मणों को परिहास का विषय बना देते हैं क्यों कि यजमान को वही सत्य लगता है और यहां पर कुछ ब्राह्मणों तो विधि और निषेध नियमन से भी अनभिज्ञ हैं। ऐसे महापुरुष अपनी trp तो बढ़ा लेते हैं और साधारण ब्राह्मण और साधारण जनमानस भ्रान्ति में असमंजस में पड़ा रहता है कि वह किस को सत्य माने।
आचार्य डॉ. महेन्द्र शर्मा ‘महेश’ शास्त्री वैदिक ज्योतिष संस्थान
1 नेताजी कालोनी पानीपत।
9215700495