बुंदेलखंड की अनूठी परंपरा संक्रांति पर होती है मिट्टी के घोड़ों की पूजा
मकर संक्रांति का पर्व आज मनाया जा रहा है. सूर्य देव जब धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में आते हैं, तो उनके रथ में भी एक परिवर्तन होता है. मकर संक्रांति से सूर्य देव के वेग और प्रभाव में भी वृद्धि होती है. मकर संक्रांति से खरमास भी खत्म हो जाता है. शुभ कार्यों के लिए बृहस्पति ग्रह भी मजबूत स्थिति में आ जाता है. जब खरमास लगता है तो सूर्य देव की गति धीमी हो जाती है और बृहस्पति की स्थिति कमजोर हो जाती है, इसलिए मांगलिक कार्य नहीं होते हैं. खरमास से जुड़ी एक पौराणिक कथा है, जिसमें बताया गया है कि इस समय में सूर्य देव के रथ के सातों घोड़े विश्राम करने लगते हैं और उनकी जगह रथ में खर यानी गधे जुड़ जाते हैं, इससे सूर्य देव का वेग कम हो जाता है. मकर संक्रांति पर सूर्य देव के रथ से ये खर निकल जाते हैं और फिर सातों घोड़े सूर्य देव के रथ में जुड़ जाते हैं. इससे सूर्य देव का वेग और प्रभाव बढ़ जाता है.