Uncategorized

योग एवं ध्यान भारतीय संस्कृति की पहचान : डॉ. वीरेन्द्र पाल

योग एवं ध्यान भारतीय संस्कृति की पहचान : डॉ. वीरेन्द्र पाल।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

कुवि के आईआईएचएस द्वारा योग एवं ध्यान प्रशिक्षण में पतंजलि योग समिति हरिद्वार से साध्वी देव वाणी ने अष्टांग योग व साध्वी देव गरिमा ने दिया ध्यान का प्रशिक्षण।

कुरुक्षेत्र, 07 अप्रैल : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. वीरेन्द्र पाल ने कहा कि योग एवं ध्यान भारतीय संस्कृति की विशिष्ट पहचान है। भारत ने योग एवं ध्यान के द्वारा आध्यात्मिक चिंतन एवं एकाग्रता की शक्ति को पूरे विश्व में पहुंचाने कार्य किया है। वे सोमवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के आईआईएचएस द्वारा कुवि के डॉ. आरके सदन में आयोजित योग एवं ध्यान प्रशिक्षण शिविर के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। शिविर में पहुंचने पर आईआईएचएस की प्राचार्या डॉ. रीटा दलाल ने कुलसचिव डॉ. वीरेन्द्र पाल को पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। इस अवसर पर कुलसचिव डॉ. वीरेन्द्र पाल ने प्रतिभागियों की उत्सुकता की सराहना करते हुए योग को जीवन का अभिन्न अंग बताया।
बौद्धिक सत्र की मुख्य वक्ता पतंजलि योग समिति हरिद्वार से साध्वी देव वाणी जी ने अष्टांग योग व साध्वी देव गरिमा ने ध्यान का प्रशिक्षण दिया। साध्वी देव वाणी ने कहा कि विकसित भारत के निर्माण में प्रत्येक को स्वय के लिए एक घंटा योग, दिनभर कर्मयोग करना होगा। जब प्रत्येक युवा योगी होगा तो वह स्वत्त ही उपयोगी होगा।
प्रो. निरुपमा भट्टी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। मंच का संचालन प्रो. संतोष दहिया ने किया। इस अवसर पर प्रो. निरूपमा भट्टी, प्रो. संतोष दहिया, डॉ. ऋतु सैनी, डॉ. वीर विकास, डॉ. आशा, मंजू नरवाल, डॉ. पूनम, डॉ. सतोष कुमार, अमर, रविश, आशु गुलाटी व 719 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Compare Listings

Title Price Status Type Area Purpose Bedrooms Bathrooms
plz call me jitendra patel