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गर्भ संस्कार केवल परंपरा नहीं, बल्कि संतुलित और स्वस्थ समाज की नींव है : प्रो. धीमान

गर्भ संस्कार केवल परंपरा नहीं, बल्कि संतुलित और स्वस्थ समाज की नींव है : प्रो. धीमान।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

गर्भ संस्कार केवल व्यक्ति का नहीं, राष्ट्र निर्माण का भी मार्ग है : कुलपति।
आयुष विश्वविद्यालय में गर्भ संस्कार केंद्र का शुभारंभ,गर्भवती महिलाओं को मिलेगा लाभ।

कुरुक्षेत्र,5 मई : श्री कृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान ने कहा कि गर्भ संस्कार केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि ये वैज्ञानिक दृष्टिकोण से संतुलित और स्वस्थ समाज की नींव है। आयुष विश्वविद्यालय में गर्भ संस्कार जैसे प्राचीन ज्ञान को आधुनिक शोध और चिकित्सा प्रणाली से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है,ताकि भावी पीढ़ी न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ हो, बल्कि संस्कारों से संपन्न भी हो। वे सोमवार को आयुष विश्वविद्यालय के आयुर्वेद अध्ययन एवं अनुसंधान संस्थान (आयुर्वेदिक अस्पताल) में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग द्वारा स्थापित किए गए गर्भ संस्कार केंद्र के शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग के चेयरमैन एवं डीन एकेडमिक अफेयर प्रो. वैद्य जितेश कुमार पंडा, प्राचार्य प्रो. वैद्य देवेंद्र खुराना, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. वैद्य राजेंद्र चौधरी, प्रो. सीमा एवं वैद्य सुनीति तंवर समेत अन्य स्टाफ उपस्थित रहा।
कुलपति प्रो. धीमान ने कहा कि आयुर्वेद के अनुसार, गर्भधारण से पहले और गर्भावस्था के दौरान माता-पिता के आहार, व्यवहार और विचार तीनों का प्रभाव शिशु के जीवन पर पड़ता है। यदि माता-पिता वैज्ञानिक तरीके से गर्भ संस्कार अपनाएं तो श्रेष्ठ, चरित्रवान और देशहित में कार्य करने वाली संतान को जन्म देना संभव है। यह केवल व्यक्ति का नहीं,राष्ट्र निर्माण का मार्ग है।
गर्भवती महिलाएं बनेंगी ब्रांड एंबेसडर : प्रो. धीमान।
कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान ने कहा कि गर्भ संस्कार एक आयुर्वेदिक और वैदिक परंपरा है, जिसका उद्देश्य गर्भधारण से पहले और गर्भावस्था के दौरान माता-पिता और भ्रूण के शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक स्तर को शुद्ध व संतुलित करना होता है। यह न केवल स्वस्थ शिशु के जन्म के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है, बल्कि संस्कारित, गुणवान और तेजस्वी संतान के लिए भी लाभकारी है। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय पहुंची सभी गर्भवती महिलाएं हमारे विश्वविद्यालय के गर्भ संस्कार केंद्र की ब्रांड एंबेसडर बनेंगी।
शारीरिक-मानसिक स्थिति को देख करें गर्भधारण:कुलपति
कुलपति प्रो. धीमान ने कहा कि मानसिक, शारीरिक और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए ही गर्भधारण का निर्णय लेना चाहिए,ताकि स्वस्थ बच्चे का जन्म हो सके। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में गर्भ संस्कार से संबंधित विशेष परामर्श, औषधीय सहायता और योग-ध्यान के माध्यम से माता-पिता को मार्गदर्शन दिया जा रहा है।
श्रेष्ठ संतान के लिए गर्भ संस्कार बेहद जरूरी: प्रो. पंडा।
प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो. जितेश कुमार पंडा ने कहा कि हमारी वैदिक मान्यता के अनुसार, महाभारत और रामायण जैसे ग्रंथों में भी गर्भ संस्कार के प्रभाव दिखाए गए हैं–जैसे अभिमन्यु को गर्भ में ही चक्रव्यूह तोड़ने की शिक्षा मिलना या प्रहलाद को गर्भ में ही नारायण भक्ति की प्राप्ति होना। प्रो.पंडा ने बताया कि श्रेष्ठ संतान के लिए गर्भ संस्कार बेहद जरूरी है, ताकि अगली पीढ़ी शारीरिक,मानसिक व नैतिक दृष्टि से सशक्त हो। गर्भ संस्कार से गर्भस्थ शिशु का विकास यानी मन,मस्तिष्क व बुद्धि का विकास गर्भ में ही शुरू हो जाता है। गर्भधारण,प्रसव और शिशु-पालन की प्रक्रिया सहज और स्वस्थ हो,इसलिए भी गर्भ संस्कार जरूरी है। उन्होंने कहा कि चरक संहिता,सुश्रुत संहिता जैसे ग्रंथों में गर्भ संस्कार की महिमा विस्तार से बताई गई है।

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