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नाटक कैन आई से समथिंग ने सुलझाए कई अनसुलझे पहलू, समाज को दिखाया आईना

‘‘वाह रे शरीफ लोगो, सुकून भी चाहिए, पर दूसरों की कुर्बानी पर’’……जैसे संवादों ने दर्शकों को झकझोरा।


नाटक कैन आई से समथिंग से सम्पन्न हुआ उत्थान उत्सव 2025, विकास शर्मा के निर्देशन में कलाकारों ने दिखाई प्रतिभा।
नाटक कैन आई से समथिंग के दौरान दर्शकों ने बिना पलक झपके, एकाग्रता तथा मोबाइल से दूरी बनाकर लिया नाटक का आनंद।

कुरुक्षेत्र, संजीव कुमारी 29 सितम्बर : रंगमंच के माध्यम से कलाकार लोगों तक अपनी बातें आसानी से पहुंचा पाते हैं। जिन मुद्दों के खिलाफ लोग सरेआम बोलने से परहेज करते हैं, उन्हें अभिनय और संवाद अदायगी के साथ बड़ी खूबसूरती से लोगों तक पहुंचाया जा सकता है। जिन्हें दर्शकों की भी सराहना मिलती है और समाज को एक नई दिशा देने का प्रयास भी कलाकारों को द्वारा किया जाता है। ये कहना था गुलजारी लाल नंदा स्मारक की प्रभारी प्रो0 शुचिस्मिता शर्मा का। वे कला कीर्ति भवन में चल रहे तीन दिवसीय उत्थान उत्सव के समापन पर आयोजित नाटक मंचन के दौरान लोगों को संबोधित कर रही थी। मौका था न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप की 16वीं वर्षगांठ के अवसर पर उत्थान उत्सव में विकास शर्मा के निर्देशन में आयोजित नाटक कैन आई से समथिंग का। इस अवसर पर प्रो0 शुचिस्मिता शर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम में शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता उपपुलिस अधीक्षक सुनील कुमार ने की। वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में एनआईटी प्रोफेसर कर्ण शर्मा, विनोद शर्मा, रजनीश गुप्ता उपस्थित रहे। कार्यक्रम से पूर्व न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप के सचिव शिवकुमार किरमच, सदस्य नरेश सागवाल, धर्मपाल गुगलानी ने अतिथियों का स्वागत किया। मंच का संचालन डा0 मोहित गुप्ता द्वारा किया गया। 26 सितम्बर से 28 सितम्बर तक हरियाणा कला परिषद व उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला के संयुक्त सहयोग से आयोजित उत्थान उत्सव में पहले दिन नाटक उजबक राजा ने हंसी के फव्वारे छोड़ते हुए स्वदेशी अपनाओं का संदेश दिया, वहीं दूसरे दिन हास्य नाटक पंचलाइट ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया। उत्सव की तीसरी शाम अख्तर अली के सुकरात पर आधारित नाटक कैन आई से समथिंग के नाम रही।
समाज के चेहरे से मुखौटे उतार गया नाटक कैन आई से समथिंग।
गम्भरी संवाद और उम्दा अभिनय से सजे नाटक कैन आई से समथिंग रंगमंच कलाकार पवन और किशोर की बातचीत से आरम्भ होता है। पवन यूनान के महान दार्शनिक सुकरात और प्लेटो पर नाटक लिख रहे हैं, जिसके बारे में सुनने की जिज्ञासा किषोर दिखाता है। पवन सुकरात के जीवन को वर्तमान काल से जोड़कर विभिन्न दृष्यों को दिखाने का प्रयास करता है। वह बताता है कि सुकरात को देवताओं पर विश्वास नहीं करने और युवाओं को भड़काने जैसे आरोपों के कारण मौत की सजा सुनाई गई थी। ग्रीक की जनता सुकरात के खिलाफ हो गई थी। क्योंकि सुकरात ने धर्म पर आश्रित लोगों को अपने परिवार के लिए जीवन बिताने के तर्क दिए। राजनेताओं को जनता की भलाई करने के तर्क दिए। जिसके कारण सभी लोग चाहते थे कि सुकरात को मार दिया जाए। सुकरात का शिष्य प्लेटो अपने गुरु को बचाने के प्रयास करता रहा, लेकिन सुकरात ने प्लेटो की कोई बात नहीं मानी। प्लेटो चाहता था कि सुकरात अदालत का फैसला मानकर वो सब काम बंद करदे, जिसके कारण उसे सजा मिली है। लेकिन सुकरात मौत की सजा को ज्यादा अहमियत देता रहा। उसका मानना था कि अदालत का फैसला मानकर माफी मांगने के बाद मैं ज्यादा दिन जिंदा नहीं रह पाऊंगा, लेकिन अपने सिद्धांतों पर डटे रहने के कारण मौत की सजा पाने से मैं हमेशा के लिए लोगों के दिलों में जिंदा रहूंगा। इस तरह सुकरात की अनूठी दास्तान का बखान करता हुआ नाटक कैन आई से समथिंग समाज के चेहरे को लोगों के सामने लाने का प्रयास करता है। दो पात्रीय नाटक में पवन का किरदार सागर शर्मा तथा किशोर का किरदार राजीव कुमार ने निभाया। प्रकाश व्यवस्था गौरव दीपक जांगड़ा तथा संगीत विकास शर्मा ने सम्भाला। सहायक के रुप में वेदिता, अमरदीप जांगड़ा, पार्थ रहे। नाटक कैन आई से समथिंग ने सवा घण्टे तक लोगों को अपने संवाद और अभिनय से बांधे रखा। कला कीर्ति भवन के सभागार में बैठे दर्शकों ने एक-एक संवाद पर अपनी प्रतिक्रिया तालियों के माध्यम से व्यक्त की। भरतमुनि रंगशाला में पहली बार किसी नाटक के दौरान दर्शकों ने बिना पलक झपके, एकाग्रता तथा मोबाइल से दूरी बनाकर नाटक का आनंद लिया। कार्यक्रम के अंत में अतिथियों तथा कलाकारों को सम्मानित किया गया।

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