भगवान भोलेनाथ की पूजा का रंगभरी एकादशी पर विशेष महत्व है : महंत जगन्नाथ पुरी

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
भगवान शिव शंकर मां पार्वती को रंगभरी एकादशी के दिन पहली बार काशी में लेकर आए थे।
कुरुक्षेत्र, 2 मार्च : फाल्गुन महीने की रंगभरी एकादशी का विशेष महत्व है। अखिल भारतीय श्री मारकंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि रंगभरी एकादशी पर भगवान भोलेनाथ की पूजा का भी विशेष महत्व है। उन्होने बताया कि इसे आमलकी एकादशी, आंवला एकादशी और आमलका एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। रंगभरी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना के साथ आंवले की पूजा की जाती है। इसके अलावा इस दिन भगवान शिव जी की पूजा आराधना की जाती है। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि इसी रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव शंकर माता पार्वती को पहली बार काशी में लेकर आए थे। इसलिए यह एकादशी शिव भक्तों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। रंगभरी एकादशी के पावन पर्व पर भगवान शिव और माता पार्वती को रंग और गुलाल अर्पित किए जाते हैं। साथ ही विधि विधान से पूजा की जाती है। भक्त भगवान शिव-माता पार्वती का स्वागत रंग और गुलाल से करते हैं। रंगभरी एकादशी 10 मार्च को मनाई जाएगी।
महंत जगन्नाथ पुरी।