हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र :- श्रीकृष्णा आयुष विश्वविद्यालय ने वीरवार को लोहड़ी पर्व धूमधाम से मनाया। विश्वविद्यालय परिसर में अलाव जलाकर पूर्ण रीति-रिवाज के साथ मूंगफली, रेवड़ी और मक्के के फूले आदि का स्टाफ में वितरण किया गया। कुलपति प्रो. डॉ. बलदेव कुमार, कुलसचिव नरेश कुमार, डीन एकेडमिक अफेयर्स डॉ. शंभू दयाल, परीक्षा शाखा नियंत्रक डॉ. सतीश वत्स व विश्वविद्यालय का स्टॉफ लोहड़ी के पावन पर्व पर सम्मिलित हुए।
कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने लोहड़ी के इस शुभ मौके पर विश्वविद्यालय परिवार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि लोहड़ी पर्व पूरे देश में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पंजाब में मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर लोहड़ी का त्यौहार मनाया जाता है। हिन्दी भाषी क्षेत्रों में खिचड़ी के रूप में मनाते हैं। पूर्वोत्तर में बिहू और दक्षिण में पोंगल के नाम से। इसलिए ये त्योहार हमारी सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। भारतवर्ष में मनाए जाने वाले त्यौहार समाज के भाईचारे को जोड़ने में कारगर हैं। हालांकि पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव से विकृति जरूर आई है। जो सर्वथा अनुचित है। इसलिए हमें अपने पुराने रीति-रिवाज से आने वाली पीढ़ियों को जरूर अवगत करना चाहिए और राष्ट्रीय पर्वों को हर्षोउल्लाश के साथ मनाना चाहिए। ताकि इस देश समाज का भाईचारा इसी प्रकार कायम रहे। इस अवसर पर कुलसचिव नरेश कुमार ने सभी को बधाई देते हुए कहा कि ये उत्सव हमारी सत्य-सनातन परंपरा के घोतक हैं। उत्सवों का आना ही जीवन में नई ऊर्जा का संचार करता है और जीवन को उमंग से भर देता है। इसलिए हमारे महापुरुषों ने बड़ी वैज्ञानिक सोच के साथ परंपराओं को स्थापित किया। इस दिन भगवान भास्कर दक्षिणायन से उत्तरायण में आ जाते हैं और सर्दी से कंपकपाती धरती को राहत मिलना प्रारंभ होता है। यह अवसर पूर्णतः उमंग का होता है। कहीं लोग नृत्य करते हैं, कहीं पतंग उड़ाते है। वहीं इस दिन दान पुण्य का भी विशेष महत्व है। जो समाज में एक दूसरे की सहायता के भाव को भी चरितार्थ करता है।