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उत्तराखंड नगर निकाय चुनाव में बाल मजदूरी का मामला सामने आया

सागर मलिक संपादक

देहरादून में नगर निगम चुनाव की मतगणना के दौरान एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसने सरकारी तंत्र की बाल मजदूरी के खिलाफ की गई मुहिम की पोल खोल दी है। चुनावों के परिणाम की गिनती के दौरान, अधिकारियों द्वारा बाल मजदूरी का इस्तेमाल किया गया, जो कि उनके दावों के खिलाफ है।

नगर निगम चुनाव में मतगणना के लिए आम तौर पर मेहनत और समय की आवश्यकता होती है, लेकिन इस बार कार्य की कमी को पूरा करने के लिए कम आयु के बच्चे को काम पर लगाया गया। यह किशोर कथित तौर पर मतगणना केंद्र पर उपस्थित रहा और उन्हें पंक्तियों में बैठे हुए बड़े डब्बे को लाने ले जाने और अन्य छोटे कामों में लगा दिया गया था।

चुनाव के दौरान किशोरों से काम लेने का यह मामला बाल श्रम निषेध कानून का उल्लंघन करता है, जो देशभर में लागू है। इसके बावजूद, अधिकारियों ने इसे नजरअंदाज कर दिया और इन बच्चों को बिना किसी कानूनी औपचारिकता के काम में लगा दिया। इस घटना ने सरकारी तंत्र की सख्त बाल श्रम नीति की प्रभावशीलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

इस संदर्भ में, बाल श्रम निषेध संगठनों ने कड़ी आलोचना की है और इस मामले की उचित जांच की मांग की है। वे सरकार से यह सुनिश्चित करने की अपील कर रहे हैं कि ऐसी घटनाएं भविष्य में न घटें और बच्चों को उनके अधिकारों के अनुसार शिक्षा और सुरक्षित वातावरण मिले।

इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि सरकारी दावों के बावजूद, बाल श्रम पर नियंत्रण पाना एक बड़ी चुनौती है,

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