बिहार:आरटीपीसीआर जांच में संक्रमित पांच प्रतिशत मरीजों की होगी ओमिक्रॉन जांच

आरटीपीसीआर जांच में संक्रमित पांच प्रतिशत मरीजों की होगी ओमिक्रॉन जांच

-ओमिक्रॉन के खतरों के प्रति स्वास्थ्य विभाग सचेत, उठाये गये हैं एहतियाती कदम
-आरटीपीसीआर जांच में सीटी वैल्यू 25 या इससे कम होने पर जीनोम सिक्वेंसिंग का प्रावधान

अररिया

जिले में कोरोना संक्रमण का मामला तेजी से बढ़ रहा है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ द्वारा संक्रमण के नये वैरिएंट ओमिक्रॉन की तीव्र प्रसार की संभावना भी व्यक्त की जा रही है। इसे लेकर विभागीय स्तर पर विशेष सतर्कता भी बरती जा रही है। समय पर इसे नये वैरिएंट की पूरी पहचान व इसके प्रसार को नियंत्रित करने को लेकर भी प्रयास जारी है। वैसे तो जिले में आरटीपीसीआर जांच की सुविधा उपलब्ध होने के बाद कोरोना संबंधी जांच व संक्रमण के गंभीर मामलों का पता लगाना बेहद आसान हो चुका है। इसकी मदद से बिना किसी लक्षण वाले मरीजों में भी संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। लेकिन गौरतलब है कि आरटीपीसीआर जांच के जरिये भी कोरोना के नये वैरिएंट ओमिक्रॉन का पता नहीं लगाया जा सकता है। लिहाजा ओमिक्रॉन से संबंधित मामलों का पता लगाने के लिये नई व्यवस्था पर अमल किया जा रहा है।

ओमिक्रॉन का पता लगाने के लिये जीनोम सिक्वेंसिंग जरूरी :

सदर अस्पताल के आरटीपीसीआर लैब में कार्यरत मेडिकल माइक्रोबॉयोलोजिस्ट डॉ धीरत कुमार बताते हैं कि आरटीपीसीआर यानि रियल टाइम पोलिमर्स चेन रिएक्शन एक आण्विक परीक्षण है। जो आपके श्वसन नली के ऊपरी नमूनों का विश्लेषण करता है। यह कोरोना का कारण बनने वाले वायरस के अनुवांशिक सामग्री की खोज करता है। इससे संक्रमण का पता आसानी से चल जाता है। लेकिन किसी वायरस के नये वैरिएंट का पता लगाने के लिये जीनोम सिक्वेंसिंग स्टडी जरूरी होता है। उन्होंने बताया कि सभी संक्रमित सैंपल के नमूनों को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिये नहीं भेजा जा सकता है। यह प्रक्रिया बेहद जटिल, धीमा व महंगा है।

ओमिक्रॉन जांच के लिये जिले से भेजे गये 10 सैंपल :

मेडिकल माइक्रोबॉयोलोजिस्ट डॉ धीरत कुमार के मुताबिक इन्हीं कारणों से स्वास्थ्य विभाग ने ओमिक्रॉन के मामलों का पता लगाने के लिये नई व्यवस्था लागू की है। इसके मुताबिक आरटीपीसीआर जांच में संक्रमित पाये गये वैसे मरीज जिनका सीटी वैल्यू 22 से 25 या इससे कम है। वैसे लोगों के सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिये आईजीएमएस पटना भेजा जाना है। उन्होंने बताया कि आरटीपीसीआर जांच में संक्रमित महज पांच प्रतिशत मरीजों का सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिये भेजा जाना है। उन्होंने बताया कि जिले से अब तक 10 सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिये पटना भेजा गया है। औसतन जिले में हर दिन 02 हजार से अधिक से लोगों की आरटीपीसीआर जांच हो रही है। बीते कुछ दिनों से जांच में पॉजिटिविटी रेट में इजाफा देखा जा रहा है। औसतन हर दिन 20 से 25 संक्रमित मरीज मिल रहे हैं

सीटी वैल्यू वायरस को मापने का पैमाना :

सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि कोरोना वायरस का पता लगाने के लिये सीटी यानि साइकिल थ्रेशहोल्ड का पता लगाना जरूरी है। जो वायरस को जांचने का एक पैमाना है। इसे विशेषज्ञों द्वारा तय किया गया है। सीटी काउंट के आधार पर ही टेस्ट रिपोर्ट का पॉजिटिव व निगेटिव होना तय होता है। सीटी वैल्यू कोरोना वायरस के संक्रमण की जानकारी देता है। सीटी वैल्यू कम होने का मतलब मरीज की स्थिति का गंभीर होना है। सीटी वैल्यू अधिक होने पर संक्रमण के प्रभाव को सामान्य माना जाता है।

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