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टेक्नोलॉजी के ज्ञान ने जलाई गोधन के प्यार की ‘‘पंचलाइन

टेक्नोलॉजी के ज्ञान ने जलाई गोधन के प्यार की ‘‘पंचलाइट’’

हास्य नाटक पंचलाइट देख दर्शक हुए लोटपोट, कुरुक्षेत्र के कलाकारों ने बटोरी वाहवाही।
पंचलाइट ने कराया गोधन और मुनरी का मिलन, हंसी के रंग में डूबो गया नाटक।
समाज को आईना दिखाने का उत्तम ढंग हैं नाटक : धर्मबीर मिर्जापुर।

कुरुक्षेत्र, संजीव कुमारी 28 सितम्बर : ससुरी पंचलाइट के चक्कर में हम तो सुबह से चुल्हा- चौका भी ना किए, यही सोचे थे कि पंचलाइट आएगा तो गुजिया बनाकर पूरे टोला को खिलाएंगे, पर अब ना ई पंचलाईट जलेगा ना ही गुजिया बनेगी। इसी तरह के संवादों के साथ न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप के कलाकारों ने कला कीर्ति भवन में हंसी के फव्वारे छोड़ते हुए विकास शर्मा द्वारा निर्देशित नाटक पंचलाइट प्रस्तुत कर अशिक्षा पर प्रहार किया। मौका था न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप की 16वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित उत्थान उत्सव के दूसरे दिन का। हरियाणा कला परिषद और उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला के संयुक्त सहयोग से आयोजित तीन दिवसीय नाट्य उत्सव में दूसरे दिन हरियाणा पशुधन बोर्ड के अध्यक्ष धर्मबीर मिर्जापुर मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे। वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता साहित्यकार एवं समाजसेवी डॉ. जयभगवान सिंगला ने की। विशिष्ट अतिथि के रुप में हरियाणा कला परिषद के पूर्व निदेशक संजय भसीन तथा उपपुलिस अधिक्षक रोहताश जांगड़ा ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। मंच का संचालन डा. मोहित गुप्ता द्वारा किया गया। कार्यक्रम से पूर्व न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप के अध्यक्ष नीरज सेठी, सदस्य नरेश सागवाल तथा धर्मपाल गुगलानी ने अतिथियों को तुलसी का पौधा भेंट कर स्वागत किया।
मुनरी से ब्याह की शर्त पर गोधन ने जलाई पंचलाइट,
विकास शर्मा के निर्देशन में फणीश्वरनाथ रेणु की बहुचर्चित कहानी पंचलाइट बिहार के गांव के भोले-भाले लोगों के इर्द-गिर्द घूमती है। जहां गांव में बिजली न होने के कारण महतो टोली के लोग दण्ड और जुर्माने के पैसे इकट्ठे करके पंचलाइट खरीद लेते हैं। जब शहर से पंचलाइट गांव में आती है तो खूब खुशियां मनाई जाती हैं। लेकिन बाद में पता चलता है कि गांव के किसी भी व्यक्ति को पंचलाइट जलानी नहीं आती। टोला वाले पंचलाइट न जलाने के लिए एक दूसरे को कहते हैं, किंतु कोई भी पंचलाइट जलाने में सफल नहीं हो पाता। लेकिन गांव का एक आवारा लड़का गोधन जो पढ़ा लिखा है तथा जिसे टेक्नोलॉजी का ज्ञान है, उसे ही पंचलाइट जलानी आती है। गोधन गांव की ही लड़की मुनरी से प्यार करता था। लेकिन मुनरी से प्यार करने वाले कल्लू को उन दोनों का मिलना पसंद नहीं था और वह मुनरी की अम्मा को सब बता देता है। मुनरी की अम्मा पंचायत बुला लेती है, जिसमें फैसला होता है कि गोधन का हुक्का पानी बंद कर दिया जाए। इस प्रकार गोधन और मुनरी का मिलना जुलना बंद हो जाता है और गोधन को गांव से निकाल दिया जाता है। लेकिन पंचलाइट आने पर मुनरी सबको बताती है कि गोधन को ही पंचलाइट जलानी आती है। इज्जत बचाने के चक्कर में सरपंच गोधन को बुलाकर पंचलाइट जलाने के लिए कहता है, लेकिन गोधन शर्त रखता है कि यदि मुनरी से उसकी शादी करवाई जाए, तभी वह पंचलाइट जलाएगा। पंचायत उसकी बात मान लेती है और गोधन का मुनरी से ब्याह करवाने का वादा करती है। तब गोधन पंचलाइट जला देता है और पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ पड़ती है। इस प्रकार हंसी के फव्वारे छोड़ते नाटक का खुशी-खुशी समापन होता है। नाटक में राजीव कुमार, मनू महक माल्यान, निकेता शर्मा, शिवकुमार किरमच, चंचल शर्मा, रचना अरोड़ा, विकास शर्मा, गौरव दीपक जांगड़ा, राजकुमारी, सुनैना, पार्थ शर्मा, साहिल खान, सागर शर्मा, निखिल पारचा, आकाशदीप, प्रियांशु बंसल, गोविंदा व चमन व विशाल ने सहयोग दिया। नाटक के उपरांत मुख्य अतिथि धर्मबीर मिर्जापुर ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि समाज को आईना दिखाने का सबसे उत्तम ढंग नाटक है। नाटक के माध्यम से कलाकार प्रत्येक बात को लोगों तक आसानी से पहुंचाते हैं। पंचलाइट में शिक्षा को महत्व दिया गया है। जो कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए बहुत जरुरी है। नाटक मंचन के दौरान हरजीत सिंह, गोल्डी सिंगला, अर्पित भसीन, अनु माल्यान, किरण गर्ग, अन्नपूर्णा शर्मा, कपिल बत्रा सहित भारी संख्या में दर्शक उपस्थित रहे।

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