आध्यात्मिकता सिर्फ एक विचार नहीं, यह तो वास्तविक जीवन का ज्ञान है : संत डा. स्वामी चिदानंद

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
आध्यात्मिकता आत्मा की शुद्धता, जागरूकता और शांति की स्थिति है।
कुरुक्षेत्र, 16 अप्रैल : देश के विभिन्न राज्यों सहित विश्व स्तर पर भगवान श्री कृष्ण के श्री मुख से उत्पन्न गीता का प्रचार प्रसार कर रहे अंतर्राष्ट्रीय गीता मिशन ओडिशा के अध्यक्ष संत डा. स्वामी चिदानंद ने पूजा एवं अध्यात्म पर चर्चा करते कहा कि आध्यात्मिकता सिर्फ एक विचार नहीं, बल्कि यह जीवन जीने की एक विधि है। आध्यात्मिकता से ही वास्तविक जीवन का ज्ञान है। उन्होंने कहा कि पूजा एवं अध्यात्म के महत्व को समझने की आवश्यकता है क्योंकि यह आत्मा की यात्रा है, जिसमें हम स्वयं को, अपने कर्मों को, ब्रह्मांड को और परम सत्य को समझने का प्रयास करते हैं। डा. स्वामी चिदानंद के अनुसार आध्यात्मिकता आत्मा की शुद्धता, जागरूकता और शांति की स्थिति है। यह धर्म से ऊपर और मन की गहराइयों से जुड़ी एक स्थिति है। यह बाहरी दुनिया से परे आंतरिक चेतना को खोजने की प्रक्रिया है। उन्होंने आध्यात्मिकता के पांच मार्ग बताए हैं जिनमें ज्ञान योग अर्थात आत्मा और ब्रह्म के गूढ़ ज्ञान को समझना है। भक्ति योग अर्थात प्रेम और श्रद्धा के माध्यम से ईश्वर को समर्पण है। कर्म योग अर्थात निष्काम कर्म द्वारा जीवन को पवित्र बनाना है। राज योग अर्थात ध्यान और साधना के द्वारा मन और आत्मा का मिलन है। इसी के साथ हठयोग अर्थात शरीर और मन की शुद्धि के लिए आसन और प्राणायाम है। जब मनुष्य इस सत्य को पहचान लेता है, तभी उसकी आध्यात्मिक यात्रा आरंभ होती है। डा. स्वामी चिदानंद ने आध्यात्मिकता के महत्व बारे कहा कि आध्यात्मिकता से जीवन में चमत्कारी परिवर्तन आते हैं। तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है। आध्यात्मिकता जीवन को शांत और संतुलित बनाती है। मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। ध्यान और योग से शरीर व मन स्वस्थ रहते हैं। नकारात्मकता से छुटकारा मिलता है, मन और आत्मा की शक्ति से नकारात्मक विचार समाप्त हो जाते हैं।
संत डा. स्वामी चिदानंद।