वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
कुवि के दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा प्रोफेसर हिम्मत सिंह सिन्हा स्मृति व्याख्यान आयोजित।
कुरुक्षेत्र, 19 मार्च : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग की ओर से आयोजित प्रोफेसर हिम्मत सिंह सिन्हा स्मृति व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए अपने सारगर्भित व्याख्यान में प्रोफेसर हिम्मत सिंह सिन्हा के जीवन एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किसी भी संकाय और विभाग के छात्र-छात्राओं का दर्शनशास्त्र विषय का अध्ययन अवश्य करना चाहिये। यह विषय युवाओं में वैचारिक विकास करने के साथ-साथ सनातन संस्कृति और धर्म के जीवन मूल्यों से भी परिचित करवाता है। इस अवसर पर कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा द्वारा विभाग के शिक्षक डॉ. सुरेन्द्र कुमार की पुस्तक श्री अरविन्द दर्शन के विविध पक्ष का लोकार्पण भी किया गया।
कुलपति प्रो. सोमनाथ ने कहा कि किसी भी राष्ट्र के चहुंमुखी विकास के लिये उस राष्ट्र की युवाशक्ति को अपनी जड़ों से अवश्य जुड़े रहना चाहिये। प्रोफेसर हिम्मत सिंह सिन्हा ने दर्शनशास्त्र विभाग में अध्यापन करते हुऐ इस दायित्व को भली तरह से संपन्न किया । कुलपति प्रो. सोमनाथ ले भविष्य में प्रोफेसर सिन्हा की स्मृति में एक दिवसीय सेमिनार करवाने के निर्देश दिये तथा विश्वविद्यालय की तरफ से इस हेतु समस्त सहायता उपलब्ध करवाने का आश्वासन भी दिया । इस अवसर पर प्रोफेसर हिम्मत सिंह सिन्हा स्मृति निबंध प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय स्थान प्राप्त छात्र छात्राओं को कुलपति प्रो. सोमनाथ ने पुरस्कार, स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र वितरित भी किये।
व्याख्यान की मुख्य वक्ता, सेवानिवृत्त प्रोफेसर, आशा मुद्गिल दर्शनशास्त्र-विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ ने प्रोफेसर सिन्हा की शैक्षिक उपलब्धियों, उनकी सादगी, सहजता, सरलता, सौम्यता आदि पर सिलसिलेवार प्रकाश डाला।
अतिथि वक्ता के रूप में डॉ. रमेंद्र सिंह, निदेशक, विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान, कुरुक्षेत्र ने प्रोफेसर सिन्हा के जीवन से विविध प्रेरणास्पद एवं दिलचस्प संस्मरणों को श्रोताओं से सांझा किया। व्याख्यान के समापन पर डॉ. मनीष ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।
व्याख्यान के शुभारंभ पर दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्षा, प्रोफेसर अनामिका गिरधर ने सभी विद्वत् गण का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए प्रोफेसर सिन्हा से संबंधित अपने विभागीय संस्मरणों को याद किया।
इस अवसर पर प्रोफेसर अनामिका गिरधर, प्रोफेसर कृष्णा रंगा, प्रोफेसर संगीता, प्रोफेसर सिन्हा के पारिवारिक सदस्य संत कुमार, प्रेम कुमार के साथ दर्शनशास्त्र विभाग के शिक्षक आचार्य शीलक राम, डॉ. सुरेन्द्र, डॉ. अजमेर, डॉ. मनीष, विभाग के शोधार्थी और छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।