श्री गुरु नानक जयंती पर सहारा कॉम्प्रिहेंसिव विद्यालय में बिखरी भक्ति और प्रेरणा की सुगंध

श्री गुरु नानक जयंती पर सहारा कॉम्प्रिहेंसिव विद्यालय में बिखरी भक्ति और प्रेरणा की सुगंध
कुरुक्षेत्र, प्रमोद कौशिक,4 नवंबर : सहारा कॉम्प्रिहेंसिव विद्यालय में श्री गुरु नानक जयंती का पावन पर्व बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विद्यालय परिसर भक्ति और समर्पण की भावना से सराबोर रहा। कार्यक्रम की शुरुआत विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत भावपूर्ण शबद “जो माँगै ठाकुर अपने ते” से हुई जिसके पश्चात दूसरे समूह ने अत्यंत मधुर स्वर में “एक ओंकार वाहेगुरु, सतनाम वाहेगुरु” का गायन कर वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। शिक्षकों ने भी अपने सुरम्य स्वरों में “सब ते वडा सतगुरु नानक” शबद प्रस्तुत किया। पूरा विद्यालय प्रांगण “जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल” के जयघोष से गुँजायमान हो उठा। विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के प्रेरक भाषणों ने श्री गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं – प्रेम, समानता, विनम्रता और निस्वार्थ सेवा को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया।इस अवसर पर निदेशक (शैक्षणिक) श्री बी.के. चावला जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि श्री गुरु नानक देव जी का जीवन मानवता, सत्य और करुणा का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि सत (सत्य बोलना), किरत करो (ईमानदारी से कार्य करना) और वंड छको (दूसरों के साथ बाँटना) जैसी शिक्षाएँ आज के युग में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को श्री गुरु नानक देव जी के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का प्रेरक संदेश दिया। यह आयोजन विद्यालय की उस भावना का प्रतीक रहा जो विद्यार्थियों में आध्यात्मिकता, नैतिक मूल्यों और सामाजिक समरसता का संचार करती है। उन्होंने भावपूर्ण शब्दों में “जे ते बलिया, तन-मन नाल सेवा करिया जाइए” शबद का उच्चारण किया और यह संदेश दिया कि सच्ची भक्ति वही है जो तन, मन और आत्मा से मानवता की निस्वार्थ सेवा में निहित हो। उनके प्रेरक शब्दों ने सभी को श्री गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को अपने जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित किया।उन्होंने बताया कि सत (सत्य बोलना), किरत करो (ईमानदारी से कार्य करना) और वंड छको (दूसरों के साथ बाँटना) जैसी शिक्षाएँ आज के युग में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं। उन्होंने सभी विद्यार्थियों को श्री गुरु नानक देव जी के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का प्रेरक संदेश दिया। उन्होंने इस तथ्य पर बल भी दिया कि यही मूल्य एक सौहार्दपूर्ण एवं करुणामय समाज की आधारशिला हैं। साथ ही, उन्होंने सभी को इन सिद्धांतों को अपने दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनाने के लिए प्रेरित किया। यह आयोजन विद्यालय की उस भावना का प्रतीक रहा जो विद्यार्थियों में आध्यात्मिकता, नैतिक मूल्यों और सामाजिक समरसता का संचार करती है।




