भारतीय योग संस्थान योगाश्रम मिर्जापुर में 13 को करवाएगा शंख प्रक्षालन शारीरिक शुद्धि क्रिया

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
पेट के रोगों सहित कई अन्य रोगों में शंख प्रक्षालन क्रिया है अत्यंत लाभकारी : ओम प्रकाश।
कुरुक्षेत्र 8 अप्रैल : भारतीय योग संस्थान (पंजी.) गांव मिर्जापुर से एक किलोमीटर आगे नहर से 200 मीटर पहले ढ़ांढ़ रोड़ स्थित अपने योगाश्रम में कुरुक्षेत्र व निकट के योग जिलों के अपने अधिकारियों, कार्यकर्ताओं, साधकों व योग जिज्ञासु आम जनता के लिए
शंख प्रक्षालन शुद्धि क्रिया रविवार, 13 अप्रैल को प्रात: 6:00 से 10:00 बजे तक करवाएगा ।
इस शुद्धि क्रिया को करने के इच्छुक संस्थान के साधक शुक्रवार, 11 अप्रैल 2025 तक अपना नाम अपने योग जिले के प्रधान अथवा मंत्री को नोट करवा दें जो अपने जिले के साधकों की कुल सूचना कृष्ण जिला प्रधान श्री देवी दयाल सैनी जी को उनके व्हाट्सएप नंबर 94675-15206 पर लिखित संदेश भेजकर शनिवार, 12 अप्रैल को सुबह 10:00 बजे तक नोट करवा देंगे ताकि सभी के लिए गर्म पानी, नींबू, खिचड़ी इत्यादि की उचित व्यवस्था की जा सके ।
आम जनता के इच्छुक जिज्ञासु साधक सीधे देवी दयाल सैनी जी के पास 11 अप्रैल तक अपना नाम, पता व आयु नोट करवा कर अपना पंजीकरण करवा सकते हैं । शंख प्रक्षालन करने के इच्छुक साधक ढ़ीले परन्तु शालीन वस्त्र पहन कर एक चादर ( सफेद रंग की हो तो बेहतर) तथा देसी घी की खिचड़ी हेतु सहयोग राशि ₹100/- प्रति साधक ले कर प्रात: समय से 10 मिनट पहले योगाश्रम मिर्जापुर में उपस्थित हो जाएं ।
हृदय रोगियों, अधिक उच्च रक्तचाप, पेट के अल्सर, 6 माह पहले हुए ऑपरेशन वाले रोगियों और मासिक धर्म में महिलाओं, कमजोर आंतों व उनमें सूजन वाले रोगियों के लिए शंख प्रक्षालन निषेध है ।
शंख प्रक्षालन क्रिया करने वाले साधक 12 अप्रैल को पानी अधिक पीएं । सायं काल का भोजन या तो न करें या शाम को ताजा फलों का रस पीएं अथवा सूर्यास्त के 1 घंटे तक हल्का व सुपाच्य भोजन करके रात्रि में पूरी नींद लें ताकि उनकी क्रिया भली भांति संपन्न हो सके।
इच्छुक साधक कृपया रविवार को प्रात: 10:30 बजे तक का समय निकाल कर आएं क्योंकि देसी घी से निर्मित खिचड़ी का वितरण प्रातः 10:00 बजे ही किया जाएगा । खिचड़ी खाने के बाद ही साधकों को घर जाने की अनुमति होगी ।
बाकी सभी निर्देश मौके पर ही दे दिये जायेंगे ।
शंख प्रक्षालन है क्या ? यह क्रिया कब की जाती है ? इसे क्यों करें ? और यह क्रिया कैसे की जाती है ?
संस्थान की हरियाणा प्रांत इकाई के प्रधान ओम प्रकाश ने बताया कि यहां शंख का अर्थ है पेट या आंतें और प्रक्षालन का अर्थ है धोना । इस क्रिया से हमारी अंत:वाहिनी नली ( Alimentary Canal) कंठ से गुदा तक शुद्ध हो जाती है । इस प्रकार पूरे शरीर का शुद्धिकरण तथा विषैले तत्वों का निष्कासन हो जाता है ।
यह क्रिया बदलते मौसम में वर्ष में दो बार मार्च-अप्रैल और सितंबर-अक्टूबर में की जाती है ।
पेट के रोग, फेफड़े, वात-पित्त-कफ के रोग, गर्मी से होने वाले रोग, सर्दी जुकाम, नेत्र संबंधी विकार तथा सिर दर्द इस क्रिया से ठीक होते हैं । धूम्रपान आदि की आदतें भी इससे छूट जाती हैं ।
प्रत्येक स्वस्थ साधक को लगता है कि मेरा निष्कासन ठीक है तो मेरा पेट भी साफ होगा परंतु जब वह यह क्रिया करता है और उनकी आंतों में जमा मल टुकड़े-टुकड़े होकर बाहर निकलता है तो उसका सारा भ्रम दूर हो जाता है।
शंख प्रक्षालन क्रिया की विधि :
इस क्रिया में खूब उबला हुआ नीम गर्म पानी एक से दो गिलास उकड़ूं बैठकर पीने के पश्चात शंख प्रक्षालन के बहुत आसान पांच आसन (ताड़ासन, तिर्यक ताड़ासन, कटि चक्रासन, तिर्यक भुजंगासन तथा उदराकर्षणासन ) किए जाते हैं । पानी पीने और आसन करने के पांच-पांच सेट के बाद शौच के लिए शौचालय जाना होता है । इस प्रकार यही क्रिया 5 से 6 बार दोहराई जाती है । इस क्रिया में पहले मल बाहर निकलता है। फिर मल मिश्रित जल, फिर गंदा व बदबूदार पानी, फिर पानी के साथ मल के छोटे-छोटे टुकड़े और अंत में 15-20 गिलास पानी पीने के बाद लगभग 3 घंटे में स्वच्छ पानी निकलने पर यह क्रिया पूर्ण हो जाती है। इसके पश्चात कुंजल क्रिया भी की जा सकती है । अंत में आधे घंटे के शव आसन के पश्चात अच्छी तरह पकी हुई चावल व मूंग की दाल की कम नमक वाली देसी घी से निर्मित खिचड़ी खिलाई जाती है। इससे आंतों की सफाई होने के कारण आंतों में घी का लेप होने से पित्त आंतों को हानि नहीं पहुंचाता ।
शंख प्रक्षालन किसी योग्य शिक्षक की देखरेख में पूरी तन्मयता से करना, क्रिया के पश्चात भूख हो या न हो पर्याप्त मात्रा में देशी घी वाली खिचड़ी खाना, क्रिया के तीन घंटे बाद तक न सोना न ठंडा पानी पीना (आवश्यकता हो तो गुनगुना पानी पीना), उस दिन संध्या का भोजन भी खिचड़ी और घी वाला करना, अगले दो दिन भी सादा व सुपाच्य भोजन करना, दूध व दूध से बनी सभी चीजों से कम से कम तीन दिन परहेज, भोजन में मिर्च मसाले, अचार, खट्टे फलों से परहेज, क्रिया के पांच घंटे तक कोई भारी काम न करना आवश्यक हैं ।
योगाश्रम मिर्जापुर में शंख प्रक्षालन क्रिया के लिए योगासन करते भारतीय योग संस्थान के कार्यकर्ता।