देश की एकता व अखंड़ता के लिए राष्ट्रीयता की भावना सर्वोपरि : डॉ. ममता सचदेवा

देश की एकता व अखंड़ता के लिए राष्ट्रीयता की भावना सर्वोपरि : डॉ. ममता सचदेवा
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
केयू में 1857 की क्रांति की याद में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित।
कुरुक्षेत्र, 10 मई : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय स्थित 1857 क्रांति संग्रहालय में शनिवार को 1857 की क्रांति में बलिदान देने वाले भारतीय वीर सपूतों, वीरांगनाओं व हरियाणा के वीर शहीदों, स्वतंत्रता सेनानियों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा की धर्मपत्नी डॉ. ममता सचदेवा ने बतौर मुख्यातिथि कहा कि देश की एकता व अखंड़ता के लिए राष्ट्रीयता की भावना सर्वोपरि होनी चाहिए। 1857 की क्रांति ने हमें यह सिखाया कि यदि राष्ट्रहित में एकजुट हों तो कोई भी ताकत हमें दबा नहीं सकती। विश्वविद्यालय में 1857 की क्रांति का संग्रहालय नई पीढ़ी को अपने इतिहास से जोड़ने का सशक्त माध्यम है। डॉ. ममता सचदेवा ने कहा कि आज का दिन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने वीर शहीदों के बलिदान को नमन करते हुए कहा कि आजादी का यह सफर लाखों वीरों की कुर्बानी से ही संभव हो पाया है, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. वीरेंद्र पाल ने कहा हमारा कर्तव्य है कि हम अपने शहीदों के बलिदान को केवल याद न करें, बल्कि उनके आदर्शों को अपने जीवन में उतारें। विश्वविद्यालय द्वारा इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन युवाओं में देशभक्ति की भावना को और अधिक प्रबल करता है।
संग्रहालय के क्यूरेटर डॉ. कुलदीप सिंह आर्य ने बताया कि 10 मई 1857 को शुरू हुई यह क्रांति भारतीय इतिहास का एक निर्णायक मोड़ थी, जिसमें हरियाणा के वीरों ने भी अंग्रेजों के खिलाफ साहसपूर्वक संघर्ष किया। इसी गौरवशाली इतिहास को संजोने के उद्देश्य से कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में यह संग्रहालय स्थापित किया गया है।
इस अवसर पर हरियाणा संग्रहालय की गवर्निंग बॉडी की चेयरपर्सन प्रो. नीलम ढांडा, मुख्य सुरक्षा अधिकारी डॉ. अनिल गुप्ता, महिला चीफ वार्डन डॉ. कुसुम लता, रिटायर्ड प्रिंसिपल डॉ. रमेश ढांडा, डिप्टी डायरेक्टर डॉ. सलोनी पवन दीवान, डॉ. मीनाक्षी, डॉ. कुलदीप सिंह आर्य व सुरेंद्र ने भी शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।