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आध्यात्मिक और धार्मिक क्षेत्र कुरुक्षेत्र संगीत, योग और मेडिटेशन के लिए उत्तम स्थानः डॉ. वीरेंद्र पाल

आध्यात्मिक और धार्मिक क्षेत्र कुरुक्षेत्र संगीत, योग और मेडिटेशन के लिए उत्तम स्थानः डॉ. वीरेंद्र पाल।

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

जीवन में मुश्किल दौर से भी निकल कर मेडिटेशन की राह पर चला जा सकता हैः बरीधी
संगीत, संस्कृति और आध्यात्मिकता व्यक्तित्त्व को आगे बढ़ाता हैः निदेशक महासिंह पूनिया
रामनवमी के पावन अवसर पर जनसंचार संस्थान में अंतर्राष्ट्रीय संगीतकारों द्वारा धार्मिक और आध्यात्मिक संगीत कार्यक्रम का आयोजन
बुल्गारिया आस्ट्रिया और इटली के संगीतकारों ने अपने वाद्ययंत्रो से दी आध्यात्मिक प्रस्तुतियां।

कुरुक्षेत्र, 6 अप्रैल : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव लेफ्टिनेंट डॉ. वीरेन्द्र पाल ने कहा कि रामनवमी के पावन अवसर पर जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान में अंतर्राष्ट्रीय संगीतकारों द्वारा धार्मिक और आध्यात्मिक संगीत कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। आध्यात्मिक और धार्मिक क्षेत्र कुरुक्षेत्र संगीत, योग और मेडिटेशन के लिए उत्तम स्थान है। वे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा के कुशल मार्गदर्शन में रामनवमी के अवसर पर रविवार को जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान के मिनी ऑडिटोरियम में इंटरएक्टिव सेशन के ‘अंतर्राष्ट्रीय म्यूजिक कंसर्ट ‘बरीधी ऐनसेंबल‘ कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे। बुल्गारिया के बरीधी के नेतृत्व में ऑस्ट्रिया और इटली के संगीतकारों ने ‘गायत्री मंत्र’ के उच्चारण के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की।
कुलसचिव डॉ. वीरेन्द्र पाल ने ‘अंतर्राष्ट्रीय म्यूजिक कंसर्ट ‘बरीधी ऐनसेंबल के सभी संगीतकारों को अपनी यात्रा के दौरान 40 कोस दूरी पर स्थित धार्मिक और आध्यात्मिक केंद्रों का अवश्य ही भ्रमण करने के लिए प्रेरित किया। गीता की पावन भूमि कुरुक्षेत्र जोकि योग और अध्यात्म का मुख्य केंद्र रहा है और वर्तमान में भी है, वहां पर आध्यात्मिक संगीत अच्छे से फल-फूल सकता है।
बुल्गारिया के संगीतकार बरीधी ने विद्यार्थियों को आत्मिक शांति के लिए दैनिक जीवन में मेडिटेशन करने पर जोर देते हुए कहा कि आंतरिक शांति से ही बाहरी शांति संभव होती है। उन्होने कहा कि अगर जीवन में ठान लिया जाए तो जीवन में मुश्किल दौर से भी निकल कर मेडिटेशन की राह पर चला जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय म्यूजिक कंसर्ट संगीतकारों ने अपने जीवन के पूर्व अनुभवों और वर्तमान चुनौतियों को भी विद्यार्थियों के समक्ष रखा और विद्यार्थियों द्वारा पूछे गये आध्यात्मिक प्रश्नों का जवाब दिया। चिन्मय कुमार घोष के जीवन दर्शन पर वृत्तचित्र का भी दिखाया गया।
अंतर्राष्ट्रीय म्यूजिक कंसर्ट कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक प्रोफेसर महासिंह पूनिया ने ‘बरीधी ऐनसेंबल’ के संगीतकारों को पवित्र गीता और अंगवस्त्र देकर स्वागत और सम्मानित किया। प्रो. महासिंह पूनिया ने कहा कि संगीत, संस्कृति और आध्यात्मिकता व्यक्तित्त्व को आगे बढ़ाता है। विद्यार्थियों को अपने दैनिक जीवन में संगीत और आध्यात्मिकता को प्रमुख स्थान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य के व्यक्तित्त्व का विकास तीन मुख्य बिंदुओं पर रहता हैं जिसमें संगीत, संस्कृति, और अपणी बोली, इसलिए इनको साथ लेकर ही आगे बढ़ा जा सकता है।
जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान के असिस्टेंट प्रोफेसर एवं संस्थान के एक्टिविटी इंचार्ज डॉ. आबिद अली ने कार्यक्रम का मंच संचालन किया। देवम फाउंडेशन बुल्गारिया के सौजन्य से इस कार्यक्रम का आयोजन हुआ और अंत में प्रो. मोना कौशिक का हार्दिक आभार प्रकट किया गया।
इस अवसर पर संस्कृति सोसायटी फॉर आर्ट कल्चर डेवलपमेंट के अध्यक्ष धर्मेद्र डांगी, महासचिव विकास शर्मा, विश्वविद्यालय के संगीत एवं नृत्य विभाग के अस्सिटेंट प्रोफेसर डॉ. पुरुषोत्तम कुमार, डॉ. ज्ञान सागर सिंह, तबला वादक विकास कुमार और जनसंचार संस्थान के अस्सिटेंट प्रोफेसर गौरव कुमार, डॉ. अभिनव, डॉ. तपेश किरण, डॉ. रोशन मस्ताना, गौरव कुमार, राकेश कुमार, सचिन कुमार, अमित कुमार, राहुल अरोड़ा, प्रीति, नीतिन चावला, सुनिता, रितु, डॉ. प्रदीप, कंचन शर्मा अर्पणा, मोनिका और नॉन टीचिंग स्टॉफ डॉ. सतीश राणा, अनिल कुमार, राजेश कुमार, नमिता के साथ शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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