मन्दसौर से ब्यूरो चीफ मंगल देव राठौर की खास रिपोर्ट
श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह के प्रसंग पर श्रद्धालुओं ने बरसाए फूल
जावद । रंकावली माता मंदिर में चल रही श्रीमद भागवत कथा के दौरान श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह का आयोजन हुआ। जिसे बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। कथा के दौरान व्यास पीठ पर विराजमान प्रवक्ता पं. रूद्रदेव त्रिपाठी ने बाललीला का सुन्दर वर्णन किया। कथा के दौरान मैय्या यशोदा के द्वारा श्रीकृष्ण को उखल से बांधा गया। इस पर महाराज ने बड़ा अध्याय सुनाते हुए कहा कि ठाकुरजी धन दौलत से, सुंदरता से, अगरबत्ती सेंट से नही वरन् भक्त के प्रेमभाव से बन्धन में आते है। भक्त और भगवान में मात्र दो अंगुल की ही दूरी है। एक भगवान से नाता जोड़ना दूसरा कृपा। भक्त यदि नाता जोड़ दे तो दूसरी अंगुल की पूर्ति भगवान करते है। हम पत्नी को पत्नी ही कह सकते है, बहिन नहीं, पिता को पिता भाई नहीं, मां को मां बहिन नही। लेकिन भगवान के सभी प्रकार के नाते जोड़ सकते है। कालिया नाग क्रोध का प्रतिक है और क्रोध को मारने से नही मरता। क्रोध को तो जितना पड़ता है। इसीलिए श्रीकृष्ण ने कालियानाग को मारा नही वरन् जीता। महाराज ने श्रोताओ को एक बहुत सुन्दर सूत्र दिया कि जब-जब क्रोध सताए तो जनसमुदाय से निकलकर एकान्त मे बेठ जाओ। लेकिन काम सताए तो एकान्त छोड़कर जनता मे आकर बैठ जाए। कथावाचक ने रास पंच अध्याय का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि महारास में पांच अध्याय है। उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण है। जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है। वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उधव गोपी संवाद, ऊधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना एवं रुकमणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया। रूक्मणी विवाह महोत्सव पर व्याख्यान करते हुए महाराज ने कहा कि रुकमणी के भाई रुकमि ने उनका विवाह शिशुपाल के साथ सुनिश्चित किया था। लेकिन रुक्मणी ने संकल्प लिया था कि वह शिशुपाल को नहीं केवल गोपाल को पति के रूप में वरण करेंगे। उन्होंने कहा शिशुपाल असत्य मार्गी है और द्वारिकाधीश भगवान श्री कृष्ण सत्य मार्गी है। इसलिए वो असत्य को नहीं सत्य को अपना एगी अंत भगवान श्री द्वारकाधीश जी ने रुक्मणी के सत्य संकल्प को पूर्ण किया। इस प्रसंग को श्रद्धा के साथ श्रवण करने से कन्याओं को अच्छे घर और वर की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन सुखद रहता है। कथा की समाप्ति के पश्चात आरती की ततपश्चात प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर क्षेत्र की धर्मप्रेमी जनता उपस्थित थी