Uncategorized

धर्म का अनुशासन ही धर्म की रक्षा करता है : डॉ. महेंद्र शर्मा

धर्म का अनुशासन ही धर्म की रक्षा करता है : डॉ. महेंद्र शर्मा।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
ब्यूरो चीफ – संजीव कुमारी दूरभाष – 9416191877

पानीपत : आयुर्वेदिक शास्त्री अस्पताल बाबा गंगा पुरी मार्ग पानीपत के संचालक प्रख्यात ज्योतिषाचार्य डॉ. महेंद्र शर्मा से भारतीय सनातन संस्कृति पर विशेष चर्चा पर डॉ. महेंद्र शर्मा ने बताया कि भारतीय सनातन संस्कृति के नियमन न केवल पंचांग तिथि योग नक्षत्र और वार आदि चाँद्र ज्योतिष विज्ञान पर आधारित है अपितु यदि आप गलत मुहूर्त पर पर्व त्यौहार आदि मनाते हैं तो इनके परिणाम घातक भी हो सकते हैं, इस प्रमाण के लिए निर्णय सिंधु और धर्म सिंधु आदि ग्रंथ भी उपलब्ध हैं l हमारे धर्म में नियमन का प्रतिपादन ऋषि महर्षियों ने स्वाध्याय के अनुसार निर्धारित किए हैं l समूचे भारत वर्ष भर में घटित होने वाले 1660 पर्वों को प्रकाशित होने वाले देश के लगभग 80 पंचांगों के पंचांगकार और सनातन धर्म की सर्वोच्च जगद्गुरु शंकराचार्य पीठें पिछले 100 वर्षों में स्मार्त (गृहस्थ) और वैष्णव (संन्यासी) में से वैष्णवों को नहीं मना सके कि श्री दुर्गाष्टमी, एकादशी व्रत और जन्माष्टमी को पंचांग/ ज्योतिषीय नियमन से मनाएं तो पूरे देश में पर्व एक दिन मनाया जाएगा l गत वर्ष तो दिवाली पर्व को लेकर सनातन धर्म की भद्द पिटी वैसा पहले कभी भी ऐसा घटित नहीं हुआ था, इस वर्ष भी वैसा ही होगा जो पिछले साल हुआ। विडम्बना तो यह है जो पंचाग देखना नहीं जानते वह दूरदर्शन पर आकर हम जैसे वृद्धावस्था को अग्रसर स्नातकोत्तरों को समझा रहे हैं कि ऐसा होना चाहिए जब कि 1962 ईस्वी के बाद असंख्य अवसर आए हैं जब दीपावली प्रतिपदा योगे अमावस्या में मनायी गई। दीपावली पर्व का विधान कोई मिठाई खाना और बम बजाना नहीं है जैसा कि समझा जाता है l दीपावली पर अमावस्या पर सर्व प्रथम अभ्यंग और पितृ पूजा संध्या दीपक किया जाता है l हमारी पर्वावली का अनुशासन अति कठोर है , जैसे कि आज श्री जानकी नवमी पर्व है, इसके नियमन पर चर्चा करें तो आज जब उदया तिथि तो अष्टमी है तो फिर जानकी नवमी आज कैसे मना रहे हैं ? इसका साधारण सा नियमन यह है शुक्ल पक्ष के पर्व मध्याह्न व्यापिनि तिथि में होते है जैसे कि आज अष्टमी प्रात:7/36 बजे तक और कल सुबह 8/39 तक व्याप्त रहेगी इसलिए मध्याह्न व्यापिनि नवमी आज है इसलिए जानकी जयंती आज मनायी जा रही हैl श्री राम नवमी पर्व भी मध्याह्न व्यापिनि नवमी में मनाया जाता है, दशहरा पर्व अपराह्न व्यापिनि दशमी दशम विजय मुहूर्त में , दिवाली प्रदोष काल में अमावस्या हो तब, श्री कृष्णजन्माष्टमी निशिथकाल अर्थात अर्धरात्री की अष्टमी में श्री शिवरात्रि और श्री हनुमान जयंती महानिशीथ काल की चतुर्दशी में मनाये जाते है , श्राद्ध तिथियां भी अपराह्न व्यापिनि ग्रहण की जाती है … कहने का तात्पर्य यह है कि हर पर्व का अपना अपना विज्ञान है, हमारे उत्तरभारत में श्री दुर्गा नवरात्रों में कन्या पूजन अष्टमी पर किया जाता है न कि नवमी पर और न ही जन्माष्टमी पर्व मध्यरात्रि व्याप्त नवमी को मनाया जाता है … 29 सितम्बर 2022 को जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानंद जी का पदार्पण पानीपत में हुआ था , उनसे भी पर्वों को दो दिन क्यों मनाये जाने पर प्रश्न किया गया था तो उन्होंने बड़ा सुन्दर उत्तर दिया था कि जिस दिन ब्राह्मण पंचांग नियमन का पालन करने लगेंगे तो सभी पर्व एक ही दिन मनाये जाएंगे l ब्राह्मणों में क्षेत्र वादिता है, अनेकत्व है,अध्ययन का अभाव है जिसका लाभ राजनीतिज्ञ लोग भी उठाने लगे हैं, राजनीति में तो पहले से शूद्रता व्याप्त है , जो संविधान को नहीं मानते वह पंचांग को कैसे मानेंगेl इस्लाम और ईसाईयत तो तलवार और धन के कारण मलेच्छ हैं ही अब तो सनातनी भी मलेच्छ हो चले हैं l श्री गुरु नानकदेव जी महाराज जिन्होंने धर्म में आई कुरीतियों को समाप्त किया उनके अनुयायी मन्दिरों में जाकर श्री गलत कार्य कर रहे हैंl अभी तक हम गीताजी का यह संदेश नहीं समझ पाये कि भगवान स्वयं कह रहे हैं … यदा यदा हि धर्मस्य और ऊर्ध्वमूल मध् … कि धर्म की डोर ईश्वर के हाथ में है , मर्यादा पुरुषोत्तम रामजी के जन्मदिवस पर रामराज्य की कल्पना हाथ में तलवार लहरा कर नहीं धर्मध्वज लहरा कर करनी चाहिए … जो धर्म की वर्णमाला नहीं जानते वही मलेच्छ बन कर धर्म का प्रचार कर रहे हैं l इसके कुकृत्यों परिणाम कौन भोगेगा, हमारे ग्रंथ निर्णयसिंधु में तो यहां तक दिया गया है कि गलत तिथियों पर पर्व मनाने से संतान विशेषकर पुत्र संतति को कष्ट आते हैं और हम हैं कि जब तक हमारे साथ कोई अनर्गल घटना न घटे तब तक मानते नहीं … विषय सरकार द्वारा भगवान परशुराम जयंती को मनाने का है कि हमारे नेताजी के पास समय नहीं है कभी आप अपने घर में अनुभव करना कि आज आप के पौत्र का जन्मदिन है और आप उसे कह रहें कि अभी दो चार दिन ठहर जाओ आपका जन्मदिन फिर कभी मना लेंगे … देखना घर में कितने बर्तन साबुत बचते हैं और जगतनियन्ता भगवान के साथ राजनैतिक खिलवाड़ कर रहे हैं , वह भी वो चार कला संपूर्ण
क्षमामूर्ति तेजोवतार क्रोधावतार सुशासन और अनुशासन मूर्ति जिनके पिता का नाम जमदग्नि अर्थात ‘अनुशासन की आग’ है माता रेणुका अर्थात ‘एकाग्रता’ है और ‘परशु याने कि दूसरों के शूल का हरण करने वाले’ भगवान परशुराम जी के साथ… उन्होंने ज़रा भी भृकुटी टेढ़ी कर ली न ….यह राज ताज किसी और के सिर धरने में देरी नहीं करेंगे जिन्होंने 21 बार राजाओं को श्रीहीन कर जीती हुई भूमि ब्राह्मणों को दान कर दी थी … यह इतिहास है भगवान परशुरामजी का इसलिए सनातन जगत को भी धर्म के अनुशासन में रहना होगा अन्यथा वर्तमान में आचरण में लाया गया धर्म हमें ही नष्ट कर देगा l
श्री निवेदन
श्री गुरु शंकराचार्य पदाश्रित आचार्य डॉ. महेन्द्र शर्मा ‘महेश’ पानीपत 92157 00495

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
plz call me jitendra patel